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• यज्ञ का रहस्य
होते हैं; आप आकर्षित होते हैं, इसलिए चेहरा सुंदर दिखाई पड़ता इससे विपरीत काम भी चलता है पूरे समय। अगर स्त्रियां है। आकर्षण की घटना सूक्ष्म है और बड़े अदृश्य में घट जाती है। | परफ्यूम डालकर निकलती हैं या पुरुष, तो वे छूने का दूसरा काम सौंदर्य की घटना सूक्ष्म नहीं है और विचार में पता चलती है। कर रहे हैं। वे छुए जाने का काम कर रहे हैं। शरीर से सबको नहीं
लेकिन आमतौर से हम उलटी बातें करते हैं। सूक्ष्म का हमें पता | छुआ जा सकता। लेकिन एक परफ्यूम डालकर बड़े सूक्ष्म तल पर, नहीं चलता। हम कहते हैं, यह चेहरा आकर्षक मालूम पड़ता है, गंध से, सब को छुआ जा सकता है। सभ्यता हाथ से छूने की तो क्योंकि सुंदर है। सचाई उलटी है। यह चेहरा सुंदर मालूम पड़ता है, | | आज्ञा सबको नहीं देती। नियंत्रण है, लाइसेंस है। लेकिन गंध से तो क्योंकि आकर्षित कर चुका है। क्योंकि यही चेहरा दूसरे को सुंदर सबको छुआ जा सकता है! नहीं मालूम पड़ता; तीसरे को सुंदर नहीं मालूम पड़ता। अगर उनको आवाज, गंध, ध्वनि, दृश्य, दर्शन–वे सब छूते हैं। जब आप आकर्षित नहीं कर पाया है, तो सुंदर नहीं है। सुंदर हमारी निष्पत्ति | सज-संवरकर घर से निकलते हैं, तो आप दूसरों की आंख से छुए है, कारण नहीं। सुंदर की वजह से कोई आकर्षित नहीं होता; | जाने का निमंत्रण लेकर निकल रहे हैं। और अगर कोई आंख से न आकर्षित होने की वजह से सुंदर का निष्कर्ष लेता है। यह हमारा | छुए, तो आप बड़े उदास लौटेंगे। बौद्धिक निष्कर्ष है। इंद्रियों ने तो अनुभव किया है आकर्षण का; दूसरों की आंख का स्पर्श भी लोरी का काम करता है, थपकी बुद्धि ने निर्णय लिया है सुंदर का। इंद्रियां पहुंच चुकीं; इंद्रियों ने का काम करता है। जब आप निकलते हैं और कई आंखें आपको स्पर्श कर लिया।
| छूती हैं, तब आपके भीतर कोई गुदगुदी छूट जाती है। इंद्रियों की गति सूक्ष्म है। ऐसा नहीं कि जब आप किसी के शरीर ___ यह दोहरा काम चल रहा है, छूने का, छुए जाने का। इंद्रियां को छूते हैं, तभी इंद्रियां छूती हैं। इंद्रियों के छूने के अलग-अलग प्रतिपल इस काम में संलग्न हैं। आपको पता भी नहीं चलता कि मार्ग हैं। आंख देखती है, और छू लेती है। देखना आंख के छूने का | यह हो रहा है। यह खयाल में भी नहीं आता। ढंग है। सुनना कान के छूने का ढंग है। स्पर्श हाथ के छूने का ढंग बर्न ने एक किताब लिखी है, गेम्स दैट पीपुल प्ले। उसमें स्पर्श है। ये सब छूने के ढंग हैं। सब इंद्रियां छूती हैं। एक लिहाज से हाथ | | के भी एक खेल की उसने चर्चा की है, और ठीक चर्चा की है। का रेंज उतना ज्यादा नहीं है छूने में, जितना आंख का है, जितना __ आप रास्ते पर निकलते हैं; और एक आदमी कहता है, हलो! कान का है। आंख बहुत दूर स्पर्श कर लेती है। लेकिन आंख भी उसने आपको छुआ। यू हैव बीन टच्ड, आवाज से। उसने एक स्पर्श करती है।
थपकी दी, अच्छे तो हो! गदगद हुए। रीढ़ ऊंची हुई। अच्छा लगा। जब आप किसी के चेहरे को अब दुबारा देखें, तो आप खयाल | | लेकिन वही आदमी एक दिन पास से निकला और उसने हलो नहीं करना कि आपकी आंख ने उसके चेहरे को स्पर्श किया या नहीं! | कहा। आप छुए नहीं गए। भीतर कुछ उदास हुआ; फ्रस्ट्रेशन हुआ। लेकिन हमारा खयाल यह है कि हाथ से ही छुआ जाता है; इसलिए | | क्या बात है? इस आदमी ने आज हलो नहीं कहा! हम भूल में पड़ते हैं। आंख से भी छुआ जाता है। कान से भी छुआ | अगर तीस दिन के लिए आप गांव के बाहर चले गए और तीस जाता है। गंध से भी छुआ जाता है। ये सब हमारे छूने के ढंग हैं। | दिन बाद आए, और जो आदमी आपको रास्ते पर मिलकर सिर्फ
इंद्रिय का अर्थ है, स्पर्श की व्यवस्था, उपकरण। सब इंद्रियां | हलो कहता था, उसने अगर आज भी सिर्फ हलो कहा, तो भी आप स्पर्श करती हैं।
डिप्राइव्ड अनुभव करेंगे, क्योंकि तीस हलो उसके ऊपर ऋण हैं! सूक्ष्म स्पर्श दूर से हो जाते हैं। स्थूल स्पर्श पास से करने पड़ते | आपको लगेगा कि यह आदमी, उनतीस हलो का क्या हुआ? नहीं हैं। हाथ सबसे स्थूल है; बहुत निकट न आ जाए, तो छू नहीं | तो तीस दिन के बाद अगर वह मिलेगा, तो वह कहेगा, हलो। सकता। इसलिए जिसे हमारी इंद्रियां छूना चाहती हों, हाथ सबसे | | कहिए, कैसे हैं! तबियत तो ठीक! बहुत दिन से दिखाई नहीं पड़े। आखिर में छूता है। पहले आंख छुएगी, फिर नाक छुएगी, कान | ___ वह स्ट्रोक दे रहा है। वह तीस स्ट्रोक पूरे करे, तो तृप्ति मिलेगी। छुएंगे। और जब दूसरा व्यक्ति आंख से छूने के लिए राजी हो | | अगर नहीं पूरे किए, और सिर्फ हलो कहकर निकल गया, तो जाएगा, कान से छुए जाने को राजी हो जाएगा, नाक से छुए जाने | | आपको लगेगा, कुछ कमी है। तीस दिन बाद दिखाई पड़ा हूं, तो को राजी हो जाएगा, तब हाथ छुएंगे।
तीस स्ट्रोक उधार हो गए। तीस स्पर्श! वह पूरे करने चाहिए। तो
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