________________
pm स्वधर्म की खोज -
काफी है। जो हम जान लेते हैं, उससे हम मुक्त हो जाते हैं। | कहता है कि कर्म बेकार है, तो अर्जुन कहता है कि सांख्य ठीक है,
कृष्णमूर्ति जो भी कहते हैं, वह सांख्य की निष्ठा है। वह निष्ठा | मुझे जाने दो। सांख्य ठीक है, इसलिए अर्जुन नहीं भागता है। अर्जुन यह है कि जानना काफी है। टु नो दि फाल्स एज़ फाल्स इज़ इनफ, | | को भागना है, इसलिए सांख्य ठीक मालूम पड़ता है। और इसे, इसे गलत को गलत जान लेना काफी है, फिर कुछ और करना नहीं अपने मन में भी थोड़ा सोच लेना आवश्यक है। पड़ेगा, वह तत्काल गिर जाएगा।
हम भी जिंदगीभर यही करते हैं। जो हमें ठीक मालूम पड़ता है, कुंदकुंद ने समयसार में जो कहा है, वह सांख्य की निष्ठा है। | वह ठीक होता है इसलिए मालूम पड़ता है? सौ में निन्यानबे मौके ज्ञान अपने आप में पूर्ण है; किसी कर्म की कोई जरूरत नहीं है। | पर, जो हमें करना है, हम उसे ठीक बना लेते हैं। हमें हत्या करनी ___ अर्जुन पूछ रहा है कि यदि ऐसा है कि ज्ञान काफी है, तो मुझे इस | है, तो हम हत्या को भी ठीक बना लेते हैं। हमें चोरी करनी है, तो भयंकर युद्ध के कर्म में उतरने के लिए आप क्यों कहते हैं? तो मैं | | हम चोरी को भी ठीक बना लेते हैं। हमें बेईमानी करनी है, तो हम जाऊं, कर्म को छोडूं और ज्ञान में लीन हो जाऊं! यदि ज्ञान ही पाने | बेईमानी को भी ठीक बना लेते हैं। हमें जो करना है, वह पहले है, जैसा है, तो फिर मुझे ज्ञान के मार्ग पर ही जाने दें।
और हमारे तर्क केवल हमारे करने के लिए सहारे बनते हैं। अर्जुन भागना चाहता है। और यह बात समझ लेनी जरूरी है कि फ्रायड ने अभी इस सत्य को बहुत ही प्रगाढ़ रूप से स्पष्ट किया हम अपने प्रत्येक काम के लिए तर्क जटा लेते हैं। अर्जन को ज्ञान है। फ्रायड का कहना है कि आदमी में इच्छा पहले है और तर्क सदा से कोई भी प्रयोजन नहीं है। अर्जुन को सांख्य से कोई भी प्रयोजन | पीछे है; वासना पहले है, दर्शन पीछे है। इसलिए वह जो करना नहीं है। अर्जुन को आत्मज्ञान की कोई अभी जिज्ञासा पैदा नहीं हो | | चाहता है, उसके लिए तर्क खोज लेता है। अगर उसे शोषण करना गई है। अर्जुन को प्रयोजन इतनी सी ही बात से है कि सामने वह | | है, तो वह उसके लिए तर्क खोज लेगा। अगर उसे स्वच्छंदता जो युद्ध का विस्तार दिखाई पड़ रहा है, उससे वह भयभीत हो गया चाहिए, तो वह उसके लिए तर्क खोज लेगा। अगर अनैतिकता है, वह डर गया है। लेकिन वह यह स्वीकार करने को राजी नहीं | चाहिए, तो वह उसके लिए तर्क खोज लेगा। आदमी की वासना कि मैं भय के कारण हटना चाहता हूं।
पहले है और तर्क केवल वासना को मजबूत करने का, स्वयं के हीहममें से कोई भी कभी स्वीकार नहीं करता कि हम भय के कारण | | सामने वासना को सिद्ध, तर्कयुक्त करने का काम करता है। हटते हैं। अगर हम भय के कारण भी हटते हैं, तो हम और कारण | । इसलिए फ्रायड ने कहा है कि आदमी रेशनल नहीं है। आदमी खोजकर रेशनलाइजेशन करते हैं। अगर हम भय के कारण भी | | बुद्धिमान है नहीं, सिर्फ दिखाई पड़ता है। आदमी उतना ही बुद्धिहीन भागते हैं, तो हम यह मानने को कभी राजी नहीं होते कि हम भय | है, जितने पशु। फर्क इतना है कि पशु अपनी बुद्धिहीनता के लिए के कारण भाग रहे हैं। हम कुछ और कारण खोज लेते हैं। | किसी फिलासफी का आवरण नहीं लेते। पशु अपनी बुद्धिमानी को ___ अर्जुन कह रहा है, यदि ज्ञान बिना कर्म के मिलता है, तो मुझे | सिद्ध करने के लिए कोई प्रयास नहीं करते। वे अपनी बुद्धिहीनता फिर कर्म में धक्का क्यों देते हैं?
में जीते हैं और बुद्धिमानी का कोई तर्क का जाल खड़ा नहीं करते। ज्ञान पाने के लिए अगर अर्जुन यह कहे, तो कृष्ण पहले आदमी | आदमी ऐसा पशु है, जो अपनी पशुता के लिए भी परमात्मा तक होंगे, जो उससे राजी हो जाएंगे। लेकिन वह फाल्स जस्टीफिकेशन, | का सहारा खोजने की कोशिश करता है। एक झूठा तर्क खोज रहा है। वह कह रहा है कि मुझे भागना है, मुझे ___ अर्जुन यही कर रहा है। कृष्ण की आंख से बचना मुश्किल है। निष्क्रिय होना है। और आप कहते हैं कि ज्ञान ही काफी है, तो कृपा | । अन्यथा अगर सांख्य की दृष्टि अर्जुन की समझ में आ जाए कि ज्ञान करके मुझे कर्म से भाग जाने दें। उसका जोर कर्म से भागने में है, | | ही काफी है, तो अर्जुन पूछेगा नहीं कृष्ण से एक भी सवाल। बात उसका जोर ज्ञान को पाने में नहीं है। यह फर्क समझ लेना एकदम खतम हो गई; वह उठेगा, नमस्कार करेगा और कहेगा, जाता हूं। जरूरी है. क्योंकि उससे ही कष्ण जो कहेंगे आगे. वह समझा जा झेन फकीरों की मोनेस्टीज में, आश्रम में एक छोटा-सा नियम सकता है।
है। जापान में जब भी कोई साधक किसी गुरु के पास ज्ञान सीखने अर्जुन का जोर इस बात पर नहीं है कि ज्ञान पा ले; अर्जुन का आता है, तो गुरु उसे बैठने के लिए एक चटाई दे देता है। और जोर इस बात पर है कि इस कर्म से कैसे बच जाए। अगर सांख्य | | कहता है, जिस दिन बात तुम्हारी समझ में आ जाए, उस दिन अपनी
301