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वर्ण-व्यवस्था का मनोविज्ञान
कि वह ब्राह्मण हो सकता है, तो ब्राह्मण की यात्रा पर निकल जाए। अगर उसे लगे कि वह शूद्र हो सकता है, तो शूद्र की यात्रा पर निकल जाए। नहीं तो मनोवैज्ञानिक से पूछे। मगर राजनीतिज्ञ से न पूछे। अभी वह राजनीतिज्ञ से पूछ रहा है। अंधे अंधों को मार्गदर्शन दें, तो जो हो सकता है, वह हो रहा है।
प्रश्नः भगवान श्री, एक छोटा प्रश्न, उस पर कुछ कहिए। आधुनिक युग में डाक्टर, इंजीनियर और पोलिटीशियन को आप कौन-से वर्ण में रखेंगे ?
क्टर, इंजीनियर इनको किस वर्ण में रखेंगे!
पोलिटीशियन ?
पो
`लिटीशियन? वर्णसंकर! पोलिटीशियन का कोई वर्ण होता है ? पोलिटीशियन का कोई वर्ण नहीं होता; वर्णसंकर! क्योंकि पोलिटीशियन कोई धंधा नहीं है; जैसे प्रास्टीटयूशन कोई धंधा नहीं है।
टेक्नीशियन जो है, वह शूद्र के वर्ण में जाएगा, किसी भी भांति का टेक्नीशियन । शूद्र, सब तरह के शिल्प शूद्र में जाएंगे। इंजीनियर शूद्र में जाएगा। सब तरह के टेक्नीशियन; जो किसी टेक्नीक पर जीते हैं, तकनीक पर जीते हैं, शिल्प पर जीते हैं, कार्य की कुशलता और क्राफ्ट पर जीते हैं, वे सब शूद्र में जाएंगे।
शूद्र छोटा वर्ण नहीं है, बहुत अदभुत है, और बहुत बड़ा है; और बहुत बहुमूल्य है। उसकी अपनी महत्ता है। समस्त शिल्पी शूद्र में जाएंगे।
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लेकिन अगर कोई इंजीनियर इंजीनियरिंग न करता हो, प्योर इंजीनियर हो — जैसा प्योर मैथमेटीशियन होता है। एप्लाइड मैथमेटीशियन तो शूद्र में जाएगा; प्योर मैथमेटीशियन ब्राह्मण जाएगा। एक इंजीनियर, जो कि कोई मकान न बनाता हो, कोई सड़क न बनवाता हो, कुछ करता न हो, लेकिन इंजीनियरिंग के संबंध में केवल मानसिक शोध और खोज करता हो, तो फिर वह ब्राह्मण में चला जाएगा।
एक डाक्टर अगर चीरा - फाड़ी करता हो, मलहम पट्टी करता
हो, तो शूद्र में जाएगा। शिल्पी है। लेकिन एक डाक्टर, न तो चीरा- फाड़ी करता हो, न मलहम पट्टी करता हो, लेकिन मेडिसिन की खोज करता हो, सिर्फ औषधियों की खोज करता हो, तो फिर ब्राह्मण में चला जाएगा। एक डाक्टर अगर न औषधियों की खोज करता हो, न मलहम पट्टी करता हो, सिर्फ दवाइयां बेचता हो, तो वैश्य में चला जाएगा।
यह निर्भर करेगा, इट डिपेंड्स कि वह आदमी क्या करता है। उसके करने से तय होगा कि वह किस वर्ण में जाता है। अगर वह शिल्पी है, काम महत्वपूर्ण है, तो वह शूद्र में चला जाएगा। अगर वह व्यवसायी है और धन महत्वपूर्ण है, तो वह वैश्य में चला जाएगा। अगर वह सिर्फ शक्ति की खोज में है, सत्ता की खोज में है; जो भी वह कर रहा है, उसके करने के माध्यम से वह शक्ति की ही पूजा कर रहा है...। अगर एक फिजिसिस्ट, एक भौतिकी | वैज्ञानिक इसलिए अणु का विस्फोट कर रहा हो कि अणु विस्फोट से वह प्रकृति पर विजय पा लेगा, तो वह क्षत्रिय है । लेकिन अगर वह अणु - विस्फोट सिर्फ इसलिए कर रहा हो कि अणु के विस्फोट से वह विश्व की मूल शक्ति के निकट पहुंच जाएगा, | जिज्ञासा कर रहा हो, तो वह ब्राह्मण है।
ये जो चार वर्ण हैं, ये एप्टिट्यूड हैं, ये झुकाव हैं। फिर मिश्रित वर्ण के लोग भी होंगे, कि जो दो काम कर रहे हैं, तीन काम कर | रहे हैं, चार काम कर रहे हैं। तो वे मिश्रित होंगे; उनमें सब वर्णों के झुकाव होंगे। लेकिन फिर भी एक वर्ण उनमें महत्वपूर्ण होगा, जो केंद्रीय होगा।
पोलिटीशियन के लिए मैंने कहा कि वह वर्ण में नहीं होगा । उसके वर्ण में होने का उपाय नहीं है।
मैंने सुना, एक बहुत बड़े राजनीतिज्ञ से किसी ने पूछा... । | चुनाव था और वह खड़ा था मंच पर बड़ी मुश्किल में पड़ा था। | बड़ी मुश्किल में इसलिए पड़ा था, जैसा कि राजनीतिज्ञ हमेशा पड़े रहते हैं। बड़ी मुश्किल में पड़ा था, मुश्किल यह थी कि चुनाव | कांस्टिट्यूएंसी, चुनाव का क्षेत्र और जो लोग मौजूद थे, वे आधे-आधे बंटे थे; आधे लेफ्टिस्ट थे, आधे राइटिस्ट थे। आधे वामपंथी थे, आधे वामपंथी नहीं थे; विरोधी थे । एक आदमी ने खड़े होकर पूछा कि आप लेफ्टिस्ट हैं? दक्षिणपंथी हैं, वामपंथी हैं- कौन हैं ? वह मुश्किल में पड़ा। क्योंकि वह कहे कि वामपंथी है, तो दक्षिणपंथी नाराज हो जाएं; वह कहे दक्षिणपंथी है, तो वामपंथी नाराज हो जाएं। उसने टालने की कोशिश की। फिर किसी
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