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गीता दर्शन भाग-2
नहीं। ट्रथ नहीं, फैक्ट। तथ्य है, केंद्र पर जीवन के। | डिटेरिओरे होता हुआ शरीर है! फूल से ढांक देते हैं, ताकि फूल
मौत प्रतिक्षण घटित हो सकती है। जो घटना प्रतिक्षण घटित हो | | दिखाई पड़ें, मरता हुआ शरीर दिखाई न पड़े। सकती है, उसको गांव के बाहर रखना ठीक नहीं है। अर्थी निकलती | ___ आदमी मरता, उसकी लाश ले जाते। जिस आदमी ने जिंदगीभर है द्वार से, तो लोग घर का दरवाजा बंद करके बच्चों को भीतर कर राम का नाम नहीं लिया, और जिन्होंने कभी राम का नाम नहीं लेते हैं, भीतर आ जाओ!
| लिया, वे भी उसकी अर्थी के साथ राम नाम सत्य है, कहते हुए जाते मौत याद न आ जाए! क्योंकि जिसे मौत याद आ गई, उसके। | हैं! क्या बात है? अटेंशन हटा रहे हैं, मौत से हट जाए। अगर कुछ जीवन में संन्यास को ज्यादा देर नहीं है। जो मौत को भुला ले, वही | | न कहते हुए चुपचाप लोग अर्थी के साथ जाएं, तो अर्थी को भूलना संसार में हो सकता है। जिसको मौत स्मरण आ जाए, उसका संसार | मुश्किल हो जाए। कुछ कहते हुए जाते हैं; अर्थी को भूलना आसान संन्यास बनने लगता है।
हो जाता है। अपने कहने में लग जाते हैं। राम की आड में मौत को इसलिए मौत को छिपाते हैं, हजार ढंग से छिपाते हैं। गांव के | छिपाने की कोशिश करते हैं। हालांकि राम उन्हीं को मिलता है, जो बाहर बनाते हैं मरघट। मरा नहीं आदमी कि ले जाने की इतनी जल्दी | मौत को पार करते, आमना-सामना करते; उनको नहीं, जो राम की पड़ती है, जिसका हिसाब नहीं! इतनी जल्दी? रहने दें थोड़ी देर! | | आड़ में मौत को छिपाने की कोशिश करते हैं! लोगों को देख लेने दें: स्मरण कर लेने दें कि यही घटना उनकी भी मृत्यु भुलाते हैं हम, जानते नहीं। जो भुलाता है, उसे याद आती घटने वाली है।
चली जाती है। जो जानता है, उसके लिए समाप्त हो जाती है, होती नहीं; बड़ी जल्दी मचती है। घर के लोग रोने-धोने में, | ही नहीं। यह जो हमारा भुलावा चल रहा है जिंदगी में, इससे हम पास-पड़ोस के लोग विदा करने में एकदम तीव्रता करते हैं। क्या कभी भूल नहीं पाते। हर जगह उसकी खबर मिल जाती है। कारण है? इतनी जल्दी क्या है? जिस आदमी को वर्षों चाहा और फल सबह खिलता और सांझ मा जाता. और कह जाता कि प्रेम किया, उसको विदा करने की इतनी शीघ्रता क्या है? मौत। प्रेम घड़ीभर खिलता और सूख जाता, और खबर दे जाता,
शीघ्रता का आंतरिक कारण है, मनोवैज्ञानिक। मरे हुए की मौत है। जवानी आती और चली जाती, और खबर दे जाती, मौत मौजूदगी हमें अपने मरे होने की खबर लाती है। जल्दी ले जाओ। है। हरे पत्ते लगते और पतझड़ में झड़ जाते, और खबर दे जाते, जमीन में गड़ाओ कि आग लगाओ। मिटाओ, निशान हटाओ। मृत्यु मौत है। सुबह सूरज उगता और सांझ डूबने लगता, और खबर दे का निशान न रह जाए जीवन के पर्दे पर कहीं; उसे अलग कर दो। | जाता, मौत है।
और मजे की बात यह है कि जन्म के बाद अगर कोई चीज की | जिसकी जिंदगी में अभी अमृत का पता नहीं चला, उसका सब सरटेंटी है, कोई चीज निश्चित है, तो वह मृत्यु है। जन्म के बाद | विषाक्त हो जाता है, सब पायजंड हो जाता है। कोई सुख हो नहीं अगर कोई चीज प्रेडिक्टेबल है, किसी चीज की भविष्यवाणी की | सकता। जब तक मृत्यु की कालिमा पीछे खड़ी है, सब सुख अंधेरे जा सकती है, तो वह मृत्यु है। बाकी किसी चीज की भी | हो जाते हैं। भविष्यवाणी की नहीं जा सकती। भविष्यवाणी का यह मतलब नहीं | | सच तो यह है कि सुख के क्षण में मृत्यु की कालिमा और गहन कि तारीख और दिन बताया जा सकता है। भविष्यवाणी का यह | | होकर दिखाई पड़ती है। दुख के क्षण में उतनी गहन नहीं होती; सुख मतलब कि मृत्यु होगी, इतना तय है। बाकी सब चीजें हों भी, न भी | के क्षण में बहुत गहन हो जाती है। हों। विवाह हो भी सकता है. न भी हो। स्वास्थ्य रहे भी, न भी रहे। कीर्कगार्ड ने लिखा है कि प्रेम के क्षण में मत्य जितनी प्रगाढ बीमारी आए भी, न भी आए। धन मिले भी, न भी मिले। लेकिन | | मालूम होती है, उतनी कभी नहीं मालूम होती। मृत्यु के बाबत ऐसा नहीं कहा जा सकता कि हो भी, न भी हो। ___ अगर कृष्णमूर्ति को सुनें, अगर वे डेथ पर बोलना शुरू करें, तो
जो इतनी निश्चित है घटना, उसे हम बाहर रखते हैं और कई लव पर जरूर बोलेंगे। अगर लव पर बोलना शुरू करें, तो डेथ पर चीजों से भुलाते हैं। कैसे-कैसे भुलाने का उपाय करते हैं! अर्थी पर जरूरत बोलेंगे—उसी भाषण में, बाहर नहीं जा सकते वे। अगर फूल ढांक देते हैं-ईसाई ढंग भुलाने का। फूलों से ढांक देते हैं वह प्रेम पर बोलना शुरू करेंगे, तो अनिवार्य मानना कि मृत्यु पर अर्थी को। फूलों के नीचे सड़ा हुआ शरीर है, सड़ता हुआ, | | बोलकर रहेंगे। अगर मृत्यु पर बोलेंगे, तो प्रेम पर बोलकर रहेंगे।
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