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________________ गीता दर्शन भाग-20 जाता है. यह भी बता जाता है कि अपनी सामर्थ्य कितनी है। | अहंकार को नहीं, आत्मा को मिलेगी। जितेंद्रिय, श्रद्धावान, शांति जरा-सी बात में तो अपनी केटली गरम हो जाती है; पतला है चद्दर, | | | को उपलब्ध हो जाता है, परम शांति को उपलब्ध होता है। बहुत मोटा नहीं है। जो आदमी जरा-जरा सी बात में, क्षुद्र-क्षुद्र बात __ शांति क्या है? दि सुप्रीम साइलेंस, अल्टिमेट साइलेंस, यह में होश खो देता है, उसे यह भी तो पता चलता है कि अपनी सीमा | परम शांति क्या है? क्या है! अशांति क्या है? अशांति है चित्त का कंपन, उत्तेजना। उत्तेजित ध्यान रहे, जो आदमी क्रोध कर लेता, काम के वशीभूत हो | चित्त-दशा अशांति है। जैसे झील-आंधियों के थपेड़ों में; तूफान जाता, लोभ कर लेता, वह जानता है—वह जानता है कि अपनी में चट्टानों से टकराती हुई लहरें, हवा से जोर मारती लहरें; सब सीमा है। और ध्यान रहे, ऐसा आदमी बहुत अहंकारी नहीं हो उद्विग्न, उदभ्रांत-ऐसा चित्त अशांत है। शांत चित्त—झील की सकता। क्योंकि अहंकार को खड़े होने के लिए उसके पास बहुत तरह मौन; हवाओं के थपेड़े नहीं; लहरों का शोरगुल नहीं; कोई फाउंडेशंस नहीं होते। जरा-जरा सी बात में तो सब गड़बड़ हो जाता संघर्ष नहीं; मौन। है! अपने पर ही तो भरोसा नहीं है। अहंकार क्या करें? और जो सुख में भी उत्तेजना है, दुख में भी उत्तेजना है। इसलिए शांति आदमी क्रोध करता, लोभ करता, बेईमानी भी कर लेता, वह दूसरों सुख और दुख के पार है। सुखी आदमी शांत नहीं होता; सुखी के प्रति भी दयावान होता है। क्योंकि वह जानता है, हम भी कमजोर आदमी भी अशांत होता है। दुखी आदमी भी शांत नहीं होता; दुखी हैं, दूसरे भी कमजोर हैं। आदमी भी अशांत होता है। क्योंकि सुख की अपनी उत्तेजना है; इसलिए साधु-संत अक्सर कठोर और क्रूर हो जाते हैं। क्योंकि प्रीतिकर लगती है, यह हमारी धारणा है। दुख की अपनी उत्तेजना वे क्रोध कभी नहीं करते; इसलिए दूसरा अगर क्रोध कर ले, तो है; अप्रीतिकर लगती है, यह हमारी धारणा है। उसकी गर्दन में फांसी लगाने की इच्छा पैदा हो जाती है। क्योंकि और इसलिए जो एक को दुख है, वह दूसरे को सुख भी हो उन्होंने कभी वासना नहीं की; तो दूसरे के मन में वासना आ जाए, सकता है। और इसलिए जो एक को सुख है, वह दूसरे को दुख भी तो नर्क में डालने की इच्छा हो जाती है। साध-संत. तथाकथित. हो सकता है। और इसलिए जो आज आपको सख है. वह कल श्रद्धावान नहीं, लेकिन जो किसी तरह इंद्रियों को जीतने की चेष्टा दुख हो सकता है। और इसलिए जो आज आपको दुख है, वह कल में लगे रहते हैं; खतरनाक हो जाता है उनका मामला बहुत बार। सुख हो सकता है। कनवर्टिबल है; सुख दुख में बदल सकते हैं। इसलिए साधु-संत को दयावान पाना जरा कठिन है। क्योंकि दोनों उत्तेजनाएं हैं। सिर्फ दृष्टिकोण से फर्क पड़ता है कि साधु और दयावान पाना जरा कठिन है! इसका मतलब यह हुआ | क्या सुख और क्या दुख। कि साधु पाना कठिन है। रास्ते पर चलते हुए जिस आदमी के मन सुख में भी हार्ट फेल हो जाते सुना जाता है। सुख में भी में लोभ नहीं आया, क्रोध नहीं आया, वासना नहीं आई, काम नहीं हृदय-गति बंद हो जाती है। निश्चित ही, सुख बड़ी तीव्र उत्तेजना आया. वह दसरे के प्रति कभी भी दयावान हो नहीं पाता। क्योंकि होगी। मिलता नहीं है हम सबको सुख, इसलिए सबका नहीं होता। वह कहता है, जो मुझे नहीं हुआ, वह तुम्हें हो रहा है! पापी हो। | मिलता ही कम है। या मिलता है. तो इतना रत्ती-रत्ती मिलता है कि लेकिन जिसके मन में सब हुआ, जो दूसरे को हो रहा है, वह हम इम्यून हो जाते हैं; हम समर्थ हो जाते हैं झेलने में। इकट्ठा मिल अनिवार्य रूप से, अनिवार्य रूप से विनम्र हो जाता है। और जानता जाए, लाटरी की तरह मिल जाए, कि दस लाख रुपए की लाटरी है कि मुझ पर मेरा ही वश नहीं; अगर दूसरे का वश नहीं, तो कुछ मिल गई किसी को, तो खतरा है। लाटरी तो मिलेगी. लाटरी पाने नर्क में जाने की बात नहीं हो गई है! यह स्वभाव है मनुष्य का, टु वाला नहीं बचेगा। इर इज़ ह्यूमन। वह इस बात को समझ पाता है कि भूल आदमी से सुख इकट्ठा आ जाए, तो तोड़ जाता है, दुख से भी ज्यादा तोड़ होती है। जाता है। क्योंकि दुख परिचित है, उसके हम इम्यून हैं, वह रोज जितेंद्रिय पुरुष अगर श्रद्धावान न हो, तो खतरे हैं। इसलिए कृष्ण | आता है। इसलिए कितना भी आ जाए, दुख में हार्ट फेल होते हुए तत्काल जोड़ते हैं, जितेंद्रिय और श्रद्धावान। श्रद्धावान होगा, तो | नहीं सुने जाते। बड़े से बड़ा दुख आदमी झेल जाता है; हृदय-गति जितेंद्रिय होकर, उसकी जो जितेंद्रिय से उपलब्ध शक्ति है, वह बंद नहीं होती। क्योंकि दुख इतने हैं जीवन में, हमारी दृष्टि ऐसी 250
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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