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गीता दर्शन भाग-26
अभी पश्चिम के एक बहुत बड़े विचारक कार्ल गुस्ताव जुंग ने, ये जो ज्ञान की खोज में आतुर लोग हैं, ये ब्राह्मण हैं—गुण से। इस सदी के बड़े से बड़े मनोवैज्ञानिक ने, जब आदमियों के टाइप। दूसरा एक वर्ग है, जो शक्ति का खोजी है। जिसके लिए पावर, बांटे, तो उसने भी चार में बांटे। नाम अलग, लेकिन बांटे चार में शक्ति सब कुछ है; शक्ति का पूजक है। शक्ति मिली, तो सब ही। इसमें कुछ मजबूरी है। चार ही हैं प्रकार, मोटे। फिर तो मिला। वह कहीं से भी जीवन में शक्ति मिल जाए, तो उसी की यात्रा एक-एक व्यक्ति में थोड़े-थोड़े फर्क होते हैं, लेकिन मोटे चार ही में लगा रहेगा। यह जो शक्ति का खोजी है, वह भी एक टाइप है। प्रकार हैं।
| उसे इनकार नहीं किया जा सकता। क्षत्रिय उस गुण का व्यक्ति है। कुछ लोग हैं, जिनके जीवन की ऊर्जा सदा ही ज्ञान की तरफ ___ अर्जुन इसी गुण का व्यक्ति है; कृष्ण ने इसी सिलसिले में यह बहती है; जो जानने को आतुर और पागल हैं। जो जीवन गंवा देंगे, | बात भी कही है। वे उसे यही समझाना चाहते हैं कि तू अपने गुण लेकिन जानने को नहीं छोड़ेंगे।
को पहचान, तू अपनी निजता को पहचान और उसके अनुसार ही अब एक वैज्ञानिक जहर की परीक्षा कर रहा है कि किस-किस आचरण कर, अन्यथा तू मुश्किल में पड़ जाएगा। क्योंकि जब भी जहर से आदमी मर जाता है। अब वह जानता है कि इस जहर को कोई व्यक्ति अपने गुण को छोड़कर दूसरे के गुण की तरह व्यवहार जीभ में रखने से वह मर जाएगा. लेकिन फिर भी वह जानना चाहता करता है. तब बडी अडचन में पड़ जाता है। क्यों
क्योंकि वह वह काम है। हम कहेंगे, पागल है; बिलकुल पागल है! ऐसे जानने की कर रहा है, जो वह कर नहीं सकता। और उस काम को छोड़ रहा जरूरत क्या है?
है, जिसे वह कर सकता था। लेकिन हमारी समझ में न आएगा। वह ब्राह्मण का टाइप है। वह और जीवन का समस्त आनंद इस बात में है कि हम वही पूरी बिना जाने नहीं रह सकता। जीवन लगा दे, लेकिन जानकर रहेगा। | तरह कर पाएं जो करने को नियति, डेस्टिनी, जो करने को प्रभु ने वह जहर को जीभ में रखकर, उस आनंद को पा लेगा, जानने के उत्प्रेरित किया है। अन्यथा जीवन में कभी शांति नहीं मिल सकती, आनंद को, कि हां, इस जहर से आदमी मरता है। हम कहेंगे, इसमें आनंद नहीं मिल सकता। जीवन का आनंद एक ही बात से मिलता कौन-सा फायदा है ? उस आदमी को क्या मिल रहा है? हम समझ है कि जो फूल हममें खिलने को थे, वे खिल जाएं; जो गीत हमसे न पाएंगे। सिर्फ अगर हमारे भीतर कोई ब्राह्मण होगा, तो समझ | | पैदा होने को था, वह पैदा हो जाए। पाएगा, अन्यथा हम न समझ पाएंगे।
लेकिन अगर ब्राह्मण क्षत्रिय बन जाए, तो कठिनाई में पड़ आइंस्टीन को क्या मिल रहा है? सुबह से सांझ तक लगा है जाएगा। क्योंकि शक्ति में उसे कोई रस नहीं है। इसलिए आप देखें प्रयोगशाला में! क्या मिल रहा है? कौन-सा धन? यह सुबह से कि इस देश में ब्राह्मणों को इतना आदर दिया गया, लेकिन ब्राह्मण सांझ तक पागल की तरह ज्ञान की खोज में किसलिए लगा है? ने उतने आदर, सम्मान, सर्वश्रेष्ठ ऊपर होने पर भी कोई शक्ति पाई
नहीं, किसलिए का सवाल नहीं है। अंत का सवाल नहीं है, मूल नहीं। ब्राह्मण भिखारी का भिखारी रहा। उसने कोई शक्ति पाई नहीं। का सवाल है। मूल में गुण उसके पास ब्राह्मण का है। वह जानने वह दीन का दीन ही रहा। वह अपने झोपड़े में बैठकर ब्रह्म की खोज के लिए लगा हुआ है।
करता रहा। आदर उसे बहुत था। सम्राट उसके चरणों पर सिर रखते तो कृष्ण कहते हैं, गुण और कर्म।
थे। राज्य उसके चरणों में लोट सकते थे। लेकिन उसे कोई मतलब गुण भिन्न हैं, चार तरह के गुण हैं; चार तरह के आर्च टाइप हैं। | न रहा। वह अपनी खोज में लगा रहा ब्रह्म की, दूर जंगल में जुंग ने आर्च टाइप शब्द का प्रयोग किया है। चार तरह के मूल | बैठकर। पागल रहा होगा! हम कहेंगे, जब सम्राट ही पैर पर सिर प्रकार हैं। एक-जो ज्ञान की खोज में, जिसकी आत्मा आतुर है। | रखने आया था, तो कुछ तो मांग ही लेना था! जिसकी आत्मा एक तीर है, जो जानने के लिए, बस जानने के | | कणाद के जीवन में कथा है। कणाद ब्राह्मण का टाइप है। नाम लिए, अंतहीन यात्रा करती है।
| ही कणाद पड़ गया इसलिए कि कभी इतना अनाज भी घर में न __ अब जो लोग चांद पर पहुंचे हैं, चांद पर क्या मिल जाएगा? कुछ हुआ कि संग्रह कर सके रोज खेत में कण-कण बीन ले; कणों को बहुत मिलने को नहीं है। लेकिन जानने की उद्दाम वासना! चांद पर | बीनने की वजह से नाम पड़ गया, कणाद। सम्राट को खबर लगी भी नहीं रुकेंगे-और, और, और आगे। कहीं कोई सीमा नहीं है। कि कणाद कण बीन-बीनकर खेतों के खा रहा है। सम्राट ने आज्ञा