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________________ संन्यास की घोषणा यहां दिन ही नहीं हुआ, तो रात कैसे होगी? पश्चिम अब जल्दी ही | व्यवस्था नहीं। अंतर्मुख हो जाएगा। अभी पूरब को तो बहिर्मुखता में से गुजरना | निष्कामकर्मी संन्यासी घोषणा करके जी रहा है कि मैं संन्यासी पड़ेगा। पश्चिम अंतर्मुख हो जाएगा, क्योंकि बहिर्मुखता अपने पूरे । हूं। उसकी संन्यास की व्यवस्था भीतर तक, निज तक सीमित नहीं शिखर पर आ गई। और हर चीज जब अपने शिखर पर आ जाती | है। औरों तक भी उसने खबर कर दी है। इससे ज्यादा भेद नहीं है। है, तो लौटना शुरू हो जाता है। जब फल पक जाते हैं, तो गिर जाते | निष्काम कर्म संन्यास में गृहस्थ और संन्यासी में कोई भेद नहीं है। हैं। पकना मौत है। हां, उस गृहस्थ में तो भेद है, जो सकामी है। लेकिन निष्कामकर्मी पश्चिम अंतर्मुखी होगा, जल्दी। लेकिन पूरब तो अभी बहिर्मुखी। | गृहस्थ में और निष्कामकर्मी संन्यासी में कोई भेद नहीं है; घोषणा होगा। और अभी तो पश्चिम भी बहिर्मुखी है। अभी तो और | का भेद है। एकाध-दो कदम वह अपने शिखर पर उठा सकता है। एक व्यक्ति ने अपने पुराने ही वस्त्र पहन रखे हैं, अपना नाम इसलिए मैं कहता हूं कि नव-संन्यास की मेरी जो धारणा है, वह नहीं बदला है, घोषणा नहीं की है, जगत के सामने डिक्लेरेशन नहीं बहिर्मुखी संन्यास की है; वह निष्काम कर्म वाले संन्यास की है। | किया है कि मैं संन्यासी हूं। लेकिन निष्काम से जी रहा है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि जो कर्म त्याग कर संन्यास की तरफ जाते संन्यासी है। लेकिन उसके संन्यास का लाभ उसके लिए ही होगा। हैं, मैं उनके विरोध में हूं। मेरी उनके लिए शुभकामना है। लेकिन | घोषणा के बाद उसका लाभ औरों के लिए भी हो सकता है। घोषणा वे पगडंडी पर हैं; राजपथ आज उनका नहीं है। के बाद उसका कमिटमेंट भी है, जिसमें वह अपने को धोखा देना कठिन पाएगा। जिसने घोषणा नहीं की है, वह अपने को धोखा देना आसान पाएगा। प्रश्नः भगवान श्री, आप कहते हैं कि इस युग के | ___ एक व्यक्ति ने घोषणा कर दी है बाजार में खड़े होकर कि अब लिए निष्कामकर्मी संन्यासी अधिक उपयोगी हैं। इस | मैं संन्यासी हूं। दुकान पर बैठकर उसे चोरी करने में कठिनाई होगी। संदर्भ में कृपया यह बताएं कि निष्कामकर्मी गृहस्थ | शराबखाने के सामने खड़े होने में झिझक आएगी। उसका और निष्कामकर्मी संन्यासी में क्या अंतर होगा? कमिटमेंट है, उसका डिक्लेरेशन है। लोग जानते हैं, वह संन्यासी है। उसके गैरिक वस्त्र हैं। अभी पूना में एक मित्र संन्यास लेने आए। उन्होंने कहा, मैं में कामकर्मी गृहस्थ और निष्कामकर्मी संन्यासी में क्या | | संन्यास तो लेना चाहता हूं, लेकिन मैं शराब की दुकान पर शराब 11 अंतर होगा? गहरे में कोई अंतर नहीं होगा। ऊपर से | बेचने का काम करता हूं। तो मैं संन्यास ले लूं? गेरुए वस्त्र पहनकर अंतर हो सकता है। शराब बेचूंगा! मैंने कहा, शराब पीते तो नहीं हो? उसने कहा, असल में गृहस्थ और संन्यासी का जो अंतर है, वह | शराब पीता नहीं हूं। मैंने कहा, तुम बेफिक्री से जाओ और ले लो। कर्म-संन्यास वाला अंतर है। गृहस्थ और संन्यासी का जो भेद है, | क्योंकि असली सवाल शराब पीने का है। उसने कहा, लेकिन वह कर्म-संन्यास के मार्ग का भेद है। गृहस्थ उसको कहता है आप मुझे मुश्किल में डाल रहे हैं! मैंने कहा, घोषणा करना संन्यास कर्म-संन्यासी, जो कर्म में उलझा हुआ है। संन्यासी उसे कहता है, की मुश्किल में पड़ना है। पर इतनी मुश्किल उठाने की हिम्मत जिसने कर्म छोड़ दिया। | होनी चाहिए। निष्कामकर्मी संन्यासी के लिए गृहस्थ और संन्यासी में गहरे में | दूसरे दिन वह आया और उसने कहा कि मैंने नौकरी छोड़ दी है। कोई भेद नहीं है। ऊपर से भेद हो सकता है; गौण, घोषणा का; इसलिए नहीं; लेकिन अब गैरिक वस्त्र पहनकर इन हाथों से किसी इससे ज्यादा नहीं। गृहस्थ अगर पूर्ण निष्काम से जी रहा है, तो | को शराब दूं, तो जहर देना है। संन्यासी है—अघोषित। उसने घोषणा नहीं की है। उसने जाहिर यह घोषणा का अंतर है। वह भीतर से संन्यासी रह सकता था; नहीं किया है कि मैं संन्यासी हूं। वह चुपचाप, मौन, संन्यास में जी | | कोई कठिनाई न थी। शराब बेच सकता था, कर्तव्य की तरह, रहा है। उसका संन्यास उसकी निजी आंतरिक धारणा है, सामाजिक | नौकरी की तरह, कोई प्रयोजन न था। चुपचाप लौटकर आ जाता, |281|
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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