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________________ शांति पाठ का द्वार, विराट सत्य और प्रभु का आसरा अमरीका का एक बहुत विचारशील व्यक्ति एक रास्ते से गुजर रहा है, चौराहे से। वह आदमी सोच-विचार की गहराइयों में जा सके...। चौराहे पर देखा उसने इतना प्रकाश और इतने प्रकाश से जले हुए विज्ञापन कि उसने कहा, हे परमात्मा, अगर मैं गैर पढ़ा-लिखा होता तो रंगों का मजा ले सकता। अगर गैर पढा-लिखा होता तो रंगों का मजा ले सकता. इतना रंग-बिरंगापन, लेकिन पढ क्या गया. खोपड़ी पकी जा रही है। जलते हुए विज्ञापन और लक्स टायलेट सोप और पनामा सिगरेट सरस सिगरेट छे, सब पढ़े जा रहे हैं वह, खोपड़ी में कुछ भी कचरा डाला जा रहा है। ___आप अपने मालिक नहीं इतने भी, अपनी आंख के भी कि कचरे को भीतर न जाने दें। अनिवार्य हो उसे देखें, तो आपकी आंख का जादू बढ़ जाएगा। देखने की दृष्टि बदल जाएगी। क्षमता और शक्ति आ जाएगी। अनिवार्य हो उसे सुनें, तो आप सुन पाएंगे। सुना है मैंने फ्रायड के संबंध में। क्योंकि फ्रायड का जो मनोविश्लेषण है, उसमें तो मरीज घंटों बोलता है और मनोवैज्ञानिक को उसके पीछे बैठकर सुनना पड़ता है। फ्रायड बूढ़ा हो गया और एक जवान मनोवैज्ञानिक उसके पास शिक्षा पा रहा है। वह तीन घंटे में एक मरीज उसको हलाकान कर देता है-जवान मनोचिकित्सक को। और फ्रायड सुबह से लेकर रात, आधी रात तक सुनता रहता है दस-दस घंटे, लेकिन ताजा का ताजा बाहर निकलता है। .. एक दिन दोनों रास्ते पर सीढ़ियों पर मिल गए, तो जवान शिष्य ने कहा कि मैं हैरान हूं। एक मरीज मुझे पस्त कर देता है। तीन घंटे पगलों को सुनना, खोपड़ी पक जाती है। और आप हैं कि सुबह से रात तक सुन लेते हैं और इस उम्र में, और जब देखो तब ताजे बाहर निकलते हैं। तो फ्रायड ने कहा, हू लिसेन्स? सुनता कौन है? वे बोलते हैं, हम अपना कान...सुनता कौन है! नहीं तो थक ही जाओगे। तो उसने कहा, आप कह क्या रहे हैं! अगर सुनते नहीं तो उससे बकवास करवाते क्यों हैं? उसको बकवास करने से राहत मिल जाएगी। निकाल लेगा कचरा दिमाग का। ___ क्योंकि अब तो आपको प्रोफेशनल सुनने वाले खोजने पड़ेंगे। ट्रेडीशनल सुनने वाले गए। न पत्नी सुनने को राजी है, न बेटा सुनने को राजी है, न पति सुनने को राजी है, न बाप सुनने को। कोई बकवास सुनने को राजी नहीं है। प्रोफेशनल! इसलिए सारे पश्चिम में, यूरोप में, अमरीका में प्रोफेशनल्स...यह मनोवैज्ञानिक जो है बेचारा, उसका कुल धंधा इतना है कि आपकी बकवास सुनता है, उसके पैसे लेता है। बकवास सुनाकर आपको राहत मिलती है। आप घर आ जाते हैं। आप समझते हैं चिकित्सा हो रही है। दो-तीन साल बकवास करके आप थक जाते हैं, शांत हो जाते हैं। बस, और कोई शांति नहीं मिलती। लेकिन तीन साल अगर कचरा निकालने का मौका मिले, और कोई आदमी सहानुभूति से सुने, इसकी बड़ी इच्छा रहती है। इसलिए तो हम एक-दूसरे को पकड़ते रहते हैं। मिला कोई कि हमने शुरू किया, अपने दुख रोने। जैसे दूसरे के दुख कुछ कम हैं। __ अभी एक बुढ़िया ने मुझसे आकर कहा-वह राजस्थान की बुढ़िया है-उसने मुझे आकर कहा, या में, बूढ़ी है सत्तर साल की, शब्द उसके, उसने कहा, आखा इंडिया में मुझसे ज्यादा दुखी कोई नहीं है। फिर उसने मेरी तरफ देखा। आखा इंडिया सुनकर मैं भी थोड़ा चौंका। तो उसने कहा कि अगर आप न मानें, तो कम से कम आखा राजस्थान में मुझसे अधिक दुखी कोई भी नहीं है। आखा इंदिर 17 7
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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