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स्वाध्याय-यज्ञ की कीमिया
वनसेल्फ। स्वाध्याय का अर्थ है, अपने ही आमने-सामने खड़ा हो कोई साथ है। अकेले नहीं हैं। क्योंकि अकेले में, जब कोई भी साथ जाना। निश्चित ही, स्वाध्याय की प्रक्रिया को चरणों में बांटकर नहीं होगा, तो हम अपने साथ हो जाएंगे। वह डर है। समझ लें।
इसलिए सभ्य आदमी अकेले में बिलकुल नहीं है। अकेला पहली बात, जो व्यक्ति स्वाध्याय की साधना में या हुआ, तो रेडियो खोलेगा, ताकि अकेलापन मिट जाए। अखबार स्वाध्यायरूपी यज्ञ में उतरना चाहता है, पहली बात, दूसरों ने उसके उठा लेगा, अकेलापन मिट जाए। कुछ और नहीं सूझेगा, तो संबंध में क्या कहा है, उसे तत्काल अलग कर देना चाहिए। दूसरे | सिगरेट पीएगा, अकेलापन मिट जाए। कुछ भी नहीं बचेगा, तो सो उसके संबंध में क्या सोचते हैं, इसे हटा देना चाहिए। दूसरों के जाएगा। लेकिन अकेला जागेगा नहीं। वक्तव्य धोखे के सिद्ध होंगे। दूसरों की जानकारी अपने संबंध में | यह बड़ा षड्यंत्र है, जो हम अपने साथ कर रहे हैं, ए ग्रेट सबसे पहला कचरा है, जो स्वाध्याय में अलग करना पड़ता है। | कांसपिरेसी। बड़े से बड़ा षड्यंत्र जो हम अपने साथ कर रहे हैं, तभी मैं निपट उसको जान पाऊंगा, जो मैं हूं।
वह यह है कि हम अपने साथ अकेले कभी नहीं होते। कभी नहीं! __ और जो मैं हूं, इसे जानने के लिए दूसरा चरण जो...। यह बहुत | | कहीं मौका मिल जाए, तो बड़ी ऊब मालूम पड़ती है, बड़ी कठिन है। दूसरों के ओपीनियन को अलग कर देना बहुत कठिन घबड़ाहट और बेचैनी होती है! नहीं है। यह इतना ही सरल है, जैसे नदी के ऊपर पत्ते छा जाएं, अभी अमेरिका में उन्होंने एक यूनिवर्सिटी में एक गहरा प्रयोग उनको हम हटा दें और नीचे का जल-स्रोत प्रकट हो जाए। दूसरों | किया है, केलिफोर्निया में। और वह है सेंस डिप्राइवेशन का। कुछ के मंतव्य हमारे संबंध में बहुत गहरे नहीं होते, नदी की सतह पर युवकों को ऐसी कोठरियों में बंद किया, जहां कोई भी संवेदना उन होते हैं। घास-पात की तरह उन्हें अलग किया जा सकता है। उसमें तक न पहुंच सके। कोई भी संवेदना! घुप्प, गहन अंधकार। बहुत अड़चन नहीं है। अड़चन दूसरे चरण में है।
वैज्ञानिक साधनों से समस्त प्रकाश की संभावनाओं को रोक दिया हमने अपने को जानने के लिए अपने को परा मक्त नहीं रखा है भीतर जाने से। गहन अंधकार। कोई आवाज भीतर नहीं पहुंच है। हमने अपने बहुत-से हिस्से भयभीत होकर, घबड़ाकर इतने | | सकती, कोई ध्वनि नहीं पहुंच सकती। हाथ पर, शरीर पर इस तरह गहरे में दबा दिए हैं कि हम उनको अपने सामने लाने में डरेंगे। के दस्ताने पहनाए हैं कि उनके कारण अपने ही शरीर को भी नहीं जैसे एक आदमी ब्रह्मचर्य की धारणा से भर गया हो, तो वह | छुआ जा सकता। सब तरफ से इंद्रियों को कुछ भी सूचना न मिले, अपनी कामवासना को इतना दबा देगा कि वह उसका साक्षात्कार | ऐसी स्थिति में उस आदमी पर क्या घटित होता है? तो उसके सारे न कर पाएगा। वह खुद ही डरेगा कि मेरे भीतर और कामवासना! | सिर पर यंत्र लगे हैं, जो बाहर खबर भेज रहे हैं कि उसके भीतर नहीं-नहीं; है ही नहीं! जिस आदमी ने अपने क्रोध को गहरे में क्या हो रहा है। दबा दिया है, वह अपने क्रोध को कभी भी नहीं जान पाएगा। और पांच मिनट गुजारना मुश्किल हो जाता है। पांच मिनट बाद यंत्र हमने अपने बहुत-से हिस्सों को भीतर दबाया हुआ है, सप्रेस | खबर देने लगते हैं कि वह आदमी पागल हो जाएगा। उसे निकालो किया हुआ है।
बाहर! उसके मस्तिष्क की सारी व्यवस्था अस्तव्यस्त हुई जा रही इसलिए स्वाध्याय का दूसरा चरण है, जो-जो दबाया हुआ है, है। दस मिनट के बाद वह आदमी करीब-करीब बेहोशी की हालत उसे उभारना पड़ेगा। अन्यथा स्वयं का अध्ययन न हो पाएगा। | में पहुंच जाता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर घंटेभर रोका जाए, जो-जो भीतर अतल में पड़ गया है, जो-जो हमने अंधेरे में सरका | तो वह कोमा में पड़ जाएगा। इतनी गहरी मूर्छा में पड़ जाएगा कि दिया है कि हमें खुद ही न मिल जाए! हम खुद ही अपने बड़े हिस्से | | लौट सकेगा कि नहीं, यह डर हो जाएगा। क्या हो गया है इस को अंधेरे में किए हुए हैं, कि कहीं हमारी मुलाकात न हो जाए! और | आदमी को? इसीलिए हम अकेलेपन से बहुत डरते हैं, लोनलीनेस से बहुत डरते अकेलापन! भारी अकेलापन है। हैं। क्योंकि अकेले में रहेंगे, तो खुद से मिलने का मौका है। अभी जिन अंतरिक्ष यात्रियों ने चांद तक यात्रा की है, चांद तक इसलिए सदा किसी के साथ हैं। कभी पत्नी, कभी पति; कभी बेटा, पहुंचने में जो सबसे बड़ी कठिनाई थी, वह कठिनाई यांत्रिक नहीं कभी मित्र; कभी क्लब, कभी मंदिर; लेकिन कहीं न कहीं कोई न थी। यांत्रिक कठिनाई तो बहुत दिन पहले हल हो गई थी। सारे
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