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________________ ज्ञान पवित्र करता है आत्मा में द्वार मिल जाता है। आत्मा ही हो जाता है, वैसा जानने जाऊं कि मुझे पता नहीं है और मैं उधार शब्द दोहरा रहा हूं! वाला। तो क्या हम आत्मा नहीं हैं? हम सभी आत्मा हैं। सब इस मुल्क में ऐसी दुर्घटना घटी है। कभी-कभी सौभाग्य भी किताबों में लिखा है! खुद कृष्ण ही कहते हैं कि सबके भीतर आत्मा दुर्भाग्य हो जाते हैं। इस मुल्क ने कृष्ण की वाणी सुनी; इस मुल्क है, वह मरती नहीं। जब हम सभी आत्मा हैं, तो अब ज्ञान की और ने बुद्ध के वचन सुने; इस मुल्क ने महावीर के शब्द सुने; इस मुल्क क्या जरूरत है? | ने पतंजलि, शंकर, नागार्जुन, वसुबंधु, धर्मकीर्ति, दिग्नाग-न जार्ज गुरजिएफ कहा करता था कि जिन लोगों ने लोगों को मालूम कितने जानने वाले लोगों की वाणी को पीया। सौभाग्य होना समझाया कि सबके भीतर आत्मा है, उन्होंने जगत की बड़ी हानि चाहिए था यह; लेकिन हो गया दुर्भाग्य। सुन-सुनकर हम भी की है। और जब उसने यह कहा, तो उसने बहुत सोच-विचारकर | | दोहराने लगे, हम भी कहने लगे, आत्मा है; ब्रह्म है। कहा है। गुरजिएफ ने उलटी बात कहनी शुरू की। इस बात को | पान की दुकान पर भी ब्रह्मचर्चा चलती है, विवाद चलते हैं! पान भलीभांति जानते हुए कि सभी के भीतर आत्मा है, गुरजिएफ ने | भी चलता है, ब्रह्मचर्चा भी चलती है! ऐसी ब्रह्मचर्चा महंगी पड़ी। कहना शुरू किया, सभी के भीतर आत्मा नहीं है। जो आत्मा को | | महंगी इसलिए पड़ी कि सुन-सुनकर, सुन-सुनकर ऐसा लगा कि पैदा कर ले, उसी के भीतर है; बाकी तो बिना आत्मा के हैं। । हम जानते हैं। और अज्ञान में खयाल आ जाए कि जानते हैं, तो गुरजिएफ का मतलब था। गुरजिएफ कहता था, सभी को यह | आत्मा में प्रवेश कभी नहीं हो पाता। खयाल हो गया है कि हमारे भीतर आत्मा है। जानें न जानें, है ही; . इसलिए कृष्ण कहते हैं, जो जानता है, वही आत्मा को उपलब्ध पाएं न पाएं, है ही। फिर क्या फर्क पड़ता है? है तो। गुरजिएफ | होता है, वही प्रवेश कर पाता है, वही आत्मा हो पाता है। कहता था, तब तक है या नहीं बराबर है, जब तक जानी नहीं। जब | आत्मा होना खेल नहीं है, बड़ी से बड़ी तपश्चर्या है। स्वयं को तक जानी नहीं, तब तक न होने के बराबर है। उसके होने का क्या जानना लंबी यात्रा है। लेकिन दूसरे के उधार शब्दों को कंठस्थ कर मतलब? | लेना बड़ी सुगम बात है। स्कूल के बच्चे कर सकते हैं। बूढ़े भी आपके घर में खजाना गड़ा है और आपको पता नहीं कि कहां वही करते रहते हैं। गड़ा है। कुछ मतलब है? कोई बाजार में क्रेडिट मिलेगी उसकी? मैं एक अनाथालय में गया था। बच्चे मुझे बताए गए। और भिखमंगा हूं मैं और घर में खजाना गड़ा है। मेरा भिखमंगापन शिक्षकों ने कहा कि हम इन्हें धर्म-शिक्षा देते हैं। मैंने कहा, मैं भी मिटेगा इससे? गड़ा रहे घर में खजाना; मुझे कुछ पता नहीं है, वह | | जानूं क्योंकि मैंने अब तक सुना नहीं कि धर्म की शिक्षा हो सकती कहां है! जो खजाना पता न हो, वह न होने के बराबर है। जिसका है। उन्होंने कहा, क्या बात करते हैं? सब बच्चे परीक्षा में उत्तीर्ण हो पता हो, वही है। गए हैं धर्म की। मैंने कहा, धर्म की कोई परीक्षा हो सकती है? फिर इसलिए कृष्ण कहते हैं, जो जान लेता, वही आत्मा को उपलब्ध | | भी मैं देखू। होता है। ज्ञान ही आत्मा है। अज्ञान का क्या अर्थ है, कि आत्मा है? __पूछा एक बच्चे को खड़ा करके उन्होंने कि बोलो, आत्मा है? सुनी हुई बातों की, खबरों की कोई कीमत है! उसने कहा, है। परमात्मा है? उसने कहा, है। और बाकी बच्चे भी __ हम सबने सुना है, आत्मा है, बड़े निश्चित हैं। सोचते हैं, है ही।। हाथ हिलाने लगे। फिर उन्होंने पूछा, आत्मा कहां है? सब बच्चों ने फर्क क्या है हममें और ज्ञानी में? थोड़ा ही फर्क है कि वह जानता | अपने हृदय पर हाथ रख दिए कि यहां। है और हम नहीं जानते। फर्क कुछ भी नहीं है, हम सोचते हैं। फर्क मैंने एक छोटे बच्चे से पूछा कि हृदय कहां है? उसने कहा, यह बहुत बड़ा है। क्योंकि यह न जानना, न होने के बराबर है, | तो कोर्स में ही नहीं है। हृदय कहां है, यह लिखा ही नहीं है। पढ़ाया इक्वीवेलेंट, बिलकुल समतुल। ही नहीं गया! जब तक अज्ञान है, तब तक अनात्मा है। जब ज्ञान है, तभी मैंने उन शिक्षकों से कहा कि यह इनको तुमने कंठस्थ करवा आत्मा है। ज्ञान के पहले यह कहना कि मेरे भीतर आत्मा है, धोखा दिया; इनका तुमने बड़ा अहित किया। अब ये याद कर-कर के है बड़े से बड़ा। दूसरे के लिए नहीं, अपने लिए धोखा है। क्योंकि | | जिंदगी में बाद में भूल ही जाएंगे कि हमको पता नहीं है। जब भी हो सकता है, दोहराते-दोहराते कि मैं आत्मा हूं, मैं यह भूल ही सवाल उठेगा, आत्मा है, बचपन में सीखा गया हाथ ऊपर हिलने 1235
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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