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निर्वाण उपनिषद
नीत्से की बात, जहां तक साधारण आदमी का सवाल है, सौ प्रतिशत सही है। आपको जब भी सुख का अनुभव हुआ है, वह वही क्षण है, जब आपको शक्ति का अनुभव हुआ है। अगर चार आदमी की गर्दन आपकी मुट्ठी में है, तो आपको बड़ा सुख मालूम पड़ता है।
राष्ट्रपतियों को या प्रधानमंत्रियों को कौन सा सुख मालूम पड़ता होगा? कितने आदमियों की गर्दन है उनकी मुट्ठी में। प्रधानमंत्री पद से नीचे उतर जाता है, तो ऐसी हालत हो जाती है जैसे क्रीज मिट गई हो उस कपड़े की। लुंज-पुंज हो जाता है। जान निकल जाती है, रीढ़ टूट जाती है, बिना रीढ़ के सरकने वाले पशु की हालत हो जाती है। बिना रीढ़ के, कोई रीढ़ नहीं रह जाती, बैकबोनलेस। ऐसा उठाओ, छोड़ दो, बोरे की तरह नीचे गिर जाता है। यही आदमी राजसिंहासन पर ऐसा रीढ़ वाला मालूम पड़ता था। लेकिन वह रीढ़ इसकी नहीं थी, वह सिंहासन के पीछे की हड्डी थी, वह इसकी अपनी हड्डी न थी।
धन पाकर आदमी को क्या मिलता होगा? और उस धन को पाकर जिससे कुछ भी खरीदने को नहीं बचता, क्या मिलता होगा? पावर! धन पोटेंशियल पावर है। एक रुपया मेरे खीसे में पड़ा है, तो बहुत चीजें पड़ी हैं एक साथ। चाहूं तो एक आदमी से रातभर पैर दबवा लूं। चाहूं तो एक आदमी से कहूं कि रातभर कहते रहो, हुजूर, हुजूर, तो वह हुजूर, हुजूर कहता रहेगा। इस एक रुपए में बहुत कुछ, बहुत शक्ति छिपी है। वह बीज में छिपी है। इसलिए रुपया खीसे में होता है, तो भीतर आत्मा मालूम पड़ती है कि मैं भी हूं। क्योंकि अभी कुछ भी करवा लूं। खीसे में रुपया नहीं होता है, तो भीतर से आत्मा सरक जाती है। हालत उलटी होती है, अब जिसके खीसे में रुपया है, वह मुझसे कुछ करवा ले।
सुना है मैंने कि मुल्ला नसरुद्दीन पर, एक अंधेरे रास्ते पर, चार चोरों ने हमला कर दिया। मुल्ला ऐसा लड़ा जैसा कि कोई लड़ सकता था। चारों को पस्त कर दिया। फिर भी चार थे, हड्डी-पसली तोड़ . दी चारों की। बामुश्किल वे चार मुल्ला पर कब्जा पा सके। खीसे में हाथ डाला, तो केवल अठन्नी निकली। तो उन्होंने नसरुद्दीन से कहा कि भैया, अगर रुपया तेरे खीसे में होता, तो आज हम जिंदा न बचते। हद कर दी तूने भी। अठन्नी के पीछे ऐसी मार-काट मचाई! और हम इसलिए सहे गए और इसलिए लड़े चले गए कि तेरी मार-पीट से ऐसा लगा कि बहुत माल होगा।
मुल्ला ने कहा, सवाल बहुत माल का नहीं है। आई कैन नाट एक्सपोज माई फाइनेंशियल कंडीशन टु टोटल स्ट्रेंजर्स। अपनी माली हालत मैं बिलकुल अजनबी लोगों के सामने प्रकट नहीं कर सकता। अठन्नी ही है! लेकिन इससे माली हालत तो सब खराब हो गई न! तुम चार आदमियों के सामने पता चल गया कि अठन्नी। सब बात ही खराब हो गई। इसलिए लड़ा। अगर मेरे खीसे में लाख-दो लाख रुपए होते, तो लड़ता ही नहीं। कहता, निकाल लो। ___ माली हालत पावर सिंबल है। धन चाहते हैं-शक्ति। पद चाहते हैं-शक्ति। लेकिन नीत्से को पता नहीं है कि कुछ लोग हैं जो शक्ति नहीं चाहते, शांति चाहते हैं। बहुत थोड़े हैं, न्यून हैं। ऐसा कभी कोई ऋषि होता है, जो शांति चाहता है, शक्ति नहीं चाहता। और जो शांति चाहता है, उसे समझ मिलती है। और जो शक्ति चाहता है, वह नासमझ होता चला जाता है।
इसलिए इस दुनिया में शक्तिशाली लोगों से ज्यादा नासमझ और स्टुपिड आदमी खोजना कठिन है। चाहे वह हिटलर हो, चाहे माओ हो और चाहे निक्सन हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। असल में शक्ति
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