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गीता दर्शन भाग-26
जाता है।
क्या कर रहे हैं, यह तो जानते ही नहीं; क्या समझ रहे हैं, यह भी अप्रगट है, वह उनके भीतर प्रगट हो गया है। जो अभी हम नहीं नहीं जानते। गलत ही समझ रहे हैं।
| जानते अपने ही खजाने को, वह उन्होंने जान लिया है। वे हमारे सारे कृष्ण को हमने सूली नहीं लगाई; उसका कारण था। कृष्ण के | | भविष्य, हमारी सारी संभावनाओं की आवाज हैं। पीछे कोई पांच-दस हजार साल की ऐसे लोगों की परंपरा थी, हमने पूजा की; हम भी गलत समझे। जीसस को सूली लगाई; जिन्होंने बहुत बार यह कहा था कि हम परमात्मा हैं। हम इसे सुनने वे भी गलत समझे। मंसूर को मुसलमानों ने काट डाला; वे भी न के आदी हो गए थे। जीसस ने पहली दफा, पहली दफा यहदी जगत समझे। क्योंकि मंसर ने कहा, अनलहक! मैं ही ब्रह्म है। लोगों ने में घोषणा की कि मैं और परमात्मा एक हैं। लोगों की बर्दाश्त के | कहा, यह तो ज्यादती है; यह आदमी अहंकारी है। . बाहर हो गया। ऐसा नहीं कि हम समझ गए कृष्ण की बात, हम भी ___ हमने आज तक दुनिया में दो तरह की भूलें की हैं। न समझे, तो नहीं समझे। हमने नासमझी और तरह की की। जीसस को सुनने | सूली लगा दी। न समझे, तो पूजा कर ली। पूजा में हम सिंहासन वालों ने नासमझी और तरह की की।
| पर बिठा देते हैं और दूर कर देते हैं। सूली पर हम सूली पर लटका जीसस को सुनने वालों ने पहली दफा यह बात सुनी कि कोई देते हैं और दूर कर देते हैं। लेकिन दोनों हालत में हम यह बात आदमी कहता है, मैं परमात्मा हूं, मैं दिव्य हूं, मैं डिवाइन हूं। उन्होंने मानने को राजी नहीं होते कि यह आदमी हमारे भीतर की छिपी हुई कहा, यह तो ज्यादती हो गई! यह आदमी अहंकारी है, सूली पर संभावनाओं की आवाज है। लटका दो!
इसलिए कृष्ण दूसरे ही वचन में कहते हैं कि जो यह अनुभव कर हमने बहुत बार यह बात सुनी थी। उपनिषद कह गए थे; वेद | लेगा, फिर उसे जन्म की जरूरत नहीं; वह फिर मुझको उपलब्ध हो कह गए थे; कृष्ण की बात हमें नई नहीं थी। लेकिन हमने भी भूल | की। हमने कहा, यह आदमी भगवान है; इसकी पूजा करो। बड़ी कठिनाई है। उनकी कठिनाई भी है। आदमी के पास जो भाषा
सूली पर लटकाओ या पूजा करो, दोनों में ही भूल हो गई। | है, उसी भाषा में बोलना पड़ता है। उस भाषा में मैं के बिना बोले उन्होंने भूल की कि यह आदमी अपने को भगवान कह रहा है, सूली काम नहीं चल सकता, या फिर हमारी समझ में कुछ भी न आएगा। पर लगा दो। हमने भूल की कि यह आदमी अपने को भगवान ___ अगर परमात्मा भी जमीन पर उतरकर खड़ा हो, तो भी हमारी कहता है, पूजा करो। हम दोनों नहीं समझे।
| भाषा में ही उसे बोलना पड़ेगा। अगर वह अपनी भाषा में बोलेगा, जीसस का भी मतलब यही था कि जिस दिन तुम भी जानोगे तो हमें पागल मालूम पड़ेगा। उसे हमारी भाषा में ही बोलना पड़ेगा। कि तुम कौन हो, तब तुम जानोगे कि तुम भी परमात्मा हो। और और मजा यह है कि हमारी भाषा में बोले, तो भी हम नहीं समझ कृष्ण का भी मतलब यही है कि अगर तुम खोजोगे, झांकोगे भीतर, पाते; अपनी भाषा में बोले, तो भी नहीं समझ सकते। हमारी भाषा तो पाओगे कि तुम भी परमात्मा हो। मैं तुम्हारी संभावनाओं की | में भी बोले, तो भी हम नहीं समझ पाते; लेकिन अपनी भाषा में आहट हूं। मैं तुम्हारी संभावनाओं की सूचना हूं। मैं तुम्हारी | बोले, तब तो हम बिलकुल ही न समझ पाएंगे। हमारी भाषा में पोटेंशियलिटीज की तरफ से बोलता हूं। तुम जो हो सकते हो, मैं | बोले, तो कम से कम हम नासमझी कर पाते हैं। वह भी समझने उसका प्रतिनिधि हूं।
| का एक गलत ढंग है। लेकिन कोई शायद समझ ले, इसलिए कृष्ण इस बात को ठीक से समझ लें। कृष्ण कहते हैं, तुम जो हो सकते हमारी भाषा में बोलते हैं, मैं का प्रयोग करते हैं। हो, मैं उसका प्रतिनिधि हूं। तुम जो हो सकते हो, वह मैं हो गया | कृष्ण जैसे व्यक्तियों के भीतर मैं बचता नहीं। बचे, तो गीता हूं। तुम जो कल होओगे, वह मैं आज हूं। मैं तुम्हारा कल हूं। मैं बेकार है; फिर गीता पैदा नहीं हो सकती। लेकिन कृष्ण बार-बार तुम्हारा भविष्य हूं। मैं तुम्हारे भविष्य की तरफ से बोलता हूं। मैं शब्द का प्रयोग करते हैं।
लेकिन यह हम न समझे। हम समझे कि कृष्ण कह रहे हैं, वे हमारी भी कठिनाई है। जब वे मैं का प्रयोग करते हैं, तो हम भगवान हैं; ठीक है; पूजा करो। हम यह न समझे कि वे हमारे समझते हैं, जिस भांति हम मैं का प्रयोग करते हैं, उसी भांति वे भविष्य के प्रतिनिधि हैं, वे हमारी तरफ से बोल रहे हैं। जो हमारे भी करते होंगे। हमारे और उनके प्रयोग में बिलकुल ही कोई साम्य बीज में छिपा है, वह उनका वृक्ष हो गया है। जो हमारे भीतर अभी नहीं है।
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