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________________ अंतर्वाणी-विद्या टिकाना। मुंह खोला है बोलने को, तो फिर खुला ही रह जाए, जब | ठहर गए, तो ठहर गए। कहा, स्टाप। हाथ उठाया काम के लिए, हाथ वहीं रह जाए। आंख ___ मन ने जरूर कहा होगा, पागल है। मर जाएगा। जिंदगी गंवा खुली थी, तो खुली रह जाए, फिर पलक न झपे। | देगा। बाहर निकल जा। तीन साथी बाहर निकल गए, उनमें भी इसका वह महीनों से प्रयोग करवा रहा था। क्या मतलब है | बुद्धि है। वे भी साधना कर रहे हैं। तू ही कोई साधना नहीं कर रहा इसका? इसका मतलब इतना ही है कि यह प्रक्रिया तभी हो सकती है। लेकिन नहीं; खड़ा ही रहा। है, जब मालिक जगे, अन्यथा नहीं हो सकती। और इस प्रक्रिया | फिर पानी नाक को डुबा गया। फिर आंख को डुबा गया। फिर को किसी को करना है, तो उसके भीतर का मालिक जगना शुरू | पानी की लहर सिर को डुबा गई। और गुरजिएफ भागा तंबू के हो जाएगा। | बाहर। कूदा नहर में, उस युवक को बाहर निकालकर लाया। वह हां, नौकर धोखा देंगे। आपने पैर उठाया और गुरजिएफ ने कहा, । करीब-करीब बेहोश था। पानी भर गया था। पानी निकाला। वह स्टाप। तो मन कहेगा, वह देख तो नहीं रहा है, उसकी पीठ उस युवक होश में आया और गुरजिएफ के चरणों पर गिर पड़ा। उसने तरफ है। यह पैर नीचे रख ले। नाहक परेशान हो जाएगा। अगर कहा, मैंने तो कभी सोचा भी न था कि अगर मैं इतना बल उसकी मान ली, मन की, और पैर नीचे रख लिया, तो मालिक | | दिखाऊंगा, तो मेरे भीतर का सोया मालिक जग जाएगा! मैंने मृत्यु सोया रहेगा। लेकिन अगर कह दिया कि नहीं; पैर अब ऐसा ही | | के इस क्षण में अमृत को भी जान लिया है। रहेगा; तो मन हारा। और जब मन हारता है, तभी मन के पीछे जो | | योग का अर्थ है, भीतर जो सोया है, उस पर चोट करनी है, उसे छिपी शक्ति है, वह जीतती है। उठाने के लिए चोट करनी है। हजार रास्ते हैं उस पर चोट करने के। मन की हार स्वयं की जीत बन जाती है। नौकरों का हारना, | हठयोग के अपने रास्ते हैं, राजयोग के अपने रास्ते हैं, मंत्रयोग के मालिक का जगना हो जाता है। जब तक नौकर जीतते रहते हैं, | अपने रास्ते हैं, तंत्र के अपने रास्ते हैं। हजार-हजार विधियां हैं, मालिक को खबर ही नहीं लगती कि हारने की हालत पैदा हो गई है | | जिन विधियों से उस सोई हुई चेतना में जो भीतर केंद्र पर प्रसुप्त है, महल में। जब नौकर हार जाते हैं, तो मालिक को उठना पड़ता है। | उसे जगाने की कोशिश की जाती है। तो गुरजिएफ यह प्रयोग करा रहा था। पास ही एक बड़ी नहर । __ जैसे कोई आदमी सोया हो, उसे जगाने के बहुत रास्ते हो सकते थी। सूखी थी, अभी पानी छूटा नहीं था। एक दिन सुबह वह अपने हैं। कोई उसका नाम लेकर जोर से पुकार सकता है; तो उठ आए। तंबू में था। तीन-चार लोग नहर पार कर रहे थे। कोई लकड़ी काटने कोई उसका नाम लेकर न पुकारे, सिर्फ चिल्लाए कि मकान में आग जा रहा था, कोई जंगल गया था, कोई कुछ कर रहा था। जोर से लग गई है, और वह आदमी उठ आए। कोई मकान में आग लगने तंबू के बाहर आवाज गूंजी, स्टाप! चार लोग नहर पार कर रहे थे। की बात भी न करे, सिर्फ संगीत बजाए, और वह आदमी उठ आए। सूखी नहर थी। वे वहीं रुक गए। रुके नहीं कि दो क्षण बाद नहर कोई संगीत भी न बजाए, सिर्फ तेज रोशनी उसकी बंद आंखों पर में पानी छोड़ दिया गया। घबड़ाए! डाले, और वह आदमी उठ आए। ऐसे योग के हजार रास्ते हैं, एक ने लौटकर देखा कि गरजिएफ तो तंब के भीतर है, उसे पता जिनसे भीतर सोई हुई कांशसनेस को, चेतना को चोट की जाती है। भी नहीं है कि हम नहर में खड़े हैं। पानी छट गया है। वह निकलकर और उस चोट से वह जग आता है। एक-दो उदाहरण के लिए बाहर आ गया। उसने कहा, स्टाप का मतलब कोई मरना तो नहीं | आपसे कहूं, क्योंकि वह तो बहुत-बहुत लंबी बात है। है! तीन खड़े रहे। पानी और बढ़ा। कमर तक पानी हो गया, तब । जैसे ओम शब्द से हम परिचित हैं। वह भीतर सोए हुए आदमी एक ने लौटकर देखा। उसने देखा कि अब तो जान जाने का खतरा | | को जगाने के लिए मंत्रयोग की विधि है। अगर कोई व्यक्ति जोर है। यह पानी ऊपर बढ़ता जा रहा है। अब कोई अर्थ नहीं है। कपड़े | | से ओम का नाद करे भीतर, तो उसकी नाभि के पास जोर से चोट भी भीगे जा रहे हैं। कोई सार नहीं है। वह बाहर निकल आया। दो | होने लगती है। नाभि जीवन-ऊर्जा का केंद्र है। नाभि से ही बच्चा फिर भी खड़े रहे। पानी और ऊपर बढ़ा, गर्दन, ओंठ-और तीसरा | मां से जुड़ा होता है। नाभि के द्वारा ही मां से जीवन पाता है। फिर भी छलांग लगाकर बाहर हो गया। उसने कहा, अब तो सांस का नाभि कटती है अलग, तो बच्चा अलग होता है। नया जीवन शुरू खतरा है। लेकिन चौथा फिर भी खड़ा रहा। स्टाप यानी स्टाप। जब | होता है।
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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