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ॐ संन्यास की घोषणा 0
जब तक ऐसा दिखाई पड़ेगा कि वर्तमान दुख है और भविष्य | तो बात यह है कि जिसे हम जानते नहीं, उससे डरने का कोई कारण सुख है, तब तक निष्काम कर्म फलित नहीं हो सकता। निष्काम नहीं है। कोई नहीं कह सकता कि मौत बुरी है। क्योंकि जिससे हम कर्म फलित होगा, जब यह वर्तमान और भविष्य की स्थिति परिचित नहीं हैं, उसको बुरा कैसे कहें? कोई नहीं कह सकता है बिलकुल उलटी हो जाए। वर्तमान सुख बन जाए।
कि मौत दुख देती है, क्योंकि जिससे हम परिचित नहीं हैं, उसे हम जैसे ही वर्तमान सुख बनता है, भविष्य की आकांक्षा तिरोहित | दुख देने वाली कैसे कहें! अपरिचित के संबंध में कोई भी निर्णय हो जाती है। भविष्य की आकांक्षा, भविष्य में सुख था, इसीलिए | तो कैसे लिया जा सकता है! थी। वर्तमान में दुख है, इसलिए भविष्य में सुख को हम प्रोजेक्ट नहीं; लेकिन मौत से हम नहीं डरते। डरने का कारण बहुत और करते हैं। आज दुख है, तो कल की कामना करते हैं कि कल सुख है। वह डर यह है कि हमने जिंदगी सदा कल पर टाली। जीए आज मिलेगा। कल के सुख की कामना में आज के दुख को झेलने में | नहीं; कहा, कल जी लेंगे। आज तो झेल लो दुख। कल सुख जरूर ही सुविधा बनती है। अगर कल भी सुख न हो, तो आज को आएगा; सब ठीक हो जाएगा। आज है अंधेरा, कल सूरज गुजारना मुश्किल हो जाए। जो लोग कारागृह में बंद हैं, वे कारागृह | निकलेगा। आज हैं कांटे, कल फूल खिलेंगे। आज घृणा और क्रोध के बाहर जब मुक्त होंगे, उस खुले आकाश की आकांक्षा में है जिंदगी में, तो कल प्रेम की वर्षा होगी। लेकिन मौत एक ऐसी कारागृह को बिता देते हैं।
घड़ी ला देती है कि कल का सिलसिला टूट जाता है; आज ही हाथ मैंने तो सुना है कि एक कारागृह में एक नया कैदी आया। उसे में रह जाता है। तब हम तड़फड़ाते हैं। तब हम घबड़ाते हैं। मौत का तीस वर्ष की सजा हुई है। वह भीतर सींकचों के गया। एक कैदी | डर आज के साथ जीने का डर है, और आज हम कभी जीए नहीं।
और उस कमरे में बंद है। उसने उससे पूछा कि भाई, तुम्हारी सजा __निष्काम कर्म की धारणा कहती है कि कल पर जो जीवन को कितनी है? उसने कहा कि में तो काफी, दस वर्ष काट चुका। मुझे टाल रहा है अर्थात फल की आकांक्षा में जो जी रहा है, वह पागल सिर्फ बीस वर्ष और रहना है। तो उसने कहा कि तुम दरवाजे के | है। कल कभी आता नहीं। जो है, आज है, अभी है। अभी को जीने पास स्थान ले लो, मुझे दीवाल के पास, क्योंकि तुम्हें जल्दी जाना | की कला चाहिए। अभी को जीने की क्षमता चाहिए। अभी को जीने पड़ेगा। मैं तीस वर्ष रहूंगा; तुम्हें बीस वर्ष ही रहना है। उसने अपना | की कुशलता चाहिए। बोरिया-बिस्तर उठाकर सींकचों के पास लगा लिया। जल्दी उसका कृष्ण तो उसी को योग कहते हैं-आज और अभी, हिअर एंड वक्त आने वाला है। बीस साल बाद वह खुले आकाश के नीचे नाउ, इसी क्षण जीने की जो क्षमता है-वही। लेकिन जिसे इस क्षण पहुंच जाएगा! बीस साल बाद की वह मुक्ति की संभावना, बीस जीना है, उसे फल की दृष्टि छोड़ देनी चाहिए। इस क्षण तो कर्म है। साल के कारागृह को भी गुजार देगी।
फल? फल सदा भविष्य में है, कर्म सदा वर्तमान में है। करना अभी रोज हम कल के लिए टाल देते हैं। आज को झेलने में सुविधा | है, होना कल है। किया अभी जाएगा, फल कल होगा। फल कभी तो बन जाती है, लेकिन इससे जीवन की पहेली हल नहीं होती। वर्तमान में नहीं है। कल फिर यही हाथ लगता है। फिर कल हम परसों के लिए सोचने ___ फल को छोड़ दें। लेकिन फल को हम तभी छोड़ सकते हैं, जब लगते हैं। रोज यही होता है। हमें रोज जिंदगी पोस्टपोन करनी पड़ती | फल विषाक्त सिद्ध हो। फल अगर अमृत का मालूम पड़े, तो छोड़ है, कल के लिए स्थगित कर देनी पड़ती है। वह कल कभी नहीं नहीं सकते हैं। और फल अमृत का मालूम पड़ता है। यद्यपि किसी आता। अंत में मौत आती है और कल का सिलसिला टूट जाता है। को अमृत का फल कभी मिलता नहीं। धोखा सिद्ध होता है। लेकिन
इसलिए तो हम मौत से डरते हैं। मौत से हम न डरें, मौत से डर मालूम पड़ता है। इस प्रतीति से कैसे छुटकारा हो सके? का असली कारण कल के सिलसिले का टूट जाना है। मौत कहती ___ इस प्रतीति से छुटकारे का एक ही मार्ग है कि अपने अतीत में है कि आगे कल नहीं होगा, इसलिए मौत से इतना डर लगता है। | जितने फलों की आकांक्षा आपने की है, उन्हें फिर से पुनर्विचार कर क्योंकि हम जीए ही नहीं कभी, हम तो कल की आशा में जीए। और लें। वे मिल गए आपको। जो पत्नी चाही थी, वह मिल गई; जो मौत कहती है, अब कल नहीं होगा। इसलिए मौत घबड़ाती है। । | पति चाहा था, वह मिल गया। जो नौकरी चाही थी, वह मिल गई
अन्यथा मौत में डर का कोई भी कारण नहीं है। क्योंकि पहली जो मकान चाहा था, वह मिल गया। ऐसा आदमी तो खोजना
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