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- निष्काम कर्म और अखंड मन की कीमिया
पर
मिनिस्ट्री में पहुंचे बिना हमें कोई चैन नहीं है। बेईमानी से हमें कोई | | मिली! जैसे कि मिलना कोई आपका अधिकार था। बाहर हो जाओ मतलब नहीं। साफ बात कहिए। और नहीं तो आप अपने लड़के | दरवाजे के। में भी डबल माइंड पैदा कर देंगे।
उन्होंने कहा, आप कैसे आदमी हैं! मैं शांति खोजने आया हूं। वह लड़का भी समझ जाएगा कि बाप चाहता है कि शिक्षामंत्री मैंने कहा, अशांति खोजने कहां गए थे? अशांति खोजने किस होने तक पहुंचो। और देखता है कि शिक्षामंत्री होने तक की यात्रा, आश्रम में गए थे, यह मुझे पहले बता दो। कहा, कहीं नहीं गया सीढ़ी दर सीढ़ी बेईमानी और चोरी की यात्रा है। दूसरी तरफ बाप | | था। तो मैंने कहा, जब तुम अशांति तक पैदा करने में कुशल हो, कहता है कि ईमानदार बनो। और ईमानदार की इस जगत में हालत तो शांति भी पैदा कर सकते हो। मेरी क्या जरूरत है? जिस रास्ते ठीक वैसी है, जैसी कि नाइबर ने एक किताब लिखी है, मारल मैन से अशांत हुए हो, उसी रास्ते से वापस लौट पड़ो तो शांत हो इन इम्मारल सोसाइटी-नैतिक आदमी अनैतिक समाज में। सड़क जाओगे। मैं कहां आता हूं बीच में? अशांति के वक्त मुझसे तुमने पर भीख मांगने की तैयारी होनी ही चाहिए। यद्यपि नैतिक होकर कोई सलाह न ली थी, शांति के वक्त तुम मुझसे सलाह लेने चले सड़क पर भीख मांगने में जितना आनंद है, उतना अनैतिक होकर | आए हो! मैंने पूछा कि शांति की बात बंद। अगर मेरे पास रुकना सम्राट हो जाने में भी नहीं है। लेकिन वह दसरी बात है। है. तो अशांति की चर्चा करो कि अशांत कैसे हए हो? क्या है
ये दोनों बातें लड़के के दिमाग में होंगी, तो लड़के के दो मन हो | | अशांति, उसकी मुझसे बात करो। अशांति तुम्हारी स्पष्ट हो जाए, जाएंगे। तब तो वह यही कर सकता है ज्यादा से ज्यादा, कि उसको | तो शांति पाना जरा भी कठिन नहीं है। कोई इंतजाम भीतरी करना पड़ेगा। कोई कोएलिशन गवर्नमेंट तो | वे दो दिन मेरे पास थे। उनकी अशांति फिर धीरे-धीरे उन्होंने भीतर बनानी पड़ेगी न! इन सब उपद्रवी विरोधी तत्वों के बीच कोई खोलनी शुरू की। वही थी, जो हम सब की है। एक ही लड़का है तो समझौता करके, कोई संविद सरकार निर्मित करनी पड़ेगी! तो | उनका। बहुत पैसा कमाया। ठेकेदारी थी। एक ही लड़का है। उस फिर यही होगा कि जब बाहर दिखाना हो तो ईमानदारी दिखाओ लड़के ने एक लड़की से शादी कर ली, जिससे वे नहीं चाहते थे कि
और जब भीतर करना हो तो बेईमानी करो। क्योंकि मंत्री के पद तक | शादी करे। तलवार लेकर खड़े हो गए दरवाजे पर-लाश बिछा पहुंचना ही है और ईमानदारी बड़ी अच्छी चीज है, उसको भी दूंगा; बाहर निकल जाओ! लड़का बाहर निकल गया। अब दिखाना ही है।
मुसीबत है। अब मौत करीब आ रही है। अब किस मुंह से लड़के __ चित्त हमारा बंट जाता है अनेक खंडों में, और विपरीत आकांक्षाएं को वापस बुलाएं, तलवार दिखाकर निकाला था। और मौत पास एक साथ पकड़ लेती हैं। और अनंत इच्छाएं एक साथ जब मन को आ रही है। और जिंदगीभर जिस पैसे को हजार तरह की चोरी और पकड़ती हैं, तो अनंत खंड हो जाते हैं। और एक ही साथ हम सब बेईमानी से कमाया, उसका कोई मालिक भी नहीं रह जाता और इच्छाओं को करते चले जाते हैं। एक आदमी कहता है, मुझे शांति हाथ से सब छूटा जा रहा है! चाहिए, और साथ ही कहता है, मुझे प्रतिष्ठा चाहिए। उसे कभी | | तो मैंने उनसे पूछा, वह लड़की खराब थी, जिसने तुम्हारे लड़के खयाल में नहीं आता कि वह क्या कह रहा है!
से शादी की है? उन्होंने कहा, नहीं, लड़की तो बिलकुल अच्छी है, ___ एक मित्र मेरे पास आए। आते ही से मुझसे बोले कि मैं अरविंद | लेकिन मेरी इच्छा के खिलाफ...। आश्रम हो आया, रमण आश्रम हो आया, शिवानंद के आश्रम हो __तुम्हारी इच्छा से तुम शादी करो, तुम्हारा लड़का क्यों करने आया, सब आश्रम छान डाले, कहीं शांति नहीं मिलती है। अभी मैं | | लगा? अशांत होने के रास्ते खड़े कर रहे हो। फिर जब उसने शादी पांडिचेरी से सीधा चला आ रहा हूं। किसी ने आपका नाम ले दिया, अपनी इच्छा से की और तुमने उसे घर से बाहर निकाल दिया, तो तो मैंने कहा आपके पास भी जाकर शांति—तो मुझे शांति दें। अब परेशान क्यों हो रहे हो? बात समाप्त हो गई। उसने तो आकर
तो मैंने कहा कि इसके पहले कि तुम मुझसे भी निराश होओ, । नहीं कहा कि घर में वापस लो। एकदम उलटे लौटो और वापस हो जाओ। मैं तुम्हें शांति नहीं दूंगा। - कहने लगे, यही तो अशांति है। वह एक दफा आकर माफी मांग और तुम कुछ इस तरह कह रहे हो कि जैसे अरविंद आश्रम ने तुम्हें | ले, अंदर आ जाए। शांति देने का कोई ठेका ले रखा है। सब जगह हो आया, कहीं नहीं नहीं मानी, ठीक है। जब उसने आपकी बात नहीं मानी, तो ठीक
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