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________________ m गीता दर्शन भाग-1 AM है। बात खतम हो गई। अब आप क्यों परेशान हैं? चाहिए...। कोई बीस-बाइस बातों की फेहरिस्त तैयार की। उसमें तो इस धन का क्या होगा? सब आ गया, जो आदमी चाह सकता है। जो भी चाह चाह सकती मैंने कहा, धन का सबके मर जाने के बाद क्या होता है? और है, वह सब आ गया। जो भी विषय की मांग हो सकती है, वह सब तुम्हें क्या फिक्र है? तुम मर जाओगे, धन का जो होगा, वह होगा। | आ गया। जो भी कामना निर्मित कर सकती है, वे सब सपने आ कहा कि नहीं, मेरे ही लड़के के पास मेरा धन होना चाहिए। तो | गए। पर न मालूम, पूरी फेहरिस्त को बार-बार पढ़ता है, कि इसमें मैंने कहा, फिर मेरे लड़के के पास मेरी ही पसंद की औरत होनी | | और कुछ तो नहीं जोड़ा जाना है; क्योंकि वह जीवनभर का नक्शा चाहिए, यह खयाल छोड़ो। तुम्हारा लड़का धन छोड़ने को राजी है बनाना है। अपने प्रेम के लिए, तुम भी कुछ छोड़ने को राजी होओ। सब खोज लेता है, कुछ जोड़ने को बचता नहीं। सब आ गया, दो दिन मेरे पास थे, सारी बात हुई। देखा कि सब हजार तरह | | फिर भी, समथिंग इज़ मिसिंग। कुछ ऐसा लगता है कि कोई कड़ी की उलटी-सीधी इच्छाएं मन को पकड़े हुए हैं, तो चित्त अशांत हो खो रही है। क्यों लगता है ऐसा? क्योंकि रात सोते वक्त उसने गया है। हम सब का मन ऐसा ही अशांत है। | सोचा कि मैं देखू कि सब मुझे समझ लो कि मिल गया, जो-जो कृष्ण कह रहे हैं कि विषय-आसक्त चित्त-चूंकि विषय बहुत मैंने फेहरिस्त पर लिखा है, सब मिल गया हो जाएगा सब ठीक? विपरीत हैं—एक ही साथ विपरीत विषयों की आकांक्षा करके तो मन खाली-खाली लगता है। मन में ऐसा उत्त विक्षिप्त होता रहता है और खंड-खंड में टूट जाता है। जो व्यक्ति आश्वासन से भरा, निश्चय से भरा, कि हां, यह सब मिल जाए, निष्काम कर्म की तरफ यात्रा करता है, अनिवार्यरूपेण-क्योंकि जो फेहरिस्त पर लिखा है, तो बस, सब मिल जाएगा। नहीं, ऐसा कामना गिरती है. तो कामना से बने हए खंड गिरते हैं। जो व्यक्ति | निश्चय नहीं आता; ऐसी निश्चयात्मक लहर नहीं आती भीतर। अपेक्षारहित जीवन में प्रवेश करता है, चूंकि अपेक्षा गिरती है, तो गांव में एक बूढ़े फकीर के पास वह गया। उसने कहा कि इसलिए अपेक्षाओं से निर्मित खंड गिरते हैं। उसके भीतर | इस गांव में सबसे ज्यादा बूढ़े तुम हो, सबसे ज्यादा जिंदगी तुमने एकचित्तता, यूनिसाइकिकनेस, उसके भीतर एक मन पैदा होना देखी है। और तुमने जिंदगी गृहस्थ की ही नहीं देखी, संन्यासी की शुरू होता है। | भी देखी है। तुमसे बड़ा अनुभवी कोई भी नहीं है। तो मैं यह __ और जहां एक मन है. वहां जीवन का सब कुछ है-शांति भी. फेहरिस्त लाया है, जरा इसमें कुछ जोड़ना हो तो बता दो। सुख भी, आनंद भी। जहां एक मन है, वहां सब कुछ है-शक्ति | उस बूढ़े ने पूरी फेहरिस्त पढ़ी, फिर वह हंसा और उसने कलम भी, संगीत भी, सौंदर्य भी। जहां एक मन है, उस एक मन के पीछे | उठाकर वह पूरी फेहरिस्त काट दी। और पूरी फेहरिस्त के ऊपर जीवन में जो भी है, वह सब चला आता है। और जहां अनेक मन बड़े-बड़े अक्षरों में तीन शब्द लिख दिए, पीस आफ माइंड, मन हैं, तो पास में भी जो है, वह भी सब बिखर जाता है और खो जाता | की शांति। उसने कहा, बाकी ये सब तुम फिक्र छोड़ो; तुम यह एक है। लेकिन हम सब पारे की तरह हैं-खंड-खंड. टटे हए. बिखरे चीज पा लो. तो यह बाकी सब मिल सकता है। और यदि तमने हुए। खुद ही इतने खंडों में टूटे हैं, कि कैसे शांति हो सकती है! | बाकी सब भी पा लिया, तो भी ये जो तीन शब्द मैंने लिखे, ये तुम्हें जोसुआ लिएबमेन ने अपने संस्मरण लिखे हैं। संस्मरण की | कभी मिलने वाले नहीं हैं। और आखिर में निर्णय यही होगा कि यह किताब को जो नाम दिया है, वह बहुत अच्छा है। और किताब के पीस आफ माइंड, यह मन की शांति मिली या नहीं? पहले ही हिस्से में उसने जो उल्लेख किया है, वह कीमती है। कहा तो लिएबमेन ने अपनी आत्मकथा लिखी है, उसको नाम दिया कि जवान था, विश्वविद्यालय से पढ़कर लौटा था, तो मेरे मन में है, पीस आफ माइंड। किताब को नाम दिया. मन की शांति। और हुआ कि अब जीवन का एक नक्शा बना लूं कि जीवन में क्या-क्या | लिखा कि उस दिन तो मुझे लगा कि यह बूढ़े ने सब फेहरिस्त खराब पाना है! स्वभावतः, जीवन का एक नक्शा हो, तो जीवन को कर दी। कितनी मेहनत से बनाकर लाया हूं और इस आदमी ने सब सुव्यवस्थित चलाया जा सके। काट-पीट कर दिया। जंची नहीं बात कुछ उसकी। लेकिन जिंदगी तो उसने एक फेहरिस्त बनाई। उस फेहरिस्त में लिखा कि धन के अंत में लिएबमेन कहता है कि आज मैं जानता हूं कि उस बूढ़े चाहिए, सुंदर पत्नी चाहिए, यश चाहिए, सम्मान चाहिए, सदाचार ने फेहरिस्त काटी थी, तो ठीक ही किया था। उसने फाड़कर क्यों न 196
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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