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- गीता दर्शन भाग-1 AM
देवी-देवता हैं, फिर अदृश्य वृक्ष, पशु-पक्षी सब हैं, उन सब की | एक बूढ़े वजीर ने नई सजा खोज ली। आप भी न सोच सकेंगे कि चाहें हैं। अगर हम अपने ऊपर देख सकें, तो हमें पता चले कि पूरा | नई सजा क्या हो सकती थी।
आकाश, पूरा व्योम अनंत चाहों से क्रिस-क्रास है। अनंत चाहें नई सजा यह थी कि दोनों को नग्न करके, एक-दूसरे के चेहरों एक-दूसरे को काट रही हैं। एक-एक चाह पर करोड़-करोड़ चाहों | | को आमने-सामने करके, दोनों को एक खंभे से बांध दिया गया। का कटाव है। वह कटाव क्रोध पैदा करता है; करेगा ही। जहां भी | | कभी सोचा भी नहीं होगा किसी ने! एक दिन, दो दिन, एक-दूसरे वासना कटी कि पीड़ा हुई। जैसे किसी ने रग काट दी हो और खून के शरीर से बास आने लगी, मल-मूत्र छूटने लगा। तीन दिन, बहने लगे। वासना की रग कटती है, तो क्रोध का खून बहता है। | एक-दूसरे के चेहरे को देखने की भी इच्छा न रही। चार दिन, कृष्ण कहते हैं, काम से क्रोध पैदा होता है।
एक-दूसरे पर भारी घृणा पैदा होने लगी। पांच दिन, नींद नहीं, क्रोध, क्रोध बहुत ही...। मनुष्य के अस्तित्व में, जैसा मनुष्य | | मल-मूत्र, गंदगी; और बंधे हैं दोनों एक साथ—यही चाहते थे! है, बड़ी गहरी आधारशिलाएं उसकी रखी हैं। है क्या क्रोध, अपने पंद्रह दिन, दोनों पागल हो गए कि एक-दूसरे की गर्दन काट दें। में? शक्ति, एनर्जी! तृप्ति के लिए काम के मार्ग से जाती थी, और नादिर रोज आकर देखता कि कहो प्रेमियो, इच्छा पूरी कर लेकिन मार्ग अवरुद्ध पाकर शक्ति उद्विग्न हो गई है। चाहा था कुछ, दी न! मिला दिया न दोनों को! और ऐसा मिलाया है कि छूट भी उस चाह की पगडंडी से प्राणों की ऊर्जा बहनी थी; आ गया है नहीं सकते। जंजीरें बंधी हैं। पंद्रह दिन बाद जब उन दोनों को छोड़ा, पत्थर, अटक गया सब। शक्ति अपने पर लौट पड़ी है। सब भीतर तो कथा है कि उन्होंने लौटकर एक-दूसरे को जिंदगी में न दुबारा क्रुद्ध हो गया है। लौटा हुआ काम, काम के मार्ग से जाती हुई ऊर्जा | | देखा और न बोले। जो भागे एक-दूसरे से, तो फिर लौटकर कभी अवरुद्ध होकर विद्रोह से भर गई है, विक्षिप्त हो गई है, इनसेन हो | नहीं देखा! गई है। इसलिए क्रोध है।
क्या हुआ? मोह पैदा होने का उपाय न रहा। अमोह पैदा हो जैसे-जैसे क्रोध बढ़ता है, वैसे-वैसे मोह बढ़ता है। क्यों? जिसे गया। करीब-करीब जिसको हम विवाह कहते हैं, वह भी हम चाहते हैं और नहीं पा पाते, उसके प्रति मोह और गहरा हो जाता | | नादिरशाह का बहुत छोटे पैमाने पर प्रयोग है-बड़े छोटे पैमाने है। मिल जाए, तो मोह कम हो जाता है। न मिले. तो मोह बढ़ जाता | पर। किसी बहुत होशियार आदमी ने कोई गहरी ईजाद की है। मैरिज है। जो नहीं मिलता, उसी के प्रति मोह होता है; जो मिलता है, | मोह को नहीं जमने देती, मोह को मार डालती है। असल में मोह, उसके प्रति मोह नहीं रह जाता। क्रोध मोह को जन्म दे जाता है। मोह | जो नहीं मिलता, उसके लिए पैदा होता है। का मतलब क्या है?
इसलिए कृष्ण की इनसाइट, उनकी अंतर्दृष्टि गहरी है। वे कहते __मैंने सुना है कि नादिरशाह ने एक दफे एक बहुत गहरा मजाक | | हैं, क्रोध से मोह पैदा होता है अर्जुन! क्योंकि क्रोध का मतलब ही किया। गहरा कहना चाहिए। और कभी-कभी पाप में गहरे गए | यह है कि जिसे चाहा था, वह नहीं मिल सका, इसलिए क्रोध लोगों की बुद्धि भी पुण्य में गहरे गए लोगों की बुद्धि जैसी ही गहरी | आया। नहीं मिल सका, इसलिए मिलने की और आकांक्षा हो जाती है—उलटी होती है, लेकिन गहरी हो जाती है। आएगी। नहीं मिल सका, इसलिए पाने का और पागलपन आएगा।
नादिरशाह किसी स्त्री के प्रति लोलुप है, लेकिन वह स्त्री उसके नहीं मिल सका, इसलिए मन और-और विक्षिप्त हो जाएगा और प्रति बिलकुल ही अनासक्त है, पर नादिरशाह के एक सैनिक के मांग करेगा। प्रति पागल है। स्वभावतः, नादिर के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल ___जापान में वेश्याओं का एक वर्ग है-गेसा गर्ल्स। उनकी जो हो गया। पकड़वा भिजवाया दोनों को। पूछा अपने वजीरों से कि ट्रेनिंग है, उस ट्रेनिंग का एक हिस्सा है-दुनिया में सभी वेश्याओं कोई नई सजा खोजो, जो कभी न दी गई हो।
| की ट्रेनिंग का हिस्सा है। वेश्याएं पत्नियों से ज्यादा होशियार हैं। ऐसी कोई सजा है, जो कभी न दी गई हो! सब सजाएं चुक गई। गेसा गर्ल्स को सिखाया जाता है कि कभी इतनी मत मिल जाना हैं। वजीर बड़ी मुश्किल में पड़े। नई-नई सजाएं खोजकर लाते, किसी को कि अमोह पैदा हो जाए। बस, मिलना और न मिलना, लेकिन नादिर कहता कि यह हो चुका; यह कई बार दी जा चुकी इनके बीच सदा खेल को चलाते रहना। पास बुलाना किसी को और है। हम ही दे चुके हैं। दूसरे दे चुके हैं। नई चाहिए! और सच में ही दूर हो जाना। कोई निकट आ पाए कि सरक जाना। बुलाना भर,