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________________ Im+ समर्पित जीवन का विज्ञान AM असल में, वे रोकने में इतने समर्थ हैं कि जब खुद को भी देने दुखी आदमी दूसरों को दबाने, सताने के हजार उपाय करने का वक्त आता है, वे नहीं दे पाते। जो आदमी रोकने में इतना समर्थ | लगेगा। और दुख की चर्चा तो करेगा ही, जो भी मिलेगा, उससे है कि कभी किसी को कुछ नहीं दिया, पक्का समझना कि यह दुख की चर्चा करेगा। और अगर आपके चेहरे पर उसकी दुख की आदमी अपने को भी उसमें से नहीं दे पाएगा। इसको देने की आदत चर्चा से कोई कालिमा नहीं आई, तो दुखी होगा। अगर कालिमा ही नहीं है। यह अपने को भी वंचित रख लेगा, दूसरों को भी वंचित आई और आप भी उदास हुए, तो उसका चित्त हलका होगा। दुखी रख देगा। यह सिर्फ चीजों को सम्हाले हुए मर जाएगा। यह पागल | आदमी दुख बांटने की कोशिश करता है। लेकिन दुख बांटा नहीं है, यह विक्षिप्त है, आब्सेस्ड है। जा सकता। और जो बांटता है, उसका भी उसी तरह दुख बढ़ जाता इस तरह के व्यक्ति के लिए वे कह रहे हैं कि ऐसा व्यक्ति श्रेष्ठ है, जैसा आनंद बांटने से आनंद बढ़ जाता है। की, श्रेष्ठत्व की, गरिमापूर्ण जीवन की यात्रा पर नहीं निकल पाता - इसको भी समझ लेना जरूरी है। बांटना बहुत मुश्किल प्रक्रिया है। ऐसे व्यक्ति का जीवन यज्ञ नहीं बन पाता। है। क्यों मुश्किल प्रक्रिया है? इंट्रिजिकली मुश्किल है, आंतरिक स्वभाव से मुश्किल है। आनंद इसलिए बांटा जा सकता है कि दूसरे आनंद लेने को तैयार हैं। दुख लेने को कोई तैयार नहीं है, इसलिए प्रश्नः भगवान श्री, एक मित्र पूछते हैं कि आपने | नहीं बांटा जा सकता। आखिर बांटिएगा न किसी को, तो वह तैयार अभी कहा कि आनंद आदि जो मिले, उसे बांट देना | भी होना चाहिए लेने को! तभी बांट सकते हैं न? बांटने में दूसरा चाहिए। तो उसी तरह क्या दुख को भी बांट देना | भी तो मौजूद है, आप अकेले नहीं हैं। चाहिए? इस पर आपका क्या खयाल है? आनंद बांटा जा सकता है, क्योंकि दूसरे उसे लेने को तैयार हैं। दुख बांटा नहीं जा सकता, क्योंकि कोई उसे लेने को तैयार नहीं है। जिसके दरवाजे पर जाएंगे, वही दरवाजा बंद कर लेगा। आप और 7 ख बांटा नहीं जा सकता। दुख बांटा ही नहीं जा सकता। | दुखी होकर वापस लौटेंगे कि हम गए थे दान करने और दरवाजा 2 जैसे आनंद रोकने से रोका नहीं जा सकता, सिर्फ चेष्टा बंद कर लिया! जिसके भिक्षापात्र में डालेंगे, वह भिक्षापात्र की जा सकती है; दुख बांटा नहीं जा सकता। लेकिन छिपाकर और भाग खड़ा होगा। आप और दुखी होकर लौटेंगे। हम दुख को बांटने की कोशिश करते हैं। और आनंद, जो कि बांटा | दुख बांटा नहीं जा सकता, क्योंकि कोई दुख लेने को तैयार नहीं ही जा सकता है, उसे हम रोकने की कोशिश करते हैं। हम दुख को | है। दुख ऐसे ही इतना ज्यादा है कि अब और आपसे कौन लेने को बांटने की बहुत कोशिश करते हैं। कैसे करते हैं? | तैयार होगा! लोग आनंद लेने को तैयार हैं, क्योंकि लोग दुखी हैं। एक तो दुखी आदमी दूसरों को दुखी करना शुरू कर देता है। | लोग दुख लेने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि लोग दुखी पहले से ही हजार तरकीबें निकालता है दूसरे को दुखी करने की। असल में उसे काफी हैं। लेकिन दुख देने की कोशिश चलती है। और देने में किसी को सुखी देखकर बड़ी बेचैनी और तकलीफ होने लगती है। आपका दुख उसी तरह बढ़ेगा, जिस तरह आनंद भी देने में बढ़ता अगर दुनिया सुखी है, तो उसकी पीड़ा हजार गुनी ज्यादा हो जाती है। लेकिन बढ़ने की प्रक्रिया दोनों की अलग होगी, परिणाम एक है; उसका दुख भारी हो जाता है। तो दुखी आदमी दूसरे को दुखी होगा। आनंद इसलिए बढ़ेगा कि जैसे ही आप किसी को आनंद देते करना शुरू कर देता है, दुखी देखने की आकांक्षा शुरू कर देता है, हैं, आपकी आत्मा विस्तीर्ण होती है। असल में दूसरे को आनंद देने दुखी देखकर थोड़ा प्रसन्न होने लगता है। और दुखी आदमी दूसरों की कल्पना करने से भी आप बड़े होते हैं, छोटे नहीं रह जाते। से निरंतर अपने दुख की बात करके भी उनको उदास करना चाहता असल में दूसरे को आनंदित देखना ही आत्मा का फैलाव है। है, दुखी करना चाहता है। व्यवहार भी करता है, अगर एक आदमी बहुत कठिन है। दूसरे के आनंद में आनंदित होना बड़ी कठिन दुखी है, तो वह दूसरों के साथ ज्यादा क्रोधित होगा; अगर आनंदित | | बात है। दूसरे के दुख में दुखी होना उतनी कठिन बात नहीं है, दूसरे है, तो ज्यादा क्रोधित नहीं होगा। आनंदित आदमी क्रोधित हो नहीं | | के आनंद में आनंदित होना बड़ी कठिन बात है। किसी के घर में सकता, दुखी आदमी ही हो सकता है। | आग लग गई है, तो आप दुखी हो पाते हैं; लेकिन आपके बगल 359
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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