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अंतर्वाणी-विद्या
बोझ हो जाता है। फिर जमीन तो नीचे की तरफ खींचती है, लेकिन प्रकृति का नियम नहीं। परमात्मा फिर ऊपर की तरफ खींचता हुआ मालूम नहीं पड़ता। हम सब अपनी बिल्ट-इन योजना लेकर पैदा होते हैं। हम क्या इसलिए दुख में आदमी मरना चाहता है। मरना चाहता है मतलब, हो सकते हैं, इसका ब्लू प्रिंट हमारे सेल-सेल में छिपा रहता है। जमीन के ग्रेविटेशन में दफन हो जाना चाहता है। दुख में आत्महत्या हम क्या हो सकते हैं, इसकी तजवीज हम अपने जन्म के साथ कर लेना चाहता है; मतलब, डस्ट अनटु डस्ट, मिट्टी मिट्टी में लौट लेकर पैदा होते हैं। जाए, इसके लिए आतुर हो जाता है।
अगर दुर्घटना घट जाए, तो यह हो सकता है कि हम वह न हो ठीक इससे उलटी घटना भी घटती है। जब कोई आनंद से पाएं, जो हम हो सकते थे। लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं घट सकती भरता है, तो कांशसनेस अनटु कांशसनेस-मिट्टी में मिट्टी | कि हम वह हो जाएं, जो कि हम नहीं हो सकते थे। नहीं—परमात्मा में परमात्मा मिलने को आतुर हो जाता है। जब ___ इसे मैं फिर से दोहरा दूं, यह हो सकता है कि हम वह न हो पाएं, कोई फूल खिलता है आनंद का, तो ऊपर से अनुग्रह की वर्षा होने | | जो कि हम हो सकते थे। हम चूक सकते हैं अपनी नियति। लेकिन लगती है। वह खिली हुई फूल की पंखुड़ियों पर अमृत बरसने लगता | इससे उलटा नहीं होता कभी, नहीं हो सकता कभी, कि हम वह हो है प्रभु के प्रसाद का। आनंद में मन खिल जाता है फूल की तरह। | जाएं, जो कि हम नहीं हो सकते थे। ___ इसलिए तो जिन्होंने भी अनुभव किया है परम आनंद का, वे यह हो सकता है, गुलाब का फूल गुलाब का फूल भी न हो कहेंगे कि मस्तिष्क में सहस्रदल कमल खिल जाता है। वह प्रतीक | पाए। लेकिन यह नहीं हो सकता कि गुलाब का फूल, और कमल है, सिंबालिक है। वह केवल काव्य में प्रकट किया गया अनुभव | का फूल हो जाए। गुलाब का फूल अगर कमल होने की कोशिश है। मस्तिष्क के ऊपर खिल जाता है फूल हजारों पंखुड़ियों वाला; | में लगे, तो मैंने कहा, इसके दो पहलू हैं। एक पहलू कि वह कमल उस खिले हुए फूल में बरसा होने लगती है अनुग्रह की। कभी न हो पाएगा। कमल होने की चेष्टा में विषाद को उपलब्ध - और जब कोई उतने आनंद से भरता है, तो परमात्मा को होगा-दुख, पीड़ा, एंग्विश। धन्यवाद दे पाता है। कहना चाहिए. धन्यवाद देने के लिए परमात्मा सोरेन कीर्कगार्ड ने इस विषाद का ठीक-ठीक चित्रण किया है। को स्वीकार कर पाता है। अनुग्रह फिर किसके प्रति प्रकट करे? | | उसने जो शब्दों के प्रयोग किए हैं, वह खयाल में ले लेने जैसे हैं, जब भीतर आनंद की वर्षा होने लगे और हृदय का कोना-कोना ट्रेंबलिंग। वह कहता है कि जब आदमी विषाद में होता है, तो सारा नाच उठे और अंधकार विदा हो जाए और पंखुड़ी-पंखुड़ी खिल हृदय एक कंपन हो जाता है, एक ट्रेंबलिंग। वह कहता है, जब जाए, फिर धन्यवाद किसके प्रति प्रकट करे? उस धन्यवाद को आदमी विषाद में हो जाता है, तो ड्रेड पकड़ लेता है, जैसे मौत प्रकट करने के लिए परमात्मा को खोजना पड़ता है।
सामने खड़ी हो और हमारे भीतर भी सब मृत्यु के भय में, अंधकार आनंद से भरा चित्त आस्तिक हो जाता है; दुख से भरा चित्त | में डूब जाए। नास्तिक हो जाता है। नास्तिकता ग्रेविटेशन है। जमीन की ताकत यह जो स्थिति है विषाद की-एंग्विश कहता है सोरेन नीचे की तरफ खींचती है। आस्तिकता ग्रेस, प्रसाद है, अनुग्रह है; | कीर्कगार्ड–संताप की, जहां कुछ भी फिर प्रीतिकर नहीं लगता, ऊपर की तरफ ले जाता है।
कुछ भी अर्थपूर्ण नहीं लगता, अभिप्रायपूर्ण नहीं लगता; सब व्यर्थ, __व्यक्ति जब भी अपने निज धर्म को भूलता है, तब ऐसी हालत मीनिंगलेस, सांयोगिक लगता है। हैं, तो ठीक। न हों, तो कोई हर्ज हो जाती है, जैसे गुलाब का फूल कमल होना चाहे। जब व्यक्ति नहीं मालूम पड़ता। बल्कि न हों, तो शांति मालूम पड़ती है। हों, तो निज धर्म को भूलता है, तो उसका मतलब, वह कोई और होना | अशांति मालूम पड़ती है। चाहता है, जो नहीं है।
गुलाब का फूल कमल होना चाहे, तो ऐसा होगा, एक पहलू। ब्राह्मण शूद्र होना चाहे, शूद्र क्षत्रिय होना चाहे, क्षत्रिय वैश्य | और दूसरा पहलू यह कि गुलाब की ताकत अगर कमल होने की होना चाहे। जन्म की बहुत फिक्र नहीं है—गुण-धर्म से, गुण-कर्म | | कोशिश में लग जाए, तो गुलाब फिर गुलाब कभी नहीं हो पाएगा। से। भीतर की जो क्षमता है, वह जब अपने से भिन्न कुछ होना चाहे, | | क्योंकि ताकत सीमित है, क्षमता निश्चित है। ऊर्जा बंधी हुई मिली तो मुश्किल में पड़ जाती है। हो नहीं सकती। वह असंभव है। वह | है प्रत्येक को, नपी हुई मिली है प्रत्येक को। अगर उसे इतर,