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________________ ज्ञान पवित्र करता है ग संसिद्धि, जहां योग सिद्ध हो जाता, उस घड़ी में। | मुश्किल है। इसको कुछ करना ही पड़ेगा। इसको करना ही पड़ेगा। | फिर सिर्फ सिद्ध नहीं, संसिद्ध, सम्यकरूप से सिद्ध | | यह कमिटमेंट हुआ। यह बच नहीं सकता। यह प्रतिबद्ध है। हो जाता, उस घड़ी में। जहां योग सम्यकरूप से सिद्ध ___ इसलिए जब मुझे कोई दूसरे दिन सुबह आकर खबर देता है कि हो जाता; मिलन, जोड़, जहां बंद और सागर जुड़ते, मिलते फलां आदमी रात बारह बजे तक तालाब के किनारे बैठकर आपको सम्यकरूप से, पूर्णरूप से, समग्ररूप से; जहां मिलन संसिद्ध | गाली देता था, तो वह चकित होकर आकर बताता; मैं कहता, मैं होता, उस घड़ी में शुद्ध हुआ अंतःकरण। उसका रूपांतर ठीक है, भलीभांति जानता, क्योंकि वह कल शाम मेरी प्रशंसा कर गया था। समत्वबुद्धि को उपलब्ध। एक ही बात है। नींद कैसे आती? रात हलका हो गया होगा। पेंडुलम वापस लौट बुद्धि सम तभी होती, जब योग सिद्ध होता। जब व्यक्ति का गया। वह घर आकर सो गया होगा। समष्टि से मिलन होता, तभी बुद्धि सम होती। उसके पहले बुद्धि | | ऐसा ही है। मन पूरे समय ऐसा ही है। विषम में डोलता रहता डोलती ही रहती; विषम होती। यहां से वहां, इधर से उधर डोलती | है, विपरीत में डोलता रहता है। ऐसे मन को लेकर प्रभु-मिलन नहीं रहती। हो सकता। क्यों नहीं हो सकता? विषम बुद्धि वाला मन हमारी बुद्धि सदा विषम है, डोलती रहती है। और ऐसा भी नहीं प्रभु-मिलन को क्यों उपलब्ध नहीं हो सकता? क्योंकि मंदिर में की है कि एक ही तरफ डोलती है, सदा विपरीत तरफ डोलती रहती है, गई प्रार्थना, दोपहर बाजार में इनकार की जाएगी; मंदिर में की गई कंट्राडिक्टरी डोलती रहती है, घड़ी के पेंडुलम की तरह। प्रार्थना, बाजार की भीड़ में खंडित की जाएगी। घड़ी का पेंडुलम देखते हैं आप? कभी-कभी गौर से देखना। टाल्सटाय ने अपना एक संस्मरण लिखा है। एक दिन चाहिए। पुरानी घड़ियां अच्छी थीं, जिनमें पेंडुलम होता था; उससे | सुबह-सुबह जल्दी नींद खुल गई। और टाल्सटाय चल पड़ा चर्च 'आदमी की खोपड़ी का पता चलता था। नई घड़ियां बहुत चालाक | | की ओर। पहुंच गया। पांच बजे थे, कुहासा छाया था मास्को नगर हैं, उनसे कुछ पता नहीं चलता। | में। चारों तरफ अंधेरा था। सूरज के उगने में घंटों की देर थी। चर्च पुरानी घड़ी का पेंडुलम डोलता रहता था नीचे, टिक-टिक। एक के भीतर गया। आवाज सुनाई पड़ी। आवाज कुछ पहचानी मालूम कोने से दूसरे कोने, टिक-टिक। कभी देखा खयाल से? जब | पड़ी, तो चुपचाप धीरे-धीरे भीतर गया। कोई प्रायश्चित्त कर रहा पेंडुलम बाईं तरफ जाता है, तब वह दाईं तरफ जाने का सामर्थ्य | | है, कोई रिपेंटेंस कर रहा है। आवाज पहचानी हुई लगी कि कोई इकट्ठा करता है। जब वह बाईं तरफ जाता है, तब वह दाईं तरफ जाने | | परिचित है। का मोमेंटम पैदा करता है। असल में बाईं तरफ जाकर, वह दाईं तरफ ___टाल्सटाय शाही घराने का आदमी था; खुद काउंट था। कौन जाने की शक्ति अर्जित करता है। बड़ी उलटी बात होती है। जब दाईं | होगा? धीरे-धीरे सरककर पीछे पहुंचा। देखा, गांव का, मास्को तरफ जाता है, तब बाईं तरफ जाने की तैयारी कर रहा है। का सबसे बड़ा धनपति खड़ा हुआ परमात्मा से कह रहा है अंधेरे जब कोई आदमी आपकी प्रशंसा करता है, तब सम्हलना, अब में कि हे प्रभु, मैंने बहुत पाप किए। मैं चोर हूं, बेईमान हूं, बुरा वह थोड़ी देर में निंदा करेगा! पेंडुलम गया प्रशंसा की तरफ, वह | हूं। मुझसे बुरा कोई भी नहीं है! टाल्सटाय ने कहा, अरे, यह तैयारी है निंदा की तरफ जाने की। हमेशा समझना कि अब यह | | आदमी इतना बुरा! क्योंकि इसको तो हम सोचते थे, बहुत अच्छा बेचारा मुश्किल में पड़ता है थोड़ी-बहुत देर में। अब यह कहीं | | है। इसको तो गांव में लोग धर्मवीर कहते हैं। मंदिर बनाता, चर्च जाकर निंदा करेगा। तब लौटेगा पेंडुलम। नहीं तो वह लौटेगा | | बनाता। यह चर्च भी उसका ही बनाया हुआ है। और यह आदमी कैसे? जो कोई आदमी प्रेम करता है, वह घृणा की तैयारी कर रहा पापी और सबसे बुरा। है। जो घृणा करता है, वह प्रेम की तैयारी कर रहा है। बड़ी उलटी स्वभावतः, टाल्सटाय को लगा, भागू और जाकर बाजार में बात लगेगी। लेकिन ऐसा ही है। खबर करूं कि हम बड़ी भूल में पड़े हैं। पर कहा, थोड़ा रुक जाऊं, कोई आदमी मुझे आदर दे जाता है, मैं समझ जाता हूं कि अब | इससे मिलकर जाऊं। यह चौबीस घंटे के भीतर निपटारा करेगा। रात बारह बजे तक उस आदमी की प्रार्थना पूरी हुई। सुबह की किरणें फूटने लगीं। जागकर गाली देगा किसी तालाब के किनारे बैठकर। बहुत उस आदमी ने पीछे लौटकर देखा; देखा, लिओ टाल्सटाय! 237
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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