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वासना अशुद्धि है
जाना, जिसकी अस्मिता और अहंकार न बचा, अब कोई उपाय नहीं | | के बीच बोल रहे थे, उनके जीवन का एक स्तर था, समझ की एक रहा कि उससे कुछ गलत हो जाए।
| सीमा थी। ध्यान रहे, जीसस अत्यंत ही अविकसित समाज में बोल हमसे गलत होता है। ज्यादा से ज्यादा गलत हम रोक पाते हैं। | रहे थे, नहीं तो सूली न लगती। नासमझों के बीच बोल रहे थे। ऐसे व्यक्ति से गलत होता ही नहीं। ऐसा व्यक्ति जो भी करता है, __ कृष्ण नासमझ से नहीं बोल रहे हैं। कृष्ण एक बहुत संभावी वही सही है। हमें वह करना चाहिए, जो सही है; वह नहीं करना | आत्मा से बोल रहे हैं, जिसका बहुत विकास संभव है। एक चाहिए, जो गलत है। ऐसा व्यक्ति, जिसकी कृष्ण बात कर रहे हैं, | बुद्धिमान आदमी से बोल रहे हैं, जो धर्म के संबंध में बहुत कुछ जो करता है, वही सही है; जो नहीं करता, वही गलत है। ऐसे | जानता है। अनुभव नहीं है उसे; जानता है, सुना है, पढ़ा है, व्यक्ति मापदंड हैं। ऐसे व्यक्ति चरम हैं, परम मूल्य है उनका। ऐसे | सुशिक्षित है, सुसंस्कृत है। अर्जुन जैसे सुसंस्कृत आदमी कम होते व्यक्ति के लिए जो वक्तव्य है, वह वक्तव्य सबके लिए नहीं है। | हैं। उस जमाने में, जिसको हम कहें, शिखर पर जो संस्कृति के रहा
अन्यथा चोर भी पढ़कर प्रसन्न होता है गीता के इस वचन को, | | होगा, ऐसा व्यक्तित्व है। कृष्ण भी जिसको सखा मान सकते हों, कि ठीक है, कुछ भी करो! बेईमान भी पढ़कर प्रसन्न हो सकता है। | मित्र मान सकते हों, वह संस्कृति के शिखर पर है। उससे बात कर
और यह भी सोच सकता है कि ज्यादा तो हमसे नहीं बनता, पहली | रहे हैं। जानते हैं, भूल नहीं हो पाएगी। इसलिए तीन शर्तों के बाद तीन चीजें नहीं बनतीं, कम से कम चौथी चीज तो करो ही। जितना चौथी बात भी कह देते हैं। बने, उतना ही क्या बुरा है!
जीसस ने कभी ऐसी बात नहीं कही। मोहम्मद ने कभी ऐसी बात नहीं, इसमें क्रम है। तीन के बिना चौथा पढ़ना ही मत। चौथे को | | नहीं कही। मोहम्मद और जीसस एक लिहाज से अभागे समाज में काट देना गीता से अभी। जब तीन पूरी हो जाएं, तब तीन को काट | पैदा हुए, उन लोगों के बीच, जिनसे इतनी ऊंची बातें नहीं कही जा देना, चौथी को पढ़ना। बेशर्त, अनकंडीशनल वही व्यक्ति हो | सकती थीं। ऊंची बातें कहने का अवसर, समय और स्थिति उनको सकता, जिसने अनिवार्य तीन शर्ते पूरी कर ली हैं।
नहीं मिली। __ यह बात, पश्चिम में जब पहली दफे गीता के अनुवाद हुए, __ इसलिए गीता को जो पढ़ता है, उसे कुरान कभी फीका लग जर्मन, फ्रेंच, अंग्रेजी में, तो वहां भी कठिनाई हुई। उनको भी हैरानी | | सकता है। लेकिन इसमें ज्यादती कर रहे हैं। कुरान को फीका मत हुई। क्योंकि बाइबिल टेन कमांडमेंट्स के ऊपर नहीं जाती। देखना। जो गीता को पढ़ता है, उसे बाइबिल उतनी गहरी नहीं बाइबिल में एक भी कमांडमेंट ऐसा नहीं है, एक भी आदेश ऐसा | मालूम पड़ेगी। लेकिन ज्यादती मत करना। नहीं है, कि जो करना हो, करो। बाइबिल कहती है, चोरी मत करो; ___ जीसस और मोहम्मद, कृष्ण जैसे ही गहरे व्यक्ति हैं। लेकिन बेईमानी मत करो; दूसरे की औरत को बुरी नजर से मत देखो; यह | अर्जुन जैसा शिष्य पाना सदा आसान नहीं है। बात तो अर्जुन से सब कहती है पड़ोसी को प्रेम करो; यह सब कहती है। ऐसा एक | कही जा रही है, इसलिए तीन शर्ते पूरी करके उन्होंने चौथी, अंतिम, भी वक्तव्य बाइबिल में नहीं है, जो इसके मुकाबले हो। जो वक्तव्य | दि अल्टिमेट, आखिरी बात भी कह दी कि फिर व्यक्ति कुछ भी यह कहता हो कि अब तुम्हें जो भी करना हो, करो। | करे, उस पर कोई नियम, कोई मर्यादा नहीं है।
तो जब पहली दफा गीता का अनुवाद हुआ, तो कठिनाई मालूम | राम की भी हिम्मत नहीं होती यह कहने की। राम भी मोहम्मद पड़ी। स्पष्ट लगा बाइबिल को पढ़ने वाले और प्रेम करने वाले लोगों | | और जीसस से ऊंची बात नहीं कह पाते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। को कि यह किताब तो थोड़ी-सी इम्मारल मालूम होती है, अनैतिक | मर्यादा की बात करते हैं। इस बात से तो राम भी थोड़े चौंकते कि मालूम होती है। इसमें ऐसी बात भी है, कुछ भी करो! तो फिर टेन | | कुछ भी करे! इससे राम को भी अड़चन पड़ती! राम नैतिक चिंतन कमांडमेंट्स का क्या हुआ, चोरी मत करो, बेईमानी मत करो, । । की पराकाष्ठा हैं। व्यभिचार मत करो! उनका क्या होगा? क्या व्यभिचार भी करो? | | लेकिन धर्म वहीं शुरू होता है, जहां नीति समाप्त होती है। धर्म
उन्हें पता नहीं कि जीसस जिन लोगों से बोल रहे थे, उनसे यह आगे की यात्रा है और, जहां सब नियम गिर जाते हैं। क्योंकि नीति चौथी बात नहीं कही जा सकती थी। जिस समाज में बोल रहे थे, | | के नियम, माना कि बहुत सुंदर हैं, लेकिन नियम ही हैं। माना कि उस समाज में यह चौथी बात नहीं कही जा सकती थी। जिन लोगों मर्यादाएं बड़ी अदभुत हैं, लेकिन मर्यादाएं ही हैं। माना कि दीवारें
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