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गीता दर्शन भाग-28
प्रश्न: भगवान श्री, अट्ठाइसवें श्लोक में चार यज्ञों की ग्रेटिटयूड से। और विषाद में अनुग्रह का भाव कैसे पैदा होगा? बात कही गई है। दो यज्ञों पर चर्चा हो चुकी है, | अनुग्रह का भाव तो आनंद में पैदा होता है। जब कोई आनंद से सेवारूपी यज्ञ और स्वाध्याय यज्ञ। तीसरे तप यज्ञ का | भरता है, तो अनुगृहीत होता है, तो ग्रेटिटयूड पैदा होता है। क्या अर्थ है? उसे यहां स्वधर्म पालनरूपी यज्ञ क्यों सिमन वेल ने एक किताब लिखी है, ग्रेस एंड ग्रेविटी–प्रसाद कहा गया है और चौथे योग यज का क्या अर्थ है? और गरुत्वाकर्षण। बहमल्य है. इस सदी की बहमल्य किताबों में उसे यहां अष्टांग योगरूपी यज्ञ क्यों कहा गया है? | | से एक है। सिमन वेल कहती है कि जैसे जमीन चीजों को अपनी
| तरफ खींचती है, ऐसे ही परमात्मा भी चीजों को अपनी तरफ
खींचता है। व धर्मरूपी यज्ञ। व्यक्ति यदि अपनी निजता को, अपनी | | जमीन चीजों को अपनी तरफ खींचती है। उसकी एक छिपी हुई रप इंडिविजुअलिटी को, उसके भीतर जो बीजरूप से | ऊर्जा, शक्ति का नाम ग्रेविटेशन, गुरुत्वाकर्षण है। दिखाई कहीं
छिपा है उसे, फूल की तरह खिला सके, तो भी वह | नहीं पड़ता, लेकिन पत्थर को फेंको ऊपर, वह नीचे आ जाता है। खिला हुआ व्यक्तित्व का फूल परमात्मा के चरणों में समर्पित हो वृक्ष से फल गिरा, नीचे आ जाता है। दिखाई कहीं भी नहीं पड़ता। जाता है और स्वीकृत भी।
हम सबको कहानी पता है कि न्यूटन एक बगीचे में बैठा है और व्यक्ति की भी एक फ्लावरिंग है; व्यक्ति का भी फूल की भांति सेव का फल गिरा है। और उसके मन में सवाल उठा कि फल खिलना होता है। और जब भी कोई व्यक्ति पूरा खिल जाता है, तभी गिरता है, तो नीचे ही क्यों आता है, ऊपर क्यों नहीं चला जाता? वह नैवेद्य बन जाता है। वह भी प्रभु के चरणों में समर्पित और | दाएं-बाएं क्यों नहीं चला जाता? ठीक नीचे ही क्यों चला आता स्वीकृत हो जाता है।
है? चीजें गिरती हैं, तो नीचे क्यों आ जाती हैं? और तब उसे पहली फूल की तरह व्यक्ति के साथ भी दुर्घटनाएं घट सकती हैं। यदि | | दफा खयाल आया कि जमीन से कोई ऊर्जा, कोई शक्ति चीजों को कोई गुलाब का फूल कमल का फूल होना चाहे, तो दुर्घटना | | अपनी तरफ खींचती है; कोई मैग्नेटिक, कोई चुंबकीय शक्ति चीजों सुनिश्चित है। दुर्घटना के दो पहलू होंगे। एक तो गुलाब का फूल | को अपनी तरफ खींचती है। फिर ग्रेविटेशन सिद्ध हुआ। अभी भी कुछ भी चाहे, कमल का फूल नहीं हो सकता है। वह उसकी दिखाई नहीं पड़ता, लेकिन परिणाम दिखाई पड़ते हैं। नियति, उसकी डेस्टिनी नहीं है। वह उसके भीतर छिपा हुआ बीज सिमन वेल कहती है, ठीक ऐसे ही परमात्मा भी चीजों को नहीं है। वह उसकी संभावना नहीं है।
| अपनी तरफ खींचता है। उसके खींचने का जो ग्रेविटेशन है, __इसलिए गुलाब का फूल विक्षिप्त हो सकता है कमल के फूल उसका नाम ग्रेस, उसका नाम प्रसाद; अनुकंपा, अनुग्रह, जो भी होने में, कमल का फूल नहीं हो सकता। कमल के फूल होने में | हम नाम देना चाहें। पीड़ित, दुखी, परेशान हो सकता है; चिंतित, संतापग्रस्त हो सकता | - यह बड़े मजे की बात है कि जब फूल खिलता है, तो आकाश है; नींद खो सकता, चैन खो सकता; कमल का फूल हो नहीं की तरफ उठता है। और जब मुरझाता है, सूखता है, तो जमीन की सकता है। होने की दौड़ में मिटेगा, बर्बाद होगा; पहुंचेगा नहीं तरफ गिर जाता है। आदमी जीवित होता है, तो आकाश की तरफ मंजिल तक। यात्रा कितनी ही करे, लौट-लौटकर गुलाब का फूल | उठा हुआ होता है। मर जाता है, तो जमीन में दफना दिया जाता है, ही रहेगा। पहुंचेगा नहीं कमल होने तक। न पहुंचने से फ्रस्ट्रेशन, | मिट्टी में गिर जाता है। वृक्ष उठते हैं, जीवित होते हैं, तो आकाश न पहुंचने से विषाद मन को पकड़ता है। और जिसके चित्त को | | की तरफ उठते हैं। फिर जराजीर्ण होते हैं, गिरते और मिट्टी में सो विषाद पकड़ लेता, उसके चित्त में नास्तिकता का जन्म हो जाता है। जाते हैं। ऊपर और नीचे। कुछ ऊपर की तरफ खींच रहा है, कुछ इसे ठीक से खयाल में ले लें।
नीचे की तरफ खींच रहा है। विषाद से भरा हुआ चित्त आस्तिक नहीं हो सकता है। पीड़ा से | विषाद जब चित्त में होता है, तो आदमी का हृदय पत्थर की तरह भरा हुआ चित्त, दुख से भरा हुआ चित्त, फ्रस्ट्रेटेड चित्त आस्तिक हो जाता है, नीचे की तरफ गिरने लगता है। जब भी आप दुख में नहीं हो सकता, क्योंकि आस्तिकता आती है अनुग्रह के भाव से, | रहे हैं, तब आपने अनुभव किया होगा कि हृदय पर हजारों मनों का