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@ संशयात्मा विनश्यति
जाया करवा रहे हैं? प्रेम इत्यादि से मैं सदा दर रहा है। मैंने कभी ___ इसलिए आज अमेरिका या फ्रांस में या इंगलैंड में लोग कहते किसी को प्रेम किया ही नहीं। रामानुज ने कहा, फिर तुमसे कहता | हैं, एक बच्चे की बजाय एक टेलीविजन सेट खरीद लेना बेहतर। हूं एक बार; एकाध बार, सोचो, किसी को किया हो—किसी पौधे | | टेलीविजन सेट! जब चाहो बटन दबाओ, चले; बंद करो, बंद हो को किया हो, किसी आदमी को किया हो, किसी स्त्री को किया हो, जाए। आन-आफ होता है। किसी बच्चे को किया हो—किसी को भी किया हो!
व्यक्ति आन-आफ नहीं होता। उसको आप नहीं कर सकते स्वभावतः, उस आदमी ने सोचा कि अगर मैं कहूं कि मैंने किसी आन-आफ। एक छोटे-से बच्चे को मां दबा-दबाकर सुला रही है। को प्रेम किया है, तो रामानुज कहेंगे कि अयोग्य है तू। इसलिए | | आफ करना चाह रही है। वे आन हो-हो जा रहे हैं! उठ-उठ आ उसने कहा, मैंने किया ही नहीं। साफ कहता हूं। प्रेम से मैं सदा दूर | रहे हैं! वे कह रहे हैं कि नहीं, अभी नहीं सोना है। छोटा-सा बच्चा रहा हूं। मुझे तो भगवत्प्रेम की आकांक्षा है।
| भी इनकार करता है कि उसके साथ वस्तु जैसा व्यवहार न किया रामानुज ने कहा कि फिर मैं बड़ी मुश्किल में हूं। फिर मैं कुछ | | जाए। उसके भीतर परमात्मा है। भी न कर पाऊंगा। क्योंकि अगर तूने किसी को थोड़ा भी प्रेम किया | __ व्यक्ति से प्रेम करने में डर लगता है। क्योंकि व्यक्ति स्वतंत्रता होता, तो उसी प्रेम की किरण के सहारे मैं तुझे भगवत्प्रेम के सूरज | | मांगेगा। वस्तुओं से प्रेम करना बड़ा सुविधापूर्ण है; स्वतंत्रता नहीं तक पहुंचा देता। थोड़ा-सा भी तूने किसी में झांका होता प्रेम से, तो | | मांगते। तिजोरी में बंद किया; ताला डाला; आराम से सो रहे हैं। मैं तुझे पूरे अस्तित्व के द्वार में धक्का दे देता। लेकिन तू कहता है | | रुपए तिजोरी में बंद हैं। न भागते, न निकलते; न विद्रोह करते, न कि तूने किया ही नहीं। यह तो ऐसे हुआ कि मैं किसी आदमी से | | बगावत करते; न कहते कि आज इरादा नहीं है चलने का हमारा, पूछ् कि तूने कभी रोशनी देखी, दीया देखा? मिट्टी का दीया जलता | | आज नहीं चलेंगे! नहीं; जब चाहो, तब हाजिर होते हैं; जैसा चाहो, हुआ देखा? वह कहे, नहीं, मुझे तो सूरज दिखा दें। मैंने दीया कभी | | वैसा हाजिर होते हैं। वस्तुएं गुलाम हो जाती हैं, इसलिए हम देखा ही नहीं। पूछता हूं कि कभी तुझे एकाध किरण छप्पर में से | वस्तुओं को चाहते हैं। फूटती हुई दिखाई पड़ी हो? वह कहे, कहां की बातें कर रहे हैं? जो आदमी भी दूसरे की स्वतंत्रता नहीं चाहता, वह आदमी किरण वगैरह से अपना कोई संबंध ही नहीं है। हम तो सूरज के प्रेमी व्यक्ति को प्रेम नहीं कर पाएगा। और जो व्यक्ति को प्रेम नहीं कर हैं। तो रामानुज ने कहा कि जैसे उस आदमी से मुझे कहना पड़े कि | पाएगा, वह भगवत्प्रेम के झरोखे पर ही नहीं पहुंचा, तो भगवत्प्रेम क्षमा कर तू किरण भी नहीं खोज पाया, सूरज तक तुझे कैसे के आकाश में तो उतरने का उपाय नहीं है। पहुंचाऊं? क्योंकि हर किरण सूरज का रास्ता है।
भगवत्प्रेम का अर्थ है, सारा जगत एक व्यक्तित्व है, दि होल व्यक्ति का प्रेम भी भगवत्प्रेम की शुरुआत है। व्यक्ति का प्रेम | | एक्झिस्टेंस इज़ पर्सनल। भगवत्प्रेम का अर्थ है, जगत नहीं है, एक छोटी-सी खिड़की है, झरोखा, जिसमें से हम किसी एक | | भगवान है। इसका मतलब समझते हैं ? अस्तित्व नहीं है, भगवान व्यक्ति में से परमात्मा को देखते हैं। खिड़की! अगर, रामानुज ने है। क्या मतलब हुआ इसका? इसका मतलब हुआ कि हम पूरे कहा, तू एक में भी झांक सका हो, तो फिर मैं तुझे सब में झांकने अस्तित्व को व्यक्तित्व दे रहे हैं। हम पूरे अस्तित्व को कह रहे हैं की कला बता दूं। लेकिन तू कहता है, तूने कभी झांका ही नहीं! कि तू भी है; हम तुझसे बात भी कर सकते हैं।
हम वस्तुओं में जीते हैं। हम व्यक्तियों में भी झांकते नहीं। क्यों? | इसलिए भक्त-भक्त का अर्थ है, जगत को जिसने व्यक्तित्व क्या बात है? वस्तुओं के साथ बड़ी सुविधा है, व्यक्तियों के साथ दिया। भक्त का अर्थ है, जगत को जिसने भगवान कहा। भक्त का झंझट है। छोटे-से व्यक्ति के साथ! घर में एक बच्चा पैदा हो जाए। | अर्थ है, ऐसा प्रेम से भरा हुआ हृदय, जो इस पूरे अस्तित्व को एक अभी दो साल का बच्चा है, लेकिन वह भी एक उपद्रव है। व्यक्ति व्यक्ति की तरह व्यवहार करता है। सुबह उठता है, तो सूरज को है। वह भी स्वतंत्रता मांगता है। उससे कहो, इस कोने में बैठो। तो | | हाथ जोड़कर नमस्कार करता है। सूरज को नमस्कार नासमझ नहीं फिर उस कोने में बिलकुल नहीं बैठता है! उससे कहो, बाहर मत | | कर रहे हैं। हालांकि बहुत-से नासमझ कर रहे हैं। लेकिन जिन्होंने जाओ, तो बाहर जाता है! उससे कहो, फलां चीज मत छुओ, तो | | शुरू किया था, वे नासमझ नहीं थे। छूकर दिखलाता है कि मेरी भी आत्मा है। मैं भी हूं। आप ही नहीं हैं। सूरज को नमस्कार उस आदमी ने किया था, जिसने सारे
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