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________________ HTRA अर्जुन का जीवन शिखर-युद्ध के ही माध्यम से - यह स्वर्ग जा रही है। उसने कहा, अच्छा हुआ; मैं देख ही लूं। सुगंध है; वह अच्छे आदमी के प्राणों की वीणा से उठा संगीत है। सुकरात कहां है? आदमी अच्छा था, लेकिन ईश्वर में भरोसा नहीं | नर्क कोई स्थान नहीं है; वह बुरे आदमी के जीवन से उठे विसंगीत था। वे सारे लोग कहां हैं? बुद्ध कहां हैं? आदमी अच्छे से अच्छा | का फैल जाना है; वह बुरे आदमी के भीतर से उठी दुर्गंधों का छा था, लेकिन ईश्वर की कभी बात नहीं की। महावीर कहां हैं? आदमी | | जाना है; वह बुरे आदमी के भीतर जो विक्षिप्तता है, उसका बाहर अच्छे से अच्छा था, लेकिन परमात्मा की जब भी किसी ने बात की,. | तक उतर आना है। तो कह दिया कि नहीं है। ये कहां हैं? कृष्ण जब अर्जुन से कहते हैं कि स्वर्ग का क्षण है, उसे तू खो स्वर्ग पहुंच गई ट्रेन। बड़ी निराशा हुई लेकिन स्वर्ग को देखकर। | रहा है। तो एक ही बात ध्यान में रखनी है कि तेरे आंतरिक व्यक्तित्व ऐसी आशा न थी। सब उजड़ा-उजड़ा मालूम पड़ता था। सब के लिए जो शिखर अनुभव हो सकता है, उसका क्षण है, और तू रूखा-रूखा मालूम पड़ता था। रौनक न थी। पूछा, यही स्वर्ग है | | उसे खो रहा है। न? लोगों ने कहा, यही स्वर्ग है। पूछा कि महावीर कहां? बुद्ध कहां? सुकरात कहां? बहुत खोज-बीन की, पता चला कि नहीं हैं। बहत घबडाया फकीर। स्टेशन भागा हआ आया और कहा कि नर्क प्रश्नः भगवान श्री, आपने बताया कि साधन में, मार्ग की गाड़ी? में भिन्न रहने पर भी बुद्ध, महावीर, रमण की भीतरी . नर्क की गाड़ी में बैठा और नर्क पहुंचा। लेकिन बड़ी मुश्किल में | | अनुभूति में भेद नहीं होता है। किंतु अभिव्यक्ति देखते पड़ा। देखा कि बड़ी रौनक है। जैसी स्वर्ग में होने की आशा थी, | | हैं, तो एक-दूसरे से भिन्न और कभी-कभी विरुद्ध ऐसी रौनक है। जैसी नर्क में उदासी होनी चाहिए थी, वैसी स्वर्ग में | | दिशा की मालूम होती है। जैसे कि शंकर का बुद्ध से थी। बड़ी चिंता हुई उसे कि कुछ भूल-चूक तो नहीं हो रही है! विरोध है। यह कैसे? स्टेशन पर उतरा, तो बड़ी ही रौनक है; रास्तों से निकला, तो बड़ा काम चल रहा है, बड़ा आनंद है; कहीं गीत है, कहीं कुछ है, कहीं 27 नुभूति में तो कभी भेद नहीं होता, लेकिन अभिव्यक्ति उसने पूछा कि सुकरात, महावीर, बुद्ध यहां हैं? उन्होंने कहा, 1 में बहुत भेद होता है। और जो लोग अभिव्यक्ति को यहां हैं। उसमे कहा, लेकिन यह नर्क है! सुकरात नर्क में? तो जिस देखकर ही सोचते हैं, उन्हें विरोध भी दिखाई पड़ सकता आदमी से उसने पूछा था, उसने कहा कि चलो, मैं तुम्हें सुकरात से है। साधारण नहीं, असाधारण दुश्मनी और शत्रुता दिखाई पड़ सकती मिला देता हूं। एक खेत में सुकरात गड्डा खोद रहा था। उसने है। क्योंकि अभिव्यक्ति अनुभूति से नहीं आती, अभिव्यक्ति व्यक्ति सुकरात से पूछा कि तुम सुकरात और यहां नर्क में? अच्छे आदमी से आती है। इस फर्क को समझ लेना जरूरी है। और नर्क में? तो सुकरात हंसने लगा और उसने कहा, तुम अभी ___ मैं एक बगीचे में जाऊं। फूल खिले हैं; पक्षी गीत गा रहे हैं; एक भी गलत व्याख्याएं किए जा रहे हो। तुम कहते हो कि अच्छा | रुपया पड़ा है। अगर मैं रुपए का मोही हूं, तो मुझे फूल दिखाई नहीं आदमी स्वर्ग में जाता है। हम कहते हैं, अच्छा आदमी जहां जाता | पड़ेंगे। मुझे पक्षियों के गीत सुनाई पड़ते हुए भी सुनाई नहीं पड़ेंगे। है, वहां स्वर्ग आता है। तुम गलत ही बात–व्याख्या-अभी तक | | सब खो जाएगा, रुपया ही दिखाई पड़ेगा, इम्फेटिकली मुझे रुपया तुम अपनी बाइबिल से गलत व्याख्या किए जा रहे हो। हम कहते | ही दिखाई पड़ेगा। रुपया मेरी जेब में आ जाए, तो शायद पक्षी का हैं, अच्छा आदमी जहां जाता है, वहां स्वर्ग आता है; बुरा आदमी | गीत भी सुनाई पड़े। जहां जाता है, वहां नर्क आता है। ___ लेकिन एक कवि प्रवेश कर गया है। उसे रुपया दिखाई ही नहीं __ अच्छे आदमी स्वर्ग में नहीं जाते। स्वर्ग कोई रेडीमेड जगह नहीं पड़ेगा। जहां पक्षी गीत गा रहे हैं, वहां रुपया दिखाई पड़ जाए, तो है कि वहां कोई चला गया। स्वर्ग अच्छे आदमी का निर्माण है। वह वह आदमी कवि नहीं है। उसका सारा व्यक्तित्व पक्षी के गीतों की उसके भीतर जब अच्छा निर्मित हो जाता है, तो बाहर अच्छा फैल | | तरफ बह जाएगा। चित्रकार है, उसका सारा व्यक्तित्व रंगों के लिए जाता है। वह अच्छे आदमी की छाया है; वह अच्छे आदमी की बह जाएगा। 17]
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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