________________
निर्वाण उपनिषद
लेकिन अब तो दूरबीन और खुर्दबीन स्वीकृत हो गईं। अब बड़ी मुश्किल है। आंख जो कहती है, वह सच है? या दूरबीन जो कहती है, खुर्दबीन जो कहती है, वह सच है? सच में आंख जिस चेहरे को कहती है सुंदर, वह सुंदर है? या खुर्दबीन तो और गहरा देखती है, आंख से ज्यादा देखती है, वह आंख के ही देखने की क्षमता को बड़ा कर देती है, तो वह जो चेहरा दिखाई पड़ता है, वह सही है?
फिर अब एल.एस.डी. का आविष्कार हुआ है। अगर एल.एस.डी. ले लें तो जो स्त्री बिलकुल ही बदशक्ल मालूम पड़ती है, वह भी खूबसूरत मालूम पड़ सकती है। हक्सले ने जब पहली दफे एल.एस.डी. लिया-एक रासायनिक द्रव्य जो आदमी को गहरी, गहरी सम्मोहन तंद्रा में ले जाता है तो उसके सामने रखी हुई साधारण कुर्सी उसे इतनी खूबसूरत मालूम होने लगी जितनी मजनू को लैला कभी भी मालूम नहीं हुई होगी। वह बहुत घबड़ाया। क्योंकि कुर्सी से ऐसे रंग निकलते मालूम पड़ने लगे और कुर्सी ऐसी प्रीतिकर लगने लगी कि उसने कहा कि अगर कोई भी महानतम काव्य लिखा जा सकता है, अगर कालीदास और शेक्सपीयर को फिर से पैदा होना हो. तो इस कर्मी के सामने बैठकर लिखना चाहिए। यह बडी प्रेरक है। एल.एस.डी. का नशा उतर गया, कुर्सी वही की वही हो गई। सही क्या था? वह जो एल.एस.डी. के प्रभाव में दिखाई पड़ा था वह? या जो खाली आंख से दिखाई पड़ा वह?
नहीं, ऋषि कहते हैं, चाहे खुर्दबीन से देखो और चाहे आंख से देखो, जब तक किसी माध्यम से देखोगे, तब तक जो भी दिखाई पड़ेगा, वह माध्यम से ही निर्धारित होता है। मीडियमलेस! अगर उसे देखना है, जो है, तो फिर बीच में कोई माध्यम नहीं चाहिए। ___ याद आता है मुझे कि मुल्ला नसरुद्दीन अपने जीवन के अंतिम दिनों में एक सम्राट का प्रधानमंत्री हो गया था। महीने दो महीने में विश्राम के लिए वह पास के एक हिल स्टेशन पर, एक पहाड़ी जगह पर चला जाता था, जहां उसने एक बंगला बना रखा था। सम्राट थोड़े दिनों में चकित हुआ। क्योंकि नसरुद्दीन कभी कहकर जाता कि मैं बीस दिन में लौटूंगा, तो पांच दिन में लौट आता। कभी कहकर जाता कि पांच दिन में लौटूंगा, तो बीस दिन लगा देता। तो सम्राट ने पूछा कि बात क्या है? तुम कहकर जाते हो, उस समय से वापस नहीं लौटते। तम्हारे लौटने का ढंग क्या है? किस हिसाब से लौटते हो?
नसरुद्दीन ने कहा कि अगर आप पूछते ही हैं, तो किसी को बताना मत तो मैं अपना हिसाब बता दूं। सम्राट ने कहा, ऐसा कुछ गुप्त है? नसरुद्दीन ने कहा कि बहुत गुप्त है। मैंने एक नौकरानी रख छोड़ी है उस बंगले पर, पहाड़ पर। वह कोई सत्तर साल की बूढ़ी है। दांत उसके एक बचे नहीं। एक आंख पत्थर की है। एक टांग लकड़ी की है। शरीर ऐसा है, जो कभी का मर जाना चाहिए था। जब वह औरत मुझे सुंदर मालूम पड़ने लगती है, तब मैं भाग खड़ा होता हूं। पांच दिन लगें, सात दिन लगें, दस दिन लगें, जैसे ही मुझे वह औरत सुंदर मालूम पड़ने लगती हैं, मैं समझता हूं, अब यहां से भाग जाना चाहिए। ___ हो सकता है। हो सकता है नहीं, होता है। तो नसरुद्दीन ने कहा कि अब यह कोई पक्का तय करना पहले से मुश्किल है। कभी वह मुझे पांच दिन में सुंदर मालूम पड़ने लगती है, तो मैं अपना बोरिया-बिस्तर बांधकर वहां से भाग खड़ा होता हूं। कभी दस दिन भी लग जाते हैं, कभी बीस दिन भी लग जाते हैं। लेकिन मापदंड मेरा यही है। तब मैं समझता हूं कि अब होश अपने हाथ से गया। अब यहां से हट जाना चाहिए।
752