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________________ निर्वाण उपनिषद नेपोलियन का प्रधानमंत्री पास में बैठा हुआ था। वह भी गणितज्ञ और विचारक था। उसने कहा कि भला ईश्वर की परिकल्पना, हाइपोथीसिस-हाइपोथीसिस पीछे मैं समझाऊंगा कि क्या अर्थ होता है-भला ईश्वर की परिकल्पना तुम्हारे लिए विश्व को समझाने के लिए जरूरी न हो, बट द हाइपोथीसिस इज ब्यूटीफल, एंड एक्सप्लेन्स मेनी थिंग्स। खबसरत है, संदर है वह परिकल्पना, और बहुत सी चीजों को समझाने के लिए उपयोगी है। मैं तो ईश्वर में मानता हूं, उसने कहा। लापलेस ने कहा कि मैं तो ईश्वर में नहीं मानता हूं। नेपोलियन ने पूछा कि तुम दोनों में मुझे कोई फर्क नहीं मालूम पड़ता! तुम दोनों ही कहते हो, द हाइपोथीसिस ऑफ गॉड। तुम दोनों ही कहते हो, ईश्वर की परिकल्पना। तुम दोनों ही कहते हो, ईश्वर का विचार। एक कहता है, मैं नहीं मानता हूं, कोई जरूरत नहीं है। दूसरा कहता है, मैं मानता हूं, जरूरत है। लेकिन तुम दोनों में से कोई भी यह नहीं कहता कि मैं जानता हूं, ईश्वर है। जरूरत है। कुछ चीजें समझाने में आसानी पड़ती है। अगर कल हमें कोई दूसरी परिकल्पना मिल जाए, जो और अच्छे ढंग से समझा सके, तो हम ईश्वर को उठाकर बाहर कर दे सकते हैं। परिकल्पना का अर्थ होता है, सर्वाधिक अब तक उपलब्ध विचारों में उपयोगी। कल ज्यादा उपयोगी मिल जाए, तो उसे हम हटा देंगे। इसलिए विज्ञान अपनी परिकल्पना रोज बदल लेता है। कल तक एक काम करती थी परिकल्पना...। फिर परिकल्पना का अर्थ है सिर्फ हाइपोथेटिकल, सिर्फ हमने कल्पना की है कि यह सत्य है, हमें पता नहीं है। लेकिन कल्पना करने से, इसको सत्य मान लेने से, कुछ उलझी बातों को सुलझाने में आसानी होती है। कल अच्छी कल्पना मिल जाएगी, तो हम इसे हटाकर रिप्लेस कर देंगे, उसे इसकी जगह रख देंगे। नेपोलियन ने ठीक कहा कि मेरे मित्रो, जहां तक मैं समझता हूं, तुममें कोई विवाद नहीं है—यू बोथ ऐग्री इन वन थिंग, दैट गॉड इज़ ए हाइपोथीसिस। तुम एक बात में दोनों राजी हो कि ईश्वर एक परिकल्पना है। एक कहता है, उपयोगी नहीं है; एक कहता है, उपयोगी है। लेकिन विवाद गहरा नहीं है। ईश्वर है, ऐसा तुम दोनों नहीं कहते हो। __ ऋषि यह नहीं कहता कि ईश्वर की परिकल्पना उपयोगी है। ऋषि यह भी नहीं कहता कि ईश्वर है। ऋषि कहता है, जो है, उसका नाम ईश्वर है। ऋषि ऐसा भी नहीं कहता कि ईश्वर है, क्योंकि जिसे भी हम कहें, है, वह नहीं है भी हो सकता है। हम कहते हैं, वृक्ष है, कल नहीं हो जाएगा। हम कहते हैं, नदी है, कल सूख जाएगी। हम कहते हैं, जवानी है, कल बुढ़ापा आ जाएगा। हम कहते हैं, सौंदर्य है, कल कुरूप हो जाएगा। जो भी है, वह नहीं होने की संभावनाओं को भीतर लिए है। इसलिए ऋषि यह भी नहीं कहते कि ईश्वर है। वे नहीं कहते कि गॉड एक्झिस्ट्स। वे कहते हैं, जो है, उसका नाम ईश्वर है। दैट व्हिच एक्झिस्ट्स इज़ गॉड। जो है, उसका नाम ईश्वर है। यह बड़ी और बात है। इसका अर्थ हुआ कि ईश्वर अर्थात अस्तित्व। ईश्वर अर्थात होना। जो भी है, वह ईश्वर है। ईश्वर और सब चीजों की तरह एक चीज नहीं है, और सब वस्तुओं की तरह एक वस्तु नहीं है। ईश्वर होने का गुण है। इसलिए ऋषि तो कहेंगे, ईश्वर है, ऐसा कहना पुनरुक्ति है, रिपिटीशन 750
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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