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________________ ॐ कामना-शून्य चेतना 0 पहुंचाया, वही भोजन बुढ़ापे में नुकसान पहुंचाने लगता है। क्योंकि बोकोजू ने कहा, जिस दिन तुम यह कर पाओगे, उस दिन तुम्हें भोजन कम होना चाहिए। उम्र के साथ कम होते जाना चाहिए। मेरे पास पूछने आने की जरूरत न रहेगी। जिस दिन तुम यह कर लेकिन यह होश कौन रखे? यह होश रखने वाला तो मौजूद ही पाओगे, उस दिन मैं ही तुम्हारे पास पूछने चला आऊंगा। उस नहीं रहा कभी। वह तो कभी दुकान पर होता है, कभी बाजार में आदमी ने कहा, लेकिन नहीं, मानो; हम भी यही करते हैं। होता है। कभी दूसरे गांव में होता है। कभी कहीं होता है, कभी कहीं बोकोजू की बात वह समझ नहीं पाया। होता है। सिर्फ भोजन की थाली पर नहीं होता है। एक और फकीर के बाबत मैंने सुना है। एक दिन बोलता था एक कृष्ण जैसे, बुद्ध जैसे व्यक्ति जब भोजन करते हैं, तो सिर्फ | मंदिर में, एक आदमी ने बीच में खड़े होकर पूछा कि बंद करो यह भोजन करते हैं। इसलिए असम्यक आहार कभी नहीं हो पाता है। बातचीत! मेरा गुरु था, वह नदी के एक किनारे खड़ा होता और असम्यक बांधता है, सम्यक मुक्त करता है। जो भी चीज सम्यक उसके शिष्य नदी के दूसरे किनारे खड़े होते। फलांग भर का है, वह कभी बंधन नहीं बनती। और जो भी चीज सम्यक से फासला होता। उस तरफ शिष्य हाथ में कैनवस ले लेते, और इस यहां-वहां डोली कि बंधन बन जाती है। तरफ से गुरु अपनी कलम से लिखता, और उस तरफ कैनवस पर __ ऐसा जागा हुआ पुरुष शरीर के कर्मों को आवश्यक मानकर लिखावट पहुंच जाती थी। ऐसा कोई चमत्कार तुम कर सकते हो? होशपूर्वक करता है; बंधता नहीं। उस फकीर ने कहा कि नहीं; ऐसे छोटे-मोटे चमत्कार हम नहीं , और भी एक बात, कि जब हम होशपूर्वक करते हैं, तो हम चीजों | करते। तो उस आदमी ने पूछा, तुम क्या चमत्कार कर सकते हो? का उपयोग करते हैं। और जब हम बेहोशी से करते हैं, तो चीजें | उसने कहा, हम तो एक ही चमत्कार कर सकते हैं कि जब नींद हमारा उपयोग कर लेती हैं। आती है, तब सो जाते हैं; जब भूख लगती है, तब खाना खा लेते . खयाल करना, चीजों को आप खाते हैं या चीजें अपने आपको हैं। उस आदमी ने कहा, यह कोई चमत्कार है? आपके भीतर पहुंचा देती हैं? पेट भर गया है और मिठाइयां सामने | लेकिन कृष्ण इसी चमत्कार की बात कर रहे हैं। यह चमत्कार आ गई हैं। तो आप इस भ्रम में होते हैं कि आप चीजों को भीतर | है, और बड़ा चमत्कार है। वह तो मदारी भी कर सकते हैं, जो पहले डाल रहे हैं। अगर चीजों के पास जबान हो, तो वे कहें कि हम तुम्हें गुरु की बात बताई। मदारी ही करेंगे। लेकिन दूसरा बहुत बड़ा भीतर डालने के लिए मजबूर कर रहे हैं। हम तुम्हारे भीतर जा रहे मिरेकल है। . हैं। और चूंकि हम तुम्हारे भीतर जाना चाहते हैं, इसलिए हम तुम्हारा शरीर के आवश्यक कर्मों को होशपूर्वक, साक्षी-भाव से, उपयोग कर रहे हैं तुम्हारे भीतर जाने के लिए। सम्यक रूप से जो निपटा देता है, वह कर्मों के बंधन में नहीं पड़ता वे कर्म हमें बांध लेते हैं, जिनमें हम मजबूर होते हैं। वे कर्म हमें है। वह करते हुए भी मुक्त है। उसे कुछ भी नहीं बांधता है। नहीं बांधते, जिनमें हम स्वेच्छया स्वतंत्र होते हैं। जिस भोजन को ध्यान रहे, अति बांधती है, दि एक्सट्रीम इज़ दि बांडेज। अति आपने किया है, वह आपको नहीं बांधता; लेकिन जिस भोजन ने | | | बंधन है, मध्य मुक्ति है। लेकिन मध्य में वही हो सकता है, जो आपको करने के लिए मजबूर किया है, वह आपको बांधता है। जो | बहुत होश से भरा हुआ है-जतन। वह कबीर के शब्द जतन से नींद आप सोए हैं, वह आपको नहीं बांधती; लेकिन जिस नींद में भरा हुआ है। बड़े होश से भरा हुआ है, वही मध्य में रह सकता आप पड़े रहे हैं, वह नींद आपको बांध लेती है। है। जरा चूके कि अति शुरू हो जाती है। झेन फकीर हुआ, बोकोजू। और बोकोजू के पास किसी ने जाकर या तो आदमी ज्यादा खा लेता है, या उपवास कर देता है। ज्यादा पूछा कि तुम्हारी साधना क्या है ? तो बोकोजू ने कहा, मेरी साधना? | खाने वाले अक्सर उपवास कर देते हैं। ज्यादा खाने वालों को करना मेरी कोई साधना नहीं है। जब नींद आती है, तब मैं सो जाता हूं। पड़ता है उपवास। इसलिए जब भी जिस समाज में ज्यादा खाना हो जब नींद टूटती है, तब मैं उठ आता हूं। जब भूख लगती है, तब मैं | | जाता है, उसमें उपवास का कल्ट पैदा हो जाता है। गरीब समाजों खा लेता हूं। जब भूख नहीं लगती है, तब मैं उपवासा रह जाता हूं। | में उपवास का सिद्धांत नहीं चलता। अमीर समाजों में उपवास का उस आदमी ने कहा, छोड़ो यह बकवास! यह कोई साधना हुई? सिद्धांत जारी हो जाता है। यह तो हम भी करते हैं। __ आज अमेरिका में उपवास का कल्ट जोर पर है। सब ओवर 105
SR No.002405
Book TitleGita Darshan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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