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________________ स्वाध्याय-यज्ञ की कीमिया - उन आदमियों को स्वाध्याय की जरूरत पड़ सकती थी। आज वैसे कसम नहीं खाएंगे। इसके लिए सजाएं काटीं, कसम न खाने के लोग ही अधिक हैं। आज स्वाध्याय सर्वाधिक निकटतम प्रक्रिया है, | लिए। और कोई दंड नहीं, और कोई अपराध नहीं; लेकिन कसम जिससे व्यक्ति आगे जाएंगा। नहीं खाएंगे। क्योंकि कसम वही खाता है...। जिस तथ्य को हम भीतर जान लेते हैं, जैसे उदाहरण के लिए मैं और यह बड़े मजे की बात है, जो आदमी जितनी ज्यादा कसम कहूं, यदि कोई व्यक्ति भीतर ठीक से जान ले कि मैं झूठ बोलने | खाता मिले कि मैं झूठ नहीं बोलता हूं; जानना कि वह झूठ बोलता वाला हूं, मैं असत्यवादी हूं; इस तथ्य को पूरा पहचान ले कि मैं है। उसकी कसम उसका डिफेंस मेजर है। उसकी कसम उसकी झूठ बोलता हूं, तो झूठ बोलना कठिन हो जाएगा। क्योंकि मैं झूठ सुरक्षा का उपाय है। वह हजार दफे कह रहा है कि मैं झूठ नहीं बोलता हूं, इसका अनुभव करना बहुत बड़े सत्य का अनुभव है। बोलता; आपकी कसम खाता हूं। लेकिन जो आदमी झूठ नहीं और इतने बड़े सत्य के सामने फिर झूठ नहीं बोला जा सकता। बोलता, उसे खयाल ही नहीं आता कि मैं झूठ नहीं बोलता। खयाल जिस आदमी को झूठ बोलना है, उसे सबसे बड़ा झूठ अपने का ही सवाल नहीं। भीतर बोलता पड़ता है कि मैं झूठ कभी नहीं बोलता हूं। इस झूठ - भीतर अगर किसी को अनुभव हुआ कि मैं झूठ बोलने वाला हूं, के आधार पर वह दूसरों से झूठ बोल सकता है कि मैं झूठ कभी | तो एक दूसरी घटना घटती है। और वह घटना यह है कि जब यह नहीं बोलता हूं। पहले वह अपने को झूठ में डालता है, तब वह | अनुभव होता है कि मैं झूठ बोलने वाला हूं, तो इस दुनिया में ऐसा दूसरों को झूठ में डालता है। एक भी आदमी नहीं है, जो झूठ बोलने वाला होना चाहता हो। होता अपने हाथ गंदे किए बिना दूसरों को गंदगी में ढकेलना असंभव है, दूसरी बात। होना चाहता हो! इसलिए झूठ बोलने वाला सिद्ध है। अपने साथ पाप किए बिना दूसरों के साथ पाप करना असंभव करने में लगा रहता है कि मैं झूठ नहीं बोलता। वह आपको ही सिद्ध है। अपने को धोखा दिए बिना दूसरे को धोखा देना असंभव है। नहीं कर रहा है, वह अपने लिए भी सिद्ध कर रहा है, अपने सामने जिस आदमी को यह पता चल गया कि मैं धोखेबाज हूं, वह धोखा | | भी सिद्ध कर रहा है कि मैं झूठ नहीं बोलता। नहीं दे सकता। क्योंकि धोखे की बुनियादी आधारशिला टूट गई। | इस दुनिया में ऐसा एक भी आदमी खोजना मुश्किल है, जो यह इसलिए झूठ बोलने वाला सदा कोशिश में लगा रहता है कि मैं | | जानने को तैयार हो भीतर से, कि मैं चोर हूं। नहीं, चोर भी कहता सच बोलता हूं। जो सच बोलता है, वह कभी कोशिश में नहीं | है कि कारण थे, इसलिए मैंने चोरी कर ली। वैसे मैं चोर नहीं हूं। लगता। मजबूरी थी, इसलिए मैंने चोरी कर ली। वैसे मैं चोर नहीं हूं। क्वेकर्स हैं। दुनिया में कुछ थोड़े-से लोग, जो अभी भी धर्म की | | परिस्थिति थी, इसलिए मैंने चोरी कर ली। वैसे मैं चोर नहीं हूं। ज्योति को कहीं-कहीं दुनिया के कोने में जगाए रखे हैं, उनमें क्रोधी भी कहता है कि क्रोध तुमने दिलवा दिया, अन्यथा वैसे मैं क्वेकर्स, ईसाइयों के एक छोटे-से संप्रदाय का भी बड़ा दान है। क्रोधी नहीं हूं। तुमने गाली न दी होती, तो मैं कभी क्रोध न करता। क्वेकर्स अदालतों में सजा काटे एक छोटी-सी बात के लिए कि | वह तो लोगों ने मुझे उकसा दिया, भड़का दिया कि मैं क्रोध में आ उन्होंने अदालत में कसम खाने से इनकार कर दिया। आखिर गया। ऐसे मैं क्रोधी नहीं हूं। आदमी मैं अच्छा हूं। क्रोधी मैं आदमी क्वेकर्स के लिए अदालतों को झुक जाना पड़ा और निर्णय करना नहीं हूं। पड़ा कि क्वेकर्स से हम कसम नहीं खिलाएंगे। क्योंकि क्वेकर्स ने लेकिन जब भीतर कोई अनुभव करता है कि मैं क्रोधी हूं, तो कहा कि तुम हमसे अदालत में कसम खिलवाते हो कि मैं झूठ नहीं क्रोधी होना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि क्रोधी मूलतः कोई भी नहीं बोलूंगा; लेकिन अगर हम झूठ बोलने वाले हैं, तो हम कसम भी होना चाहता। झूठ खाएंगे। बुरा होना आंतरिक आकांक्षा नहीं है; अच्छा होना आंतरिक ठीक बात है। अगर मैं झूठ बोलने वाला हूं, तो अदालत में | आकांक्षा है। इसलिए बुरे आदमी को भी मानकर चलना पड़ता है कसम खाने में कौन-सी अड़चन है कि मैं झूठ नहीं बोलूंगा। । | कि मैं अच्छा हूं। और मानकर चलने का एक ही उपाय है कि दूसरे फिर क्वेकर्स ने यह कहा कि जब हम झूठ बोलते ही नहीं हैं, तो | मानें कि मैं अच्छा हूं। क्योंकि दूसरों की आंखों की ओपीनियन को कसम कैसे खाएं! कसम वह खा सकता है, जो बोलता हो। तो हम इकट्ठा करके मैं भी मान लूंगा कि अच्छा हूं। [163
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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