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________________ ॐ गीता दर्शन भाग-20 कुत्ते जो जंगली थे, खुंखार थे, जरा-सी बात में जी-जान ले सकते | जब भौंक ही नहीं सकते! सब बेकार है। यहां राजनीतिक शरण और दे सकते थे, उनका एड्रिनल द्रव्य अलग कर देने के बाद, वे | अगर दिलवाने में कछ सहायता कर सको. तो अब मैं लौटकर नहीं कुत्ते और सब तरह से स्वस्थ हैं, वही के वही हैं, ऊपर से कोई | जाना चाहता। अंतर नहीं; दो, चार, दस बूंदों का रासायनिक द्रव्य उनके भीतर से | किसी न किसी दिन कोई तानाशाही सरकार बायो-केमिस्ट्री का अलग कर लिया गया, फिर आप उनको कितना ही सताइए, | उपयोग करेगी ही। क्योंकि बायो-केमिस्ट्री ने जो नए सूत्र दिए हैं, कोंचिए, टोंचिए, परेशान करिए, वे भौंक भी नहीं सकते! क्या हो | | योग को बहुत पहले से पता है। लेकिन योग से कभी खतरा नहीं गया? दस बूंद रासायनिक द्रव्य उनके शरीर के भीतर से बाहर हो | हो सकता था, क्योंकि दूसरा आदमी आपके ऊपर कुछ नहीं करता गया, तो इस कुत्ते के भीतर क्या हो गया? इसकी सारी ताकत दस | था; आप अपने ऊपर कुछ करते थे। बंद में थी? इसका चिल्लाना, भोंकना, दौड़ना, इसकी गति, सब बायो-केमिस्ट्री कहती है, अब जैसे सेक्स हारमोंस खोज लिए उस दस बूंद में थी! वैज्ञानिक कहते हैं, उसी दस बूंद में थी। | गए। एक बूढ़े आदमी को भी अगर सेक्स हारमोन के इंजेक्शन दे वैज्ञानिक इसे ऊपर से अलग कर सकते हैं, इसलिए बड़ा खतरा | | दिए जाएं, तो वह जवान की तरह सेक्सुअली पोटेंट हो जाता है; भी है। खतरा यह है कि आज नहीं कल कोई टोटेलेटेरियन हुकूमत, | | वह जवान आदमी की तरह कामोत्तेजक शक्तियों से भर जाता है। कोई तानाशाही सरकार लोगों के शरीर के भीतर से अगर एड्रिनल | | और अगर जवान के भीतर से भी सेक्स हारमोंस अलग कर लिए ग्रंथियों को अलग करवा दे, तो आप बगावत नहीं कर सकेंगे। | जाएं, तो वह बूढ़े की तरह शिथिल और कामशक्ति में एकदम दीन भौंक ही नहीं सकेंगे, बगावत तो बहुत दूर की बात है। बगावत के | | हो जाता है। लिए भौंकना बिलकुल जरूरी है। आप देखते हैं रास्ते पर चलते हुए बैल को और सांड को! फर्क मैंने सुना है कि एक अंतर्राष्ट्रीय कुत्तों की प्रदर्शनी लंदन में हो | | कुछ भी नहीं है; थोड़े-से हारमोंस का फर्क है। बैल के हारमोन काट रही थी। उसमें एक रूसी कुत्ता भी प्रदर्शनी के लिए आया हुआ था। दिए गए हैं। उसके हारमोन विकसित नहीं हो पाए, उसके सेक्स स्वभावतः, कुत्तों में आपस में बातचीत चलती थी। इंग्लैंड के कुत्ते | | हारमोन तोड़ दिए गए हैं। सांड के सेक्स हारमोन मौजूद हैं। दस बैल से उस रूसी कुत्ते ने पूछा कि बंधु, इंग्लैंड के हाल-चाल कैसे हैं? | | एक सांड के मुकाबले भी कुछ नहीं हैं। किसी दिन कोई तानाशाही । उस कुत्ते ने कहा, हाल-चाल ऐसे तो सब ठीक हैं, लेकिन कई | सरकार आदमियों की हालत बैलों जैसी कर दे सकती है। . चीजों की बहुत तंगी है। भोजन बहुत ठीक से नहीं मिलता। दूध भी । बायो-केमिस्ट्री जो आज कह रही है कि शरीर के भीतर जितना मिलना चाहिए, नहीं मिलता। हड्डी-मांस की भी थोड़ी रासायनिक द्रव्य हैं, बहुत सूक्ष्म मात्रा में, जिनके अंतर से, बाहर तकलीफ है। वहां रूस में क्या हाल-चाल हैं? उस कुत्ते ने कहा, | | से भी अंतर करने से, व्यक्ति के भीतर अंतर पैदा होता है। योग आनंद ही आनंद है; बहुत हड्डी-मांस है, बहुत दूध है; खाने को | बहुत पहले से जानता है इस सत्य को। और योगाग्नि उस प्रक्रिया जितना चाहिए उतना है। सोने के लिए विश्राम-गृह है। सब अच्छा | | का नाम है, जिसके द्वारा इन भीतरी रासायनिक व्यवस्था में अंतर है। एकदम सब अच्छा है। पैदा किया जाता है। अब इस योगाग्नि को पैदा करने की बहत फिर थोड़ी देर बाद चारों तरफ देखकर कि कोई सुन तो नहीं रहा, विधियां हैं। दो-तीन संक्षिप्त बात आपसे कहूं, जिससे खयाल में वह पास सरक आया और उसने कहा, बंधु, एक थोड़ी-सी बात में | आ जाए कि यह योगाग्नि कैसे पैदा हो। सहायता करोगे? इंग्लैंड के कुत्ते ने कहा, कौन-सी सहायता? | | कभी आपने खयाल किया कि अगर आप उपवास करें, तो उसने कहा कि मैं राजनीतिक शरण इंग्लैंड में लेना चाहता हूं। पर आपके भीतर शीतलता खो जाती है, सब रूखा-रूखा हो जाता है, उस इंग्लैंड के कुत्ते ने पूछा, तुम्हें तो वहां सब सुख हैं। तुम यहां ड्राइनेस पैदा हो जाती है। और अगर आप पानी भी न पीएं-और किसलिए आना चाहते हो? मैं तो मन में सोच रहा था, दुर्भाग्य | | तभी उपवास पूरा है। अगर आप खाना न लें और पानी पीते रहें, हमारा कि यहां इंग्लैंड में पैदा हुए; रूस में पैदा होते तो बेहतर था! | तो उपवास बिलकुल अधूरा है। अगर आप पानी भी न लें, भोजन उसने कहा, और सब तो सुख है, लेकिन भौंकने की आजादी | भी न लें, तो एक विशेष समय की सीमा के बाद शरीर उस हालत बिलकुल नहीं है। तो सुखों का भी क्या करेंगे, उस कुत्ते ने कहा, में हो जाता है, जिस हालत में सूखी लकड़ियां होती हैं। गीली
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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