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________________ गीता दर्शन भाग-28 फीडिंग चलता है, तो उपवास चलेगा। ज्यादा आदमी खाए जा रहा | ___ कल की जरूरत कल तथ होगी; क्योंकि आज जो भोजन किया, है, पांच-पांच बार खा रहा है, तो फिर उपवास करना पड़ता है। हो सकता है, कल वह भोजन न मिले। कल अगर भूखे रहे, तो फिर जो उपवास करता है, उपवास तोड़कर फिर जोर से खाने में | नींद कम हो जाएगी। क्योंकि भोजन पेट में हो, तो पचाने के लिए लगता है। नींद को लंबा हो जाना पड़ता है। अगर ज्यादा देर में पचने वाला अति सदा अति पर परिवर्तित हो जाती है। इसलिए जो आदमी | भोजन पेट में हो, तो नींद को और लंबा हो जाना पड़ता है। अगर उपवास करता है, उपवास में करता क्या है ? उपवास तोड़कर क्या | जल्दी पच जाने वाला भोजन पेट में हो, तो नींद सिकुड़ जाती है, खाएगा. इसका विचार करता है। जितना भोजन का विचार कभी छोटी हो जाती है। कल अगर दिनभर मजदरी की. गडे खोदे. तो नहीं किया था, उतना उपवास में करता है। उपवास में सभी नींद लंबी हो जाती है। कल अगर दिनभर आरामकुर्सी पर बैठकर पाकशास्त्री हो जाते हैं! एकदम भोजन का चिंतन करते हैं! सारा | | विश्राम किया, तो नींद सिकुड़ जाती है, छोटी हो जाती है। रस भोजन पर वर्तुल बना लेता है। एक अति से दूसरी अति! फिर | रोज, प्रतिपल, इसलिए जो होश से जीता है, वह रोज जो जरूरी जब ज्यादा भोजन कर लेते हैं, ज्यादा भोजन से परेशान होते हैं, तो | है, उसमें जीता है। गैर-जरूरी को काटता चला जाता है। कट ही उपवास का खयाल पकड़ता है। लेकिन मध्य में नहीं ठहरते।। जाता है गैर-जरूरी। होशपूर्ण चित्त में गैर-जरूरी अपने आप गिर कृष्ण जिस आदमी की बात कर रहे हैं, वह न अति भोजन करता जाता है। है, न अल्प भोजन करता है। वह उतना ही करता है, जितना जरूरी गैर-जरूरी बांधता है; आवश्यक कर्म बांधते नहीं। इसलिए है, नेसेसरी है। आवश्यक कभी नहीं बांधता, अनावश्यक बांध कृष्ण ठीक कहते हैं, आवश्यक कर्म करता है ऐसा व्यक्ति। और लेता है। आवश्यक कर्म शरीर के बांधते नहीं हैं। अनावश्यक गिर जाता है। __ आवश्यक का कौन निर्धारण करे? कोई दूसरा नहीं कर सकता। अनावश्यक के साथ जंजीरें भी गिर जाती हैं। मैं नहीं कह सकता, आपके लिए क्या आवश्यक है। एक आदमी के लिए तीन घंटे की नींद आवश्यक हो सकती है; एक आदमी के लिए छः घंटे की हो सकती है। तीन घंटे वाला छः घंटे वाले को | प्रश्नः भगवान श्री, आपने अभी कहा कि शरीर अंधा । कहेगा, तामसी हो। छः घंटे वाला अगर कमजोर हुआ, तो अपने है, यांत्रिक है। लेकिन अन्यत्र आप यह भी कहते हैं को तामसी समझकर तीन घंटे की नींद शुरू कर देगा। अगर कि शरीर की अपनी प्रज्ञा है, बाडी विजडम है। कृपया ताकतवर हुआ, तो तीन घंटे वाले को कहेगा, तुमको इन्सोमेनिया इसे स्पष्ट करें। और दूसरी चीज, इस श्लोक में कहा है, अनिद्रा है। तुम इलाज करवाओ। अगर तीन घंटे वाला कमजोर गया है, जीत लिया है अंतःकरण जिसने और हुआ, तो डाक्टर के पास ट्रैक्वेलाइजर के लिए पहुंच जाएगा। अगर दी है संपूर्ण भोगों की सुख-सामग्री। कृपया इसका ताकतवर हुआ, तो कहेगा कि हम साधक हैं; हम तीन घंटे सोते | भी अर्थ समझाएं। हैं। क्योंकि कृष्ण ने कहा है गीता में, या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी, कि जब सब सोते हैं, तब संयमी जागते हैं; हम इसलिए जागते हैं रात में। श्चय ही, शरीर की अपनी प्रज्ञा है। लेकिन वह प्रज्ञा कोई नियम नहीं हो सकता। एक-एक व्यक्ति की जरूरत IUI वैसी है, जैसे अंधे आदमी की होती है। शरीर प्रज्ञाचक्षु अलग-अलग है। इतनी अलग-अलग है जिसका कोई हिसाब है। शरीर की अपनी इंटेलिजेंस है, पर मेकेनिकल नहीं। उम्र के साथ जरूरत बदलेगी। काम के साथ जरूरत | इंटेलिजेंस है, यांत्रिक प्रज्ञा है। बदलेगी। विश्राम के साथ जरूरत बदलेगी। भोजन के साथ जरूरत | जैसे. शरीर की प्रज्ञा का. बाडी विजडम का क्या अर्थ है? शरीर बदलेगी। प्रतिदिन के मन की अवस्था के साथ जरूरत बदलेगी। की प्रज्ञा का यह अर्थ है कि आपको हृदय की धड़कन तो नहीं एक आदमी भी तय नहीं कर सकता कि मैं आज छः घंटे सोया, तो धड़कानी पड़ती, शरीर धड़काता रहता है। अगर आपको धड़कानी कल भी छः घंटे ही सोऊं। पड़े, तो सत्तर साल की उम्र तक मुश्किल से कोई आदमी कभी 1061
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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