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________________ Om गीता दर्शन भाग-1 AM चलता, बहुत मुश्किल है पता चलना। क्योंकि अभाव का पता | लेकिन खुर्दबीन चाहिए; आदमी के चेहरे पर भी हैं। बड़ी खुर्दबीन चलना बहुत मुश्किल है। से जब देखो तो ऐसा लगता है कि खाई-पहाड़, खाई-पहाड़, ऐसा बर्नार्ड शा हरे रंग के प्रति अंधा था-साठ साल की उम्र में पता | | दिखाई पड़ता है। सत्य क्या है? जो खुर्दबीन से दिखता है वह ? या चला। साठ साल तक उसे पता ही नहीं था कि हरा रंग उसे दिखाई जो खाली आंख से दिखता है वह? अगर सत्य ही होगा, तो ही नहीं पड़ता! उसे हरा और पीला एक-सा दिखाई पड़ता था। कभी खुर्दबीन वाला ही ज्यादा होना चाहिए, खाली आंख की बजाय। कोई मौका ही नहीं आया कि जिसमें जांच-पड़ताल हो जाती। वह उसको वैज्ञानिक बड़े इंतजाम से बनाते हैं। तो साठवीं वर्षगांठ पर किसी ने एक सूट उसे भेंट भेजा। हरे रंग जो हमें दिखाई पड़ रहा है, वह सिर्फ एक्वेनटेंस है, कामचलाऊ, का सूट था। टाई भेजना भूल गया होगा। तो बर्नार्ड शा न सोचा कि | यूटिलिटेरियन! उपयोगी है, सत्य नहीं है। इसलिए दूसरे से हम टाई भी खरीद लाएं, तो पूरा हो जाए। तो बाजार में टाई खरीदने सिर्फ परिचित ही हो सकते हैं। उस परिचय को कभी ज्ञान मत गया; पीले रंग की टाई खरीद लाया। समझ लेना। सेक्रेटरी ने रास्ते में कहा कि आप यह क्या कर रहे हैं, बड़ी इसलिए कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, परम-ज्ञान है सांख्य। सांख्य अजीब मालूम पड़ेगी! पीले रंग की टाई और हरे रंग के कोट पर? | का मतलब है, दूसरे को नहीं, उसे जानो जो तुम हो। क्योंकि उसे बर्नार्ड शा ने कहा, पीला और हरा! क्या दोनों बिलकुल मैच नहीं | ही तुम भीतर से, इंटिमेटली, आंतरिकता से, गहरे में जान सकते करते? दोनों बिलकुल एक जैसे नहीं हैं? उसने कहा कि आप हो। उसको बाहर से जानने की जरूरत नहीं है। उसमें तुम उतर मजाक तो नहीं कर रहे हैं? बर्नार्ड शा आदमी मजाक करने वाला सकते हो, डूब सकते हो, एक हो सकते हो। था। पर उसने कहा कि नहीं, मजाक नहीं कर रहा। तुम क्या कह | ___ इसलिए इस मुल्क में, हमारे मुल्क में तो हम ज्ञान कहते ही सिर्फ रहे हो! ये दोनों अलग हैं? ये दोनों एक ही रंग हैं! तब आंख की | | आत्मज्ञान को हैं। बाकी सब परिचय है। साइंस ज्ञान नहीं है इन जांच करवाई, तो पता चला कि उसकी आंख को हरा रंग दिखाई | अर्थों में। साइंस का जो शब्द है अंग्रेजी में, उसका मतलब होता है ही नहीं पड़ता। वह ब्लाइंड है हरे रंग के प्रति। ज्ञान, उसका मतलब भी टु नो है। साइंस का मतलब अंग्रेजी में तो जो मुझे दिखाई पड़ रहा है, वह सच में है? वैसा ही है जैसा | होता है ज्ञान। लेकिन हम अपने मुल्क में साइंस को ज्ञान नहीं कहते, ' दिखाई पड़ रहा है? कुछ पक्का नहीं है। जो हमें दिखाई पड़ रहा है, हम उसे विज्ञान कहते हैं; हम कहते हैं, विशेष ज्ञान। ज्ञान नहीं, वह सिर्फ एज़म्शन है। हम मानकर चल सकते हैं कि है। एक बड़ी | | स्पेसिफिक नालेज। ज्ञान नहीं, क्योंकि ज्ञान तो है वह जो स्वयं को दूरबीन ले आएं, एक बड़ी खुर्दबीन ले आएं और आपके चेहरे पर जानता है। यह विशेष ज्ञान है, जिससे जिंदगी में काम चलता है। लगाकर देखें। एक स्पेसिफिक नालेज है, एक्वेनटेंस है, परिचय है। ऐसी मजाक मैंने सुनी है। एक वैज्ञानिक ने एक बहुत सुंदर स्त्री | इसलिए हमारा विज्ञान शब्द अंग्रेजी के साइंस शब्द से ज्यादा से विवाह किया। और जाकर अपने मित्रों से, वैज्ञानिकों से कहा मौजूं है, वह ठीक है। क्योंकि वह एक-वि-विशेषता जोड़कर कि बहुत सुंदर स्त्री से प्रेम किया है। उन वैज्ञानिकों ने कहा, ठीक यह कह देता है कि ज्ञान नहीं है, एक तरह का ज्ञान है। एक तरह से देख भी लिया है ? खुर्दबीन लगाई थी कि नहीं? क्योंकि भरोसा का ज्ञान है, ए टाइप आफ नालेज। लेकिन सच में ज्ञान तो एक ही क्या है! उसने कहा, क्या पागलपन की बात करते हो? कहीं स्त्री | है। और वह है उसे जानना, जो सबको जानता है। के सौंदर्य को खुर्दबीन लगाकर देखा जाता है। उन्होंने कहा, तुम ले | | यह भी स्मरण रखना जरूरी है कि जब मैं उसे ही नहीं जानता, आना अपनी सुंदर स्त्री को। | जो सबको जानता है, तो मैं सबको कैसे जान सकता हूं! जब मैं मित्र, सिर्फ मजाक में, मिलाने ले आया। उन सबने एक बड़ी अपने को ही नहीं जानता कि मैं कौन हूं, तो मैं आपको कैसे जान खुर्दबीन रखी, सुंदर स्त्री को दूसरी तरफ बिठाया। उसके पति को सकता हूं कि आप कौन हैं! अभी जब मैंने इस निकटतम सत्य को बुलाया कि जरा यहां से आकर देखो। देखा तो एक चीख निकल | नहीं जाना—दि मोस्ट इंटिमेट, दि नियरेस्ट-जिसमें इंचभर का गई उसके मुंह से। क्योंकि उस तरफ तो खाई-खड्डे के सिवाय कुछ | | फासला नहीं है, उस तक को भी नहीं जान पाया, तो आप तो मुझसे दिखाई नहीं पड़ता था। स्त्री के चेहरे पर इतने खाई-खड्डे! | बहुत दूर हैं, अनंत दूरी पर हैं। और अनंत दूरी पर हैं। कितने ही 1224
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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