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0 गीता दर्शन भाग-2 0
कंपनसेशन है। दिन में आदमी भला है, ईमानदार है, रात सपने में भले आदमियों के सपने अनिवार्यतया बुरे आदमी जैसे होते हैं। चोरी करेगा। वह चोर वाला हिस्सा भी भीतर है। ईमानदार के साथ | | और बुरे आदमी के सपने अनिवार्यतया भले आदमी जैसे होते हैं। बेईमान भी भीतर है। वह बेईमान क्या करेगा? अगर आपने दिन डबल-बाइंड है माइंड। अच्छे आदमी बुरे सपने देखते हैं; बुरे भर उसे बेईमानी न करने दी, तो रात बेईमानी करके अपनी तृप्ति | | आदमी अच्छे सपने देखते हैं। चोर और बेईमान सपने में कर लेगा।
साधु-संन्यासी होने की बातें सोचते हैं। साधु और संन्यासी सपने मैंने सुना है, एकनाथ तीर्थयात्रा को गए। तो गांव के लोगों ने कहा में चोर और बेईमान हो जाते हैं! वह दूसरा हिस्सा है मन का। वह कि हम भी चलें; बहुत लोग साथ हो लिए। गांव में एक चोर भी था। भीतर प्रतीक्षा करता है। वह प्रतीक्षा करता है कि कब? अगर कहीं उस चोर ने भी एकनाथ को कहा, मैं भी चलूं? एकनाथ ने कहा, भाई मौका नहीं मिला, तो सपने में मौका खोज लेता है। तू जाहिर आदमी है। फिर बहुत यात्री साथ होंगे, कोई गड़बड़ हो, यह जो चित्त है, यह अनिवार्यतया द्वंद्वात्मक है, डायलेक्टिकल परेशानी हो! तो तू एक कसम खा ले कि चोरी नहीं करेगा, तो हम है। मन के काम करने का ढंग द्वंद्वात्मक है। इसलिए अगर कोई साथ ले लें। तो उस आदमी ने कहा, कसम खा लेता हूं कि चोरी नहीं विश्वासी आदमी है, आस्थावान, श्रद्धालु–तो बहुत हैरानी करूंगा। कसम खा ली, तो एकनाथ ने साथ ले लिया। | होगी-अगर विश्वासी आदमी है, तो उसके भीतर गहरे में संदेह
एक-दो रातें तो ठीक बीतीं, लेकिन तीसरी-चौथी रात से | छिपा रहेगा। अगर बहुत संदेह करने वाला आदमी है, तो उसके मुश्किल शुरू हो गई। पर मुश्किल बड़ी अजीब थी। अजीब यह | भीतर गहरे में विश्वास छिपा रहेगा। थी, चीज किसी की चोरी नहीं जाती थी, लेकिन एक के बिस्तर की। इसलिए अक्सर ऐसा होता है कि जो लोग जिंदगीभर आस्तिक चीज दूसरे के बिस्तर में चली जाती थी। एक की पेटी की चीज दूसरे होते हैं, मरने के करीब-करीब नास्तिक होने लगते हैं। क्यों? की पेटी में चली जाती थी। मिल जातीं सब चीजें सुबह, लेकिन | क्योंकि जिंदगीभर तो उन्होंने ऊपर विश्वास को सम्हाला; वह संदेह बड़ी हैरानी होती कि रात कौन मेहनत लेता है? और किसलिए | का हिस्सा भीतर दबा रहा। फिर वह धीरे-धीरे उभरना शुरू होता मेहनत लेता है?
है। वह कहता है, जिंदगीभर तो विश्वास कर लिया, क्या मिल एकनाथ को खयाल आया कि वह चोर तो कुछ नहीं कर रहा है! गया? वह भीतर का संदेह ऊपर आना शुरू होता है। अक्सर ऐसा रात जागते रहे। देखा, कोई बारह बजे रात वह उठा। इस बिस्तर | होता है कि जिंदगीभर के अविश्वासी मरते समय विश्वासी हो जाते की चीज दूसरे बिस्तर में कर दी, उस पेटी की इसमें कर दी। किसी | हैं। भीतर का विश्वास का पहलू ऊपर उभर आता है। का तकिया खींचकर किसी के नीचे रख आया।
मन द्वंद्वात्मक है, दोहरा है। मन का काम ठीक वैसा ही है, जैसे एकनाथ ने कहा, तू यह क्या करता है? उस चोर ने कहा, मैंने इस जगत में सारी चीजें द्वंद्वात्मक हैं, पोलर हैं। यहां सारी चीजें कसम चोरी न करने की खाई थी, लेकिन कम से कम अदल-बदल द्वंद्व से जीती हैं। अगर हम प्रकाश को मिटा दें, तो अंधेरा मिट तो करने दें! क्योंकि दिनभर किसी तरह अपने को रोक लेता हूं, | | जाएगा। आप कहेंगे, कैसी बात कह रहा हूं? प्रकाश को बुझा देते लेकिन रात बहुत मुश्किल हो जाती है। फिर उस चोर ने कहा, फिर | | हैं, तो अंधेरा तो और बढ़ता है; मिटता नहीं। लेकिन प्रकाश का लौटकर मुझे अपना धंधा भी तो करना है! अगर अभ्यास बिलकुल | | बुझाना, प्रकाश का मिटाना नहीं है। अगर पृथ्वी पर प्रकाश टूट गया, तो आप ही कहिए, क्या हालत होगी? ऐसे अभ्यास भी बिलकुल न रह जाए, तो अंधेरा बिलकुल नहीं रहेगा। नहीं रहेगा रहेगा। फिर मैं किसी का नुकसान भी नहीं कर रहा हूं। सुबह सब | इसलिए भी, कि अंधेरे का पता ही तब तक चलता है, जब तक चीजें मिल जाती हैं। अक्सर तो मैं ही बता देता हूं कि जरा उसके | हमें प्रकाश का पता है। अन्यथा पता भी नहीं चल सकता। रहे तो बिस्तर में देख लो। कहीं हो!
भी पता नहीं चल सकता। __ हम भी अपनी रात में यही कर रहे हैं। दिन में जो-जो चूक गया, | | अगर हम जन्म को बंद कर दें, तो मृत्यु मिट जाएगी; क्योंकि रात कंपनसेशन कर रहे हैं। अगर भले आदमियों के सपने देखे | | जन्म ही नहीं होगा, तो मरने को कोई खोजना मुश्किल हो जाएगा। जाएं, तो बड़ी हैरानी होती है। अगर बुरे आदमियों के सपने देखे | | अगर हम मृत्यु को रोक दें, तो जन्म को रोकना पड़ेगा। जाएं, तो भी बड़ी हैरानी होती है।
यही तो दिक्कत हुई है सारी दुनिया में। पिछले दो सौ वर्षों के