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अंतर-आकाश में उड़ान, स्वतंत्रता का दायित्व और शक्तियां प्रभु-मिलन की ओर
कमाई वही है। और मैं सुख खोजने निकला हूं, और यह दुष्ट मुझे और दुख दिए दे रहा है।
भागकर नसरुद्दीन उसी झाड़ के पास पहुंच गया, जहां उसका घोड़ा खड़ा था अमीर का, झोला जाकर घोड़े के पास रखकर वह झाड़ के पीछे खड़ा हो गया। दो क्षण बाद ही अमीर भागा हुआ पहुंचा, पूरा गांव भागा हुआ पहुंचा। अमीर ने झोला पड़ा देखा, उठाकर छाती से लगा लिया और कहा, हे परमात्मा, तेरा बड़ा धन्यवाद। नसरुद्दीन ने झाड़ के पीछे से पूछा, कुछ सुख मिला? पाने के लिए खोना जरूरी है। उस आदमी ने कहा, कुछ? कुछ नहीं, बहुत मिला। इतना सुख मैंने जीवन में जाना ही नहीं। नसरुद्दीन ने कहा, अब तू जा। नहीं तो इससे ज्यादा अगर मैं सुख दूंगा, तो तुम मुसीबत में पड़ सकते हो। अब तू एकदम चला जा।।
बहुत बार खोना बहुत जरूरी है। असली सवाल यह नहीं है कि हमने क्यों अपने को खोया। असली सवाल यह है कि या तो हमने पूरा अपने को नहीं खोया, या हम खोने के इतने अभ्यासी हो गए कि लौटने के सब रास्ते टूट गए मालूम पड़ते हैं। असली सवाल यह नहीं है कि क्यों हमने खोया। खोना अनिवार्य है। असली सवाल यह है कि कब तक हम खोए रहेंगे? __ इसलिए बुद्ध से अगर कोई पूछता था कि यह आदमी अंधकार में क्यों गिरा? तो बुद्ध कहते, व्यर्थ की बातें मत करो। अगर पूछना हो तो यह पूछो कि अंधकार के बाहर कैसे जाया जा सकता है? यह संगत सवाल है। यह असंगत है। बुद्ध कहते थे, इस बेकार की बातचीत में मुझे मत खींचो कि आदमी अंधकार में क्यों गिरा? वह तुम बाद में खोज लेना। अभी तुम मुझसे यह पूछ लो कि प्रकाश कैसे मिल सकता है?
बुद्ध कहते थे कि तुम उस आदमी जैसे हो, जिसकी छाती में जहरीला तीर घुसा हो और मैं उसकी छाती से तीर खींचने लगू तो वह आदमी कहे, रुको, पहले यह बताओ कि यह तीर किसने मारा? पहले यह बताओ कि यह तीर पूरब से आया कि पश्चिम से? और पहले यह बताओ कि यह तीर जहर-बुझा है या साधारण है? तो बुद्ध कहते, मैं उस आदमी से कहता, यह सब तुम पीछे पता लगा लेना, अभी मैं तीर को खींचकर बाहर निकाल देता हूं। लेकिन वह आदमी कहता है कि जब तक जानकारी पूरी न हो, तब तक कुछ भी करना क्या उचित है? ____ तो यह फिक्र मत करें कि मन कैसे पैदा हुआ? यह फिक्र करें कि मन कैसे विसर्जित हो सकता है। और ध्यान रहे, बिना विसर्जन किए आपको कभी पता न चलेगा कि कैसे इसका सर्जन किया था। उसके कारण हैं।
उसके कारण हैं, क्योंकि सर्जन किए अनंत काल बीत गया। उस स्मृति को खोजना आज आपके लिए आसान नहीं होगा। रास्ता है। अगर आप लौटें अपने पीछे जन्मों में। लौटते जाएं, लौटते जाएं। आदमी के जन्म चुक जाएंगे, पशुओं के जन्म होंगे। पशुओं के जन्म चुक जाएंगे, कीड़े-मकोड़ों के जन्म होंगे। कीड़े-मकोड़ों के जन्म चुक जाएंगे, पौधों के जन्म होंगे। पौधों के जन्म चुक जाएंगे, पत्थरों के जन्म होंगे। लौटते जाएं उस जगह जहां पहले दिन आपकी चेतना सक्रिय हुई और मन का निर्माण शुरू हुआ। __ लेकिन वह बड़ी लंबी यात्रा है और अति कठिन है। उसमें मत पड़ें कि यह मन कैसे बना। हां, लेकिन एक और सरल उपाय है कि इस मन को विसर्जित करें। और विसर्जन को अभी आप देख सकते
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