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________________ Om गीता दर्शन भाग-1 AM आती है। समझने की बात सिर्फ इतनी है कि प्रकृति और मनुष्य के | | हो गई, क्योंकि उन्होंने सारी की सारी प्रकृति को अस्तव्यस्त कर बीच कोई लेन-देन है, कोई कम्यूनिकेशन है या नहीं है? पश्चिम दिया है। कहता है, कोई कम्यूनिकेशन नहीं है; प्रकृति बिलकुल अंधी है; | | पिछली बार तिब्बत में एक गांव में ऐसा हुआ कि डी.डी.टी. उसे मनुष्य से कोई मतलब नहीं है। लेकिन ऐसा दिखाई नहीं पड़ता। | छिड़का गया। तिब्बत के ग्रामीण, उन्होंने बहुत कहा कि मत वैज्ञानिक खोजों से भी दिखाई नहीं पड़ता। दो-चार उदाहरण मैं देना | | छिड़किए, मच्छड़ चलते हैं, कोई हर्जा नहीं; हमारे साथी हैं। और चाहूंगा, ताकि खयाल में बात आ सके। हम भी हैं, वे भी हैं। और हम सदा से साथ रह रहे हैं। ऐसी कोई शायद आपको पता न हो, जब भी युद्ध होते हैं, जब भी युद्ध | ज्यादा अड़चन भी नहीं है। लेकिन एक्सपर्ट तो मान नहीं सकता! होते हैं, तो युद्ध के बाद बच्चे जो पैदा होते हैं, उनमें पुरुष बच्चों | तो उसने डी.डी.टी. छिड़ककर सारे मच्छड़ मार डाले। गांव के बूढ़े की संख्या एकदम से बढ़ जाती है और स्त्री बच्चों की संख्या कम | | प्रधान ने, लामा ने कहा भी कि भई, मच्छड़ तो मर जाएंगे, वह तो हो जाती है। बड़ी हैरानी की बात है। अब वैज्ञानिक मुश्किल में पड़ा | ठीक है। लेकिन मच्छड़ों के साथ, उनके मरने के साथ कोई और है दो युद्धों के बाद। क्योंकि कोई अर्थ समझ में नहीं आता। युद्ध दिक्कत तो हमें खड़ी नहीं हो जाएगी? क्योंकि वे सदा से थे और से क्या मतलब कि पुरुष ज्यादा पैदा हों कि स्त्रियां ज्यादा पैदा हों! | | हमारे जीवन के हिस्से थे; उनके गिरने से कहीं और ईटें तो नहीं गिर युद्ध से क्या संबंध! लेकिन युद्ध के बाद...और आमतौर से सौ | | जाएंगी? लेकिन उन्होंने कहा, क्या पागलपन की बातें करते हैं! लड़कियां पैदा होती हैं, तो एक सौ सोलह लड़के पैदा होते हैं। और | | लेकिन हुआ यही। मच्छड़ तो मरे सो मरे, बिल्लियां भी मर गईं। पंद्रह साल के होते-होते सौ लड़कियां रह जाती हैं और सौ लड़के | | वह डी.डी.टी. में बिल्लियां मर गईं। बिल्लियां मर गई, तो चूहे रह जाते हैं, सोलह लड़के मर जाते हैं। लड़के का शरीर, स्त्री के | | बढ़ गए। चूहे बढ़ गए तो मलेरिया तो गांव के बाहर हुआ, प्लेग शरीर से रेजिस्टेंस में कमजोर है। इसलिए लड़कियां सोलह कम | | गांव के भीतर आ गई। गांव के प्रधान लामा ने कहा कि अब बड़ी पैदा होती हैं; लड़के सोलह ज्यादा पैदा होते हैं; क्योंकि विवाह की | | मुश्किल में हमको डाल दिया! मलेरिया फिर भी ठीक था, यह प्लेग उम्र आते-आते तक बराबर संख्या रह जानी चाहिए। अगर बराबर और मुसीबत है। और फिर मलेरिया से तो हम लड़ ही लेते थे, अब लड़के-लड़कियां पैदा हों, तो लड़के कम पड़ जाएंगे। लेकिन युद्ध | | यह प्लेग हमारे लिए बिलकुल नई घटना है। अब इसके लिए हम ' के बाद अनुपात बहुत हैरानी का हो जाता है, अनुपात एकदम बढ़ क्या करें? जाता है। पुरुष बहुत बड़ी संख्या में पैदा होते हैं। क्योंकि युद्ध पुरुषों तो उन्होंने कहा, ठहरो; एक्सपर्टस ने कहा, ठहरो, हम दूसरा को मार डालता है। | पाउडर लाते हैं, जिससे हम चहों को मार डालेंगे। लेकिन उस बढे ___ अगर प्रकृति और मनुष्य के बीच कोई बहुत आंतरिक संबंध नहीं ने कहा, अब हम तुम्हारी न मानेंगे। क्योंकि पहले ही हमने तुमसे है, तो यह घटना नहीं घटनी चाहिए। अगर आंतरिक संबंध नहीं है, | पूछा था कि मच्छड़ मर जाएं, तो कोई और दिक्कत तो न आएगी! तो इसकी भी कोई जरूरत नहीं है कि कितनी लड़कियां पैदा हों और लेकिन तमने कहा, कोई दिक्कत न आएगी। अब हम तमसे पछते कितने लड़के पैदा हों! कितने ही हों। कभी ऐसा भी हो सकता है कि हैं कि अगर चूहे मर जाएं और प्लेग गांव के बाहर हो, कोई किसी जमाने में पुरुष इतने ज्यादा हो जाएं कि स्त्रियां बहुत कम पड़ महाप्लेग गांव के भीतर आ जाए, तो जिम्मेदार कौन होगा? और जाएं। कभी ऐसा हो सकता है कि स्त्रियां बहुत ज्यादा हो जाएं और अब हम तुम पर भरोसा नहीं कर सकते। पुरुष कम पड़ जाएं। लेकिन ऐसा कभी नहीं होता। जरूर स्त्री और उस एक्सपर्ट ने कहा, फिर तुम क्या करोगे? तो उस बढ़े आदमी पुरुष के पैदा होने के पीछे प्रकृति कोई हार्मनी बनाए रखती है, कोई ने कहा, हम पुरानी व्यवस्था फिर से निर्मित कर देंगे। कैसे करोगे? व्यवस्था बनाए रखती है। जीवन और हम जुड़े हैं, गहरे में जुड़े हैं। | | तो उसने आस-पास के गांवों से बिल्लियां उधार बुलवाईं और गांव अभी एक नई साइंस है, इकोलाजी; अभी नई विकसित होती है। | में छोड़ी। बिल्लियां आईं, चूहे कम हुए, मच्छड़ वापस लौट आए। आज नहीं कल इकोलाजी जब बहुत विकसित हो जाएगी, तो कृष्ण इकोलाजी का मतलब है, जिंदगी एक परिवार है, उस परिवार में का वचन पूरी तरह समझ में आ सकेगा। यह इकोलाजी नया विज्ञान सब चीजें जुड़ी हैं; सब संयुक्त है, एक ज्वाइंट फेमिली है। सड़क है, जो पश्चिम में विकसित हो रहा है; क्योंकि वहां मुश्किल खड़ी के किनारे पड़ा हुआ पत्थर भी आपकी जिंदगी का हिस्सा है। अब 362
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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