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________________ mभागना नहीं-जागना है - स्थूल है। जो सुनाई पड़ता है, वह स्थूल है। असल में जो इंद्रियों नोन बन सकता है; जो अज्ञात है, वह कल ज्ञात हो जाएगा। वह की पकड़ में आता है, वह स्थूल है। सूक्ष्म नहीं है। जिसके ज्ञात होने की अनंत में भी कभी संभावना है, ऐसा भी नहीं है कि आप कल बड़ी दूरबीन बना लें, खुर्दबीन वह सूक्ष्म नहीं है। बना लें और उसकी पकड में आ जाए तो वह सक्षम हो जाएगा। स्थल ही ज्ञात हो सकता है। आज न हो. कल हो जाए। कल न नहीं, जो भी पकड़ में आ जाए, वह स्थूल है। क्योंकि दूरबीन कुछ हो, कभी हो जाए। लेकिन जो भी ज्ञात हो सकता है, वह स्थूल है। नहीं करती, सिर्फ आपकी आंख की इंद्रिय की शक्ति को बड़ा करती जो ज्ञात हो ही नहीं सकता, जो सदा ही ज्ञान के बाहर छूट जाता है, है। आपकी आंख ही जैसे और बड़ी आंख हो जाती है। बड़े से बड़े जो सदा ही जानने की पकड़ के बाहर रह जाता है, अननोएबल, यंत्र भी हम विकसित कर लें, तब भी जो पकड़ में आएगा, वह अज्ञेय है। नहीं, जाना ही नहीं जा सकता जो, वही सूक्ष्म है। इसलिए स्थूल ही होगा। क्योंकि सब यंत्र हमारी इंद्रियों के एक्सटेंशन हैं; वे सूक्ष्म का मतलब ऐसा नहीं है कि हमारे पास अच्छे उपकरण होंगे हमारी इंद्रियों के लिए और जोड़े गए हिस्से हैं। तो हम उसे जान लेंगे। एक आदमी आंख से चश्मा लगाकर देख रहा है। तो जो उसे लोग पूछते हैं कि क्या विज्ञान कभी परमात्मा को जान पाएगा? आंख से नहीं दिखाई पड़ता था, वह अब दिखाई पड़ रहा है। लेकिन जिसे भी विज्ञान जान लेगा, वह परमात्मा नहीं होगा। क्योंकि वह कोई सूक्ष्म चीज नहीं देख रहा है। वैज्ञानिक बड़ी दूर की चीजें परमात्मा से अर्थ ही है कि जो जानने की पकड़ में नहीं आता। किसी देख रहे हैं; बड़े दूर का, लेकिन वह भी स्थूल है। जो भी दिखाई दिन विज्ञान की प्रयोगशाला अगर परमात्मा को पकड़ लेगी, तो वह पड़ेगा, जो भी सनाई पड़ेगा, जो भी स्पर्श में आ जाएगा, इंद्रियों की पदार्थ हो जाएगा। असल में जहां तक परमात्मा पकड़ में आता है, सीमा के भीतर जो भी आ जाएगा, वह स्थूल है। सूक्ष्म का मतलब | उसी का नाम पदार्थ है। और जहां परमात्मा पकड़ में नहीं आता, है, जो मनुष्य की इंद्रियों की सीमा में नहीं आता है, नहीं आ सकता वहीं परमात्मा है। है, नहीं लाया जा सकता है। असल में विचार भी जिसे नहीं पकड़ सूक्ष्म का कृष्ण का अर्थ ठीक से खयाल में ले लेना जरूरी है। सकता, वही सूक्ष्म है। क्योंकि जो सूक्ष्म है, वही सत है। जो पकड़ में आता है, वह असत अब वैज्ञानिक कहते हैं...कल तक वह परमाणु सूक्ष्मतम था। होगा। वह आज होगा, कल नहीं होगा। जो पकड़ में नहीं आता, अब परमाणु भी टूट गया, अब इलेक्ट्रान है, न्यूट्रान है, प्रोटान है। वही सत है। अब वैज्ञानिक कहते हैं कि वे सर्वाधिक सूक्ष्म हैं। क्योंकि अब वे एक कमरे में हम जाएं, वहां फूल रखा है। फूल सुबह ठीक है, दिखाई पड़ने के बाहर ही हो गए। अब अनुमान का ही मामला है। सांझ मुरझा जाएगा। उसी फूल के नीचे शंकर जी की पिंडी रखी है, लेकिन जो अनुमान में भी आता है, वह भी सूक्ष्म नहीं है। क्योंकि पत्थर रखा है। वह सुबह भी था, सांझ भी होगा। लेकिन सौ वर्ष, अनुमान भी मनुष्य के विचार का हिस्सा है। | दो सौ वर्ष, तीन सौ वर्ष, हजार वर्ष–बिखर जाएगा। फूल एक इसलिए वैज्ञानिक जिसे इलेक्ट्रान कह रहे हैं, वह भी कृष्ण का दिन में बिखर गया। पत्थर था, हजारों वर्ष में बिखरा। इससे अंतर सूक्ष्म नहीं है। इलेक्ट्रान के भी पार, ठीक होगा कहना, आलवेज | | नहीं पड़ता। कमरे में सिर्फ एक चीज है जो नहीं बिखरेगी, वह कमरे दि बियांड, जहां तक आप पहुंच जाएंगे, उसके जो पार। वहां भी | का कमरापन है, रूमीनेस है। वह जो खालीपन है, वह भर नहीं पहुंच जाएंगे, तो उसके जो पार, दि ट्रांसेंडेंटल; वह जो सदा बिखरेगा। वही सूक्ष्म है, वही सत है। बाकी कमरे में जो भी है, वह अतिक्रमण कर जाता है, वही सूक्ष्म है। पार होना ही जिसका गुण सब बिखर जाएगा। है। आप जहां तक पकड़ पाते हैं, जो उसके पार सदा शेष रह जाता | | मैंने एक ताओइस्ट चित्रकार की कहानी पढ़ी है। मैंने पढ़ा है कि है; सदा ही शेष रह जाता है और रह जाएगा। | एक ताओ गुरु ने अपने शिष्यों को कहा कि तुम एक चित्र बना ठीक से समझ लेना उचित होगा। हमारे पास दो शब्द हैं- | लाओ। उन्होंने पूछा कि कोई थीम, कोई विषय दे दें। तो उसने अज्ञात, अननोन; अज्ञेय, अननोएबल। साधारणतः जब हम सूक्ष्म | कहा, तुम एक चित्र बना लाओ कि गाय घास चर रही है। वे चित्र को समझने जाते हैं, तो ऐसा लगता है, जो अज्ञात है, अननोन है।। बनाकर ले आए। सभी अच्छे-अच्छे चित्र बनाकर ले आए थे। नहीं, कृष्ण उसे सूक्ष्म नहीं कह रहे हैं। क्योंकि जो अननोन है, वह | लेकिन एक साधु जो चित्र बनाकर लाया था, उसमें जरा चौंकने 111
SR No.002404
Book TitleGita Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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