SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 324
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Sam गीता दर्शन भाग-1 AM बोलेगी और रोज वही होगा। पति भी रोज वही उत्तर देगा। | है कि क्यों दबा रहे हैं एक्सेलेरेटर को। पता होना चाहिए कि क्यों अगर एक पति-पत्नी को सात दिन ठीक से देख लिया जाए, तो | | दबा रहे हैं, कहां दबा रहे हैं, कितनी भीड़ है, कितने लोग हैं, उनकी पिछली जिंदगी और आगे की सारी जिंदगी की कथा लिखी कितनी कारें दौड़ रही हैं। आपको कुछ पता नहीं है। जा सकती है कि पीछे क्या हुआ और आगे क्या होगा। क्योंकि यही आप एक्सेलेरेटर को नहीं दबा रहे हैं। कोई अपनी पत्नी के सिर होगा। इसकी पुनरुक्ति होती रहेगी। पर पैर दबा रहा है, कोई अपने बेटे के, कोई अपने बाप के, कोई ये नींद में चलते हुए लोग–वही क्रोध, वही काम, वही सब, अपने मालिक के। पता नहीं वह एक्सेलेरेटर किन-किन के लिए वही दुख, वही पीड़ा, वही चिंता-सब वही। रोज उठते हैं और काम कर रहा है। पता नहीं कौन एक्सेलेरेटर उस वक्त बना हुआ वही दोहराते हैं। जैसे सब तय है, बंधी हुई मशीन की तरह। बस, | है। दबाए जा रहे हैं। अब यह आदमी जो नींद में एक्सेलेरेटर दबा रोज अपनी मशीन पर जम जाते हैं और फिर दोहराते हैं। रहा है, इस आदमी को सड़क दिखाई पड़ रही होगी! यह नींद है। यह कृष्ण का दूसरा अर्थ है। जागा हुआ पुरुष जो ___ इसकी हालत ठीक वैसी है, मैंने सुना है, वर्षा हो रही है और भी करता है, वह नींद में करने वाले आदमी जैसा उसका व्यवहार एक आदमी अपनी कार चला रहा है। जोर से वर्षा हो रही है, नहीं है। लेकिन वह आदमी वाइपर नहीं चला रहा है कार के। तो उसकी क्या फर्क पड़ेगा उसके व्यवहार में? तो उन्होंने इंगित दिए हैं कि पत्नी उससे कहती है, क्या कर रहे हो! जैसा कि पत्नियां आमतौर नींद से भरा हुआ आदमी मैं के और अहंकार के आस-पास | से ड्राइवर को गाइड करती रहती हैं। पति चलाता है, पत्नियों जीएगा। उसका सब कुछ अहंकार से भरा होगा। चलवाती हैं। वे पूरे वक्त बताती रहती हैं कि यह करो, यह करो। कभी आपने खयाल किया है, आईने के सामने खड़े होकर जो पूछा, क्यों नहीं चला रहे हैं वाइपर? तो उसने कहा, कोई फायदा तैयारी आप कर रहे हैं, वह आपकी तैयारी है कि अहंकार की तैयारी नहीं है, क्योंकि चश्मा तो मैं घर ही भूल आया हूं। वैसे ही नहीं है! किसकी तैयारी कर रहे हैं? अहंकार की तैयारी कर रहे हैं। बाहर दिखाई पड़ रहा है कुछ। पानी गिर रहा है कि नहीं गिर रहा है, इससे निकलते हैं, तो झाड़-झूड़ के साफ, रीढ़ सीधी कर लेते हैं। आंखें क्या मतलब है! तेज हो जाती हैं। या तो सुरक्षा में लग जाते हैं या आक्रमण में लग अब यह जो आदमी है, वह जो एक्सेलेरेटर को क्रोध में दबा रहा । जाते हैं। चल पड़े, नींद वाला आदमी निकला घर से बाहर, उपद्रव है, वह भी अंधा है। उसको भी कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा है कि संभावित है, कि कुछ होगा अब। अब यह कुछ न कुछ करेगा। और बाहर क्या हो रहा है। पचहत्तर प्रतिशत दुर्घटनाएं मानसिक घटनाएं सारे लोग अपने घरों के बाहर निकल रहे हैं। ये कुछ न कुछ करेंगे। हैं। यह नीद है। अमेरिका में अभी कार के एक्सिडेंट्स का जो सर्वे हुआ है, इस नींद में हम उलटा भी करते हैं। वह तीसरा आयाम है। फिर उससे पता चला है कि पचहत्तर प्रतिशत कार की दुर्घटनाएं भौतिक हम आगे बढ़ें। नहीं, मानसिक घटनाएं हैं। पागलपन की बात मालूम होती है न! एक तीसरा अर्थ भी है; नींद का कृत्य हमेशा, जो आप करते हैं कार की दुर्घटना और मानसिक! कार का भी कोई माइंड है, कार और जो होता है, उसका आपको कोई खयाल नहीं होता। जो आप का भी कोई मन है कि कार भी कोई मन से दुर्घटना करती है! कार | करते हैं, उससे ही होता है। लेकिन जब होता है, तब आप पछताते का नहीं है. डाइवर का है. वह जो सारथी बैठे रहते हैं भीतर। । हैं कि यह कैसे हो गया। क्योंकि हमने तो यह कभी न किया था। कभी आपको पता है कि जब आप क्रोध में होते हैं, तो कार का एक स्त्री सज रही है, आईने के सामने सज रही है। अब उसे एक्सेलेरेटर जोर से दबता है-नींद में, होश में नहीं। जल्दी पता नहीं है कि सजकर वह क्या कर रही है। मैं सज रही हूं और आपको कहीं पहुंचना नहीं है। लेकिन चित्त क्रोध से भरा है। किसी कुछ भी नहीं कर रही! लेकिन वह सज-धजकर सड़क पर आ गई चीज को दबाना चाहता है। इसकी फिक्र नहीं कि किसको दबा रहे है। उसने चुस्त कपड़े पहन रखे हैं। अब उसको पता नहीं कि वह हैं। एक्सेलेरेटर को ही दबा रहे हैं। अब एक्सेलेरेटर से कोई झगड़ा धक्का निमंत्रित कर रही है। कोई आदमी धक्का मारेगा। जब वह नहीं है। अब एक्सेलेरेटर को दबाइएगा क्रोध में, तो खतरा पक्का धक्का मारेगा, तब वह कहेगी कि बहुत ज्यादती हो रही है। वह स्त्री है। क्योंकि एक तो नींद में दबाया जा रहा है। आपको पता ही नहीं कहेगी, बहुत ज्यादती हो रही है, अन्याय हो रहा है, अनीति हो रही 294
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy