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________________ निर्वाण उपनिषद स्थिति और हैसियत बड़ी यात्रा से पैदा होती है। बड़ी साधना से जन्मती है। कोई सोचे कि हम यहीं, इसी क्षण अनियम में उतर जाएं, तो सिर्फ अराजकता में उतर जाएगा। और अराजकता में उतरकर बड़ा दुखी हो जाएगा। क्योंकि उसकी खुद की अपेक्षाएं दूसरों से तो यही रहेंगी कि वे नियम पालन करें। मुल्ला नसरुद्दीन पकड़ लिया गया है एक धोखे में। मजिस्ट्रेट पूछता है कि तुमने इस आदमी को धोखा दिया, जो तुम पर इतना भरोसा करता था? नसरुद्दीन कहता है, योर ऑनर, अगर यह भरोसा न करता, तो मैं धोखा कैसे देता! अगर मैं धोखा दे पाया, तो हम बराबर जिम्मेवार हैं। क्योंकि इसने भरोसा किया, तभी मैं धोखा दे पाया। अगर यह भरोसा ही नहीं करता, तो यह अपराध घटित ही नहीं होने वाला था। अगर सजा दी जाए, तो दोनों को बराबर दी जाए और मूल अपराधी यही है। हमारा नंबर तो दो है। नंबर एक यह है। इसने भरोसा कर लिया, हमने धोखा दे दिया। हमारा धोखा पीछे आया है। धोखा देने वाला.भी आपके भरोसे पर निर्भर होता है। अराजक जो अपने को बना रहा है, वह भी आपकी व्यवस्था पर निर्भर होता है। अब आज हिप्पी हैं, या सारी दुनिया में जो नए युवक अराजक हैं, अनियामक हुए जा रहे हैं, नियम छोड़कर जी रहे हैं, हमें खयाल में नहीं है कि वे हमारी व्यवस्था पर निर्भर हैं। अगर हम पूरी व्यवस्था तोड़ दें, हिप्पी इसी वक्त मिट जाए, जी नहीं सकता। वह जी रहा है इसलिए कि बड़ी व्यवस्था जारी है। जिसको हम क्रांतिकारी कहते हैं, वह जी नहीं सकता, अगर वे लोग न बचें, जो कन्फर्मिस्ट हैं। एक आदमी अगर रंग-बिरंगे, बेढब कपड़े पहनकर बाजार में खड़ा हो जाता है, तो वह इसीलिए खड़ा हो पा रहा है कि बाकी लोग व्यवस्थित ढंग के कपड़े पहनकर चल रहे हैं। अगर बाकी लोग भी सब वैसे ही कपड़े पहनकर खड़े हो जाएं, वह आदमी भाग खड़ा होगा। वह वहां चौराहे पर फिर खड़ा होने वाला। नहीं, क्योंकि एग्जीबीशन का फिर कोई अर्थ ही न रहा। हो सकता है, वह आदमी व्यवस्थित कपड़े पहनकर चौरस्ते पर खड़ा हो जाए, क्योंकि भिन्न दिखाई पड़ने में उसे रस आ रहा था। जो लोग नियम तोड़ने में रस ले पाते हैं, वे इसीलिए ले पाते हैं कि नियम चारों तरफ जारी हैं। ___ मुल्ला नसरुद्दीन अदालत में लाया गया है एक बार। और मजिस्ट्रेट ने कहा कि हजार दफे तुम्हें कहा मुल्ला कि शराब पीना बंद करो। फिर तुम आ गए वापस वही जुर्म में! मुल्ला ने कहा, योर ऑनर, आई फेल इनटु ए बैड कंपनी, मुझे बुरे लोगों का साथ मिल गया। मजिस्ट्रेट ने कहा कि यह मैं न मानूंगा। कैसे बुरे लोग? नसरुद्दीन ने कहा, पूरी बोतल शराब की थी और तीनों ऐसे थे कि कहते थे, शराब न पीएंगे। तीनों जिद्दी थे। तीनों कहने लगे. हमने शराब पीना बंद कर रखी है. हम शराब नहीं पीते। ऐसी बुरी कंपनी मिल गई, पूरी बोतल मुझे ही पीनी पड़ी। सो आई फेल इन ए बैड कंपनी, उसका यह फल है। यह जिम्मा मेरा नहीं। वे तीनों दुष्ट अगर थोड़ी भी पी लेते, बंटा लेते, तो यह उपद्रव पैदा होने वाला नहीं था। पूरी शराब मुझे ही पीनी पड़ी। अगर सारी दुनिया बेईमान हो जाए, बेईमानी गिर जाए। अगर सारे लोग चोर हो जाएं, चोरी गिर जाए। चोरी को भी खड़े होने के लिए अचोर का साथ चाहिए। और जो चोर है, वह अपेक्षा करता है कि आप चोरी न करेंगे। आप चोरी न करेंगे। इस व्यवस्था के भीतर संन्यासी अव्यवस्था पैदा नहीं करता है। सिर्फ उन बीमारियों के बाहर हो V 230
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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