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फलाकांक्षारहित कर्म, जीवंत समता और परम पद -
होता है। जिस दिन भीतर पहुंचता है, स्वयं में जब खड़ा हो जाता | बाहर से कोई भी उपाय नहीं है। है-स्टैंडिंग इन वनसेल्फ-जब अपने में ही खड़ा हो जाता है, | लीबनिज हुआ एक बहुत बड़ा गणितज्ञ और विचारक। उसने जब स्वयं में और स्वयं के खड़े होने में रत्तीभर का फासला नहीं | | आदमी के लिए एक शब्द दिया है, मोनोड। वह कहता है, हर होता; जब हम वहीं होते हैं जहां हमारा सब कुछ होना है, जब हम | | आदमी एक बंद मकान है, जिसमें कोई द्वार-दरवाजा-खिड़की भी वही होते हैं जो हम हैं, जब हम ठीक अपने प्राणों की ज्योति के | | नहीं है। मोनोड का मतलब है, विंडोलेस सेल-एक बंद मकान, साथ एक होकर खड़े हो जाते हैं-इसे सांख्यबुद्धि कृष्ण कहते हैं। | जिसमें कोई खिड़की भी नहीं है, जिसमें से घुस जाओ और भीतर
मैंने पीछे आपसे कहा कि सांख्य परम ज्ञान है, दि सुप्रीम जाकर जान लो कि क्या हो रहा है! डॉक्ट्रिन। उससे बड़ा कोई सिद्धांत नहीं है। ह्यूबर्ट बेनॉयट ने एक आप प्रेम से भरे हैं। क्या करें कि हम आपके प्रेम को जान लें किताब लिखी है। किताब का नाम है, दि सुप्रीम डॉक्ट्रिन। लेकिन बाहर से? कोई उपाय नहीं है। कोई उपाय नहीं है। निर-उपाय है। उसे सांख्य का कोई पता नहीं है। उसने वह किताब झेन पर लिखी हां, लेकिन कुछ-कुछ जान सकते हैं। पर वह जो जानना है, वह है। लेकिन जो भी लिखा है वह सांख्य है। परम सिद्धांत क्या है? ठीक नहीं है कहना कि ज्ञान है। सांख्य को परम ज्ञान कृष्ण कहते हैं, क्या बात है? ज्ञानों में श्रेष्ठतम तो बड रसेल ने दो शब्द बनाए हैं। एक को वह कहता है ज्ञान सांख्य क्यों है?
नालेज, और एक को कहता है एक्वेनटेंस। एक को वह कहता है - दो तरह के ज्ञान हैं। एक ज्ञान, जिससे हम ज्ञेय को जानते हैं। और ज्ञान, और एक को कहता है परिचय। तो दूसरे का हम ज्यादा से एक दूसरा ज्ञान, जिससे हम ज्ञाता को जानते हैं। एक ज्ञान, जिससे ज्यादा परिचय कर सकते हैं, एक्वेनटेंस कर सकते हैं; दूसरे का हम आब्जेक्ट को जानते हैं—वस्तु को, विषय को। और एक ज्ञान, | ज्ञान नहीं हो सकता। और दूसरे का जो परिचय है, उसमें भी इतने जिससे हम सब्जेक्ट को जानते हैं, जानने वाले को ही जानते हैं | | मीडियम हैं बीच में कि वह ठीक है, इसका कभी भरोसा नहीं हो जिससे। ज्ञान दो हैं। पहला ज्ञान साइंस बन जाता है, आब्जेक्टिव सकता है। नालेज। दूसरा ज्ञान सांख्य बन जाता है, सब्जेक्टिव नालेज। आप वहां बैठे हैं बीस गज की दूरी पर। मैंने आपके चेहरे को ___ मैं आपको जान रहा हूं, यह भी एक जानना है। लेकिन मैं | कभी नहीं देखा, हालांकि अभी भी देख रहा हूं। फिर भी आपके आपको कितना ही जानूं, तब भी पूरा न जान पाऊंगा। मैं आपको | चेहरे को नहीं देख रहा हूं। आपके पास से ये प्रकाश की किरणें, कितना ही जानूं, मेरा जानना राउंड अबाउट होगा; मैं आपके आपके चेहरे को लेकर मेरी आंखों के भीतर जा रही हैं। फिर आंखों आस-पास घूमकर जानूंगा, आपके भीतर नहीं जा सकता। अगर | के भीतर ये प्रकाश की किरणें मेरी आंखों के तंतुओं को हिला रही मैं आपके शरीर की चीर-फाड़ भी कर लूं, तो भी बाहर ही जानूंगा, हैं। फिर वे आंखों के तंतु मेरे भीतर जाकर मस्तिष्क के किसी तो भी भीतर नहीं जा सकता। अगर मैं आपके मस्तिष्क के भी रासायनिक द्रव्य में कुछ कर रहे हैं, जिसको अभी वैज्ञानिक भी नहीं टुकड़े-टुकड़े कर लं, तो भी बाहर ही रहूंगा, भीतर नहीं जा सकता। कहते कि क्या कर रहे हैं। वे कहते हैं, समथिंग। अभी पक्का नहीं उन अर्थों में मैं आपके भीतर नहीं जा सकता, जिन अर्थों में आप होता कि वे वहां क्या कर रहे हैं! उनके कुछ करने से मुझे आप अपने भीतर हैं। यह इंपासिबिलिटी है।
दिखाई पड़ रहे हैं। पता नहीं, आप वहां हैं भी या नहीं। क्योंकि आपके पैर में दर्द हो रहा है। मैं समझ सकता हूं, क्या हो रहा सपने में भी आप मुझे दिखाई पड़ते हैं और नहीं होते हैं; सुबह पाता है। मेरे पैर में भी दर्द हुआ है। नहीं हुआ है, तो मेरे सिर में दर्द हुआ हूं, नहीं हैं। अभी आप दिखाई पड़ रहे हैं, पता नहीं, हैं या नहीं! है, तो भी मैं अनुमान कर सकता हूं कि आपको क्या हो रहा है। क्योंकि कौन कह सकता है कि जो मैं देख रहा हूं, वह सपना नहीं अगर कुछ भी नहीं हुआ है, तो भी आपके चेहरे को देखकर समझ है! कौन कह सकता है कि जो मैं देख रहा हूं, वह सपना नहीं है! सकता हूं कि कोई पीड़ा हो रही है। लेकिन सच में आपको क्या हो फिर पीलिया का मरीज है, उसे सब चीजें पीली दिखाई पड़ती रहा है, इसे मैं बाहर से ही जान सकता हूं। वह इनफरेंस है, अनुमान हैं। कलर ब्लाइंड लोग होते हैं-दस में से एक होता है, यहां भी है। मैं अनुमान कर रहा हूं कि ऐसा कुछ हो रहा है। लेकिन जैसे कई लोग होंगे—उनको खुद भी पता नहीं होता। कुछ लोग रंगों के आप अपने दर्द को जान रहे हैं, वैसा जानने का मेरे लिए आपके प्रति अंधे होते हैं। कोई किसी रंग के प्रति अंधा होता है। पता नहीं
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