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________________ 2m गीता दर्शन भाग-1 AM को जागा ही रहना होगा। . इसलिए मैं कहता हूं कि जिन लोगों ने गीता के इस महावाक्य आकाश में बिजली चमकती है, बादल गरजते हैं, पानी बरस पर वक्तव्य दिए हैं, उनको खुद का कोई अनुभव नहीं है। अन्यथा रहा है, उसका कुछ सुनाई नहीं पड़ता उसे। लेकिन बच्चे की यह पहला वक्तव्य चूक नहीं सकता था। उनको साफ पता नहीं है जरा-सी आवाज, उसका जरा-सा करवट लेना, उसकी धीमी-सी कि नींद में जागा हुआ हुआ जा सकता है। लेकिन जागे हुए ही सोए पुकार उसे तत्काल जगा देती है। एक हिस्सा उसका भी जागा हुआ हुए आदमियों को नींद में जागने का खयाल भी नहीं उठ सकता है! है। पर एक हिस्सा! जरूरत के वक्त, इमरजेंसी मेजर है वह हमारा। तो वे इसका मेटाफोरिकल अर्थ करते हैं। वह अर्थ ठीक नहीं है। साधारणतः हमारी पूरी चेतना डूबी रहती है अंधेरे में। जो आदमी दिन में जागकर चलेगा, उठेगा, बैठेगा, वह रात में कृष्ण कहते हैं, ज्ञानी पुरुष नींद में भी जागा रहता है। पहला भी जागा हुआ सोएगा। अर्थ, पहले आयाम का अर्थ, वास्तविक निद्रा में भी जागरण है। महावीर ने कहा है-अजीब बात कही है—महावीर ने कहा है, और मैं आपसे कहता हूं कि यह बहुत कठिन नहीं है। जो आदमी | साधुओ! जागकर चलना, जागकर उठना, जागकर बैठना। सब दिन के जागते हिस्से में बारह घंटे जागा हुआ जीएगा, वह रात में | ठीक है। लेकिन आखिर में महावीर कहते हैं, जागकर सोना। जागा हुआ सोता है। आप रास्ते पर चल रहे हैं, जागकर चलें। | पागलपन की बातें कर रहे हैं! तो फिर सोएंगे काहे के लिए! आप खाना खा रहे हैं, जागकर खाएं। आप किसी से बात कर रहे | जागकर सोना, जागते रहना और देखना कि नींद कब आई। हैं, जागकर बोलें। सुन रहे हैं, जागकर सुनें। यह नींद-नींद, ___ आप कितनी दफे सोए हैं, कभी नींद को आते देखा? जिंदगीभर स्लीपी-स्लीपी न हो। यह सब ऐसे ही चल रहा है। | सोए, रोज सोए। आदमी साठ साल जीता है, तो बीस साल सोता एक आदमी खाना खा रहा है। हमें लगता है कि नींद में कैसे | | है। आठ घंटे सोए अगर, तो बीस साल सोने में चले जाते हैं। खाना खा सकता है। लेकिन मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि सब लोग | जिंदगी का एक तिहाई सोते हैं। बीस साल सोकर भी कभी आपको नींद में खाना खा रहे हैं। पता है, नींद कब आती है? कैसे आती है? नींद क्या है? इमरसन एक बडा विचारक हुआ। सबह बैठा है। उसकी कैसा अदभुत है यह मामला! बीस साल जिस अनुभव से नौकरानी नाश्ता रख गई। किताब में उलझा है, तो नौकरानी ने बाधा | | गुजरते हैं, उस अनुभव की कोई भी पहचान नहीं है! रोज सोते हैं। . नहीं दी। किताब से छूटेगा, तो नाश्ता कर लेगा। | लेकिन कोई आपसे पूछे कि नींद क्या है? व्हाट इज़ दि स्लीप? उसका एक मित्र मिलने आया है। वह किताब में डूबा है। नाश्ता | | कैसे आती है? आते वक्त क्या उसकी शकल है, क्या उसका रूप पास है। मित्र ने सोचा, इससे बात पीछे कर लेंगे, पहले नाश्ता कर | है? कैसे उतरती है? जैसे सांझ उतरती है अंधकार की, सूरज डूबता लें। मित्र ने नाश्ता कर लिया, प्लेट खाली करके बगल में सरका दी। | है, ऐसा आपके भीतर क्या उतरता है नींद में? फिर इमरसन ने कहा, अरे कब आए? मित्र को देखा, खाली प्लेट | ___ आप कहेंगे कि कुछ पता नहीं है। क्योंकि जब तक जागे रहते को देखा और कहा कि जरा देर से आए. मैं नाश्ता कर चका ह। । हैं. तब तक नींद नहीं आती। जब नींद आ जाती है. इस आदमी ने कभी जागकर नाश्ता किया होगा? नहीं, हमने भी | सो गए होते हैं। नहीं किया है। एक रूटीन है, जिसको हम नींद में भी कर लेते हैं। सुबह उठते हैं रोज। कभी देखा है कि नींद का टूटना क्या है, आदमी साइकिल चलाता है। पैर साइकिल चलाते रहते हैं, आदमी फिनामिनल? नींद कैसे टूटती है? क्या होता है नींद के टूटने में? भीतर कुछ और चलाता रहता है। चलता चला जाता है। नींद है। __आप कहते हैं, कुछ पता नहीं। जब तक नींद नहीं टूटती, तब सड़क के किनारे खड़े हो जाएं, लोगों को जरा चलते देखें। कोई | | तक हम नहीं होते। जब नींद टूट जाती है, तब टूट ही चुकी होती बातचीत करता दिखाई पड़ेगा किसी से, जो मौजद नहीं है। किसी है। कोई हमें पता नहीं। के ओंठ हिल रहे हैं। कोई हाथ से किसी को झिड़क रहा है। कोई | कृष्ण कह रहे हैं, ज्ञानी जागकर सोता है। इशारा कर रहा है। आप बहुत हैरान होंगे कि किससे हो रहा है यह | __ और जिस व्यक्ति ने अपनी नींद को जागकर देख लिया, वही सब! नींद, नींद में चल रहे हैं। जब हम जागे हुए भी सोए हैं, तो | व्यक्ति अपनी मृत्यु को भी जागकर देख सकता है, अन्यथा नहीं सोए हुए जागना बहुत मुश्किल है। देख सकता है। इसलिए इस सूत्र को मैं महावाक्य कहता हूं। 292
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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