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अंतर-आकाश में उड़ान, स्वतंत्रता का दायित्व और शक्तियां प्रभु-मिलन की ओर
बिलकुल ठीक था। वे कहने लगे, अगर अपने कर्मों के कारण गिरा, तो पहले जन्म में, जब उसकी शुरुआत ही हुई होगी, तब तो उसके पहले कोई कर्म नहीं थे।
ठीक है, जब पहला ही जन्म हुआ होगा चेतना का, तब तो वह निष्कपट, शुद्ध पैदा हुई होगी। उसके पहले तो कोई कर्म नहीं थे। इस जन्म में हम कहते हैं कि फलां आदमी बुरा है, क्योंकि पिछले जन्म में बुरे कर्म किए। पिछले जन्म में बुरे कर्म किए, क्योंकि और पिछले जन्म में बुरे कर्म किए। लेकिन कोई प्रथम जन्म तो मानना ही पड़ेगा। उस प्रथम जन्म के पहले तो कोई बुरे कर्म नहीं थे, तो बुरे कर्म आ कैसे गए फिर?
मैंने उन मुसलमान मित्र से कहा कि यह बात बिलकुल तर्कयुक्त है। लेकिन क्या इस्लाम और ईसाइयत जो उत्तर देते हैं, उन पर आपने विचार किया? उन्होंने कहा, वह ज्यादा ठीक मालूम पड़ता है कि ईश्वर ने आदमी को बनाया, जैसा चाहा वैसा बनाया। तो मैंने उनसे कहा, यहीं थोड़ी सी बात समझ लें। इस देश में पैदा हुआ कोई भी धर्म जिम्मेवारी ईश्वर पर नहीं डालना चाहता, मनुष्य पर डालना चाहता है। यह मनुष्य की गरिमा की स्वीकृति है। रिस्पांसबिलिटी इज़ ऑन मैन, नाट ऑन गॉड।
ध्यान रहे, गरिमा तभी है, जब दायित्व हो। अगर दायित्वं भी नहीं है-अगर मैं बुरा हूं तो परमात्मा ने बनाया, भला हूं तो परमात्मा ने बनाया, जैसा हूं परमात्मा ने बनाया तो सारी जिम्मेवारी परमात्मा की हो जाती है। और तब और भी उलझन खड़ी होगी कि परमात्मा को बुरा आदमी बनाने में क्या रस हो सकता है? और परमात्मा ही अगर बुरा बनाता है, तो हमारी अच्छे बनने की कोशिश परमात्मा के खिलाफ पड़ती है। तो परमात्मा आदमी को बुरा बनाता है और तथाकथित साधु-संन्यासी आदमी को अच्छा बनाते हैं. यह तो बडा मश्किल है।
गुरजिएफ कहा करता था कि दुनिया के सब महात्मा परमात्मा के खिलाफ मालूम पड़ते हैं, दुश्मन मालूम पड़ते हैं। वह आदमी को बुरा बनाता है या जैसा भी बनाता है, फिर आप कौन हैं सुधारने वाले! ___कर्म का सिद्धांत कहता है, व्यक्ति पर जिम्मेवारी है। लेकिन व्यक्ति पर जिम्मेवारी तभी हो सकती है जब व्यक्ति स्वतंत्र हो। स्वतंत्रता के साथ दायित्व है-फ्रीडम इम्प्लाइज रिस्पांसबिलिटी। अगर स्वतंत्रता नहीं है, तो दायित्व बिलकुल नहीं है। अगर स्वतंत्रता है, तो दायित्व है। लेकिन स्वतंत्रता हमेशा द्विमुखी है। दोनों तरफ की स्वतंत्रता ही स्वतंत्रता होती है।
मुल्ला नसरुद्दीन का बेटा जब बड़ा हो गया, तो मुल्ला ने उससे कहा, बेटा तिजोरी तेरी है, चाभी भर मेरे पास रहेगी। ऐसे तू जितना खर्च करना चाहे, खर्च कर सकता है, लेकिन ताला भर मत खोलना। स्वतंत्रता पूरी दी जा रही मालूम पड़ती है और जरा भी नहीं दी जा रही है। ___ मैंने एक मजाक सुना है कि जब पहली दफा फोर्ड ने कारें बनाईं, पहली दफा मोटरें बनीं अमरीका में, तो एक ही रंग की बनाई थीं, काले रंग की थीं। और फोर्ड ने अपने दरवाजे पर अपनी फैक्ट्री के एक वचन लिख छोड़ा था-यू कैन चूज़ एनी कलर, प्रोवाइडेड इट इज़ ब्लैक। आप कोई भी रंग चुन सकते हैं, अगर वह काला है। प्रोवाइडेड इट इज़ ब्लैक। काले रंग की कुल गाड़ियां ही थीं, कोई दूसरे रंग की तो गाड़ियां थीं नहीं, लेकिन स्वतंत्रता पूरी थी; आप कोई भी रंग चुन लें। बस, काला होना चाहिए। इतनी शर्त थी पीछे।
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