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निर्वाण उपनिषद
आदमी तक को कुत्ते जितना सम्मान नहीं मिलता! पर खयाल नहीं रहता, प्रेमी अंधे होते हैं।
वह गया। बड़ा कैथोलिक चर्च था गांव में। जाकर उसने पुरोहित को कहा कि मेरा कुत्ता मर गया है और मैं ठीक आदमी जैसा सम्मान उसे देना चाहता हूं। उस पुरोहित ने कहा, तुम पागल हो गए हो। कुत्ता! और आदमी जैसा सम्मान ! मैं कुत्तों का पुरोहित नहीं हूं। भागो यहां से। लेकिन हां, मैं तुम्हें एक सलाह देता हूं कि यहां से नीचे हटकर जो प्रोटेस्टेंट चर्च है-यह कैथोलिक चर्च था-तुम वहां चले जाओ। शायद वह पुरोहित राजी हो जाए, क्योंकि आदमी तो वहां कम ही जाते हैं। और फिर प्रोटेस्टेंट है, हो सकता है। जाओ।
मजबूरी में था आदमी, बेचारा वहां गया। उसने कहा, तुमने समझा क्या है? तुम हमारा अपमान करने आए हो? कुत्ते को! नहीं, यह नहीं हो सकता। लेकिन पास में ही एक मस्जिद है, तुम वहां चले जाओ। और उसका जो, मस्जिद का जो मौलवी है, मुल्ला नसरुद्दीन, वह आदमी कुछ तिरछा है, उसके बाबत प्रेडिक्शन नहीं किया जा सकता। वह शायद राजी हो जाए।
वह गया। उसने नसरुद्दीन को कहा। नसरुद्दीन ने सारी बात सुनी। बहुत नाराज हुआ नसरुद्दीन। उसने कहा, तुमने समझा क्या है? हम आदमी को भी चुनाव करके और सम्मान देते हैं, तुम कुत्ते को लाए हो? बाहर निकल जाओ! ___ सोचा उस आदमी ने कि शायद वह आगे किसी मंदिर या किसी की सलाह देगा। लेकिन उसने कोई सलाह न दी. तो उसने कहा कि ठीक है. जाता है। कहीं और तो सलाह नहीं देते? उसने कहा, नहीं. मैं कोई सलाह नहीं देता। तो उस आदमी ने कहा कि जाते वक्त इतना मैं बता दं कि मैंने सोचा था कि पचास हजार रुपया उस पुरोहित के मंदिर को दान कर दूंगा, जो मेरे कुत्ते को आदमी के जैसा सम्मान देकर . दफना दे।
नसरुद्दीन ने कहा, ठहरो एक मिनट, क्या कुत्ता मुसलमान था, तो फिर हम विचार करें। उस आदमी ने कहा कि नहीं, कुत्ता मुसलमान नहीं था। वह जाने लगा। नसरुद्दीन ने कहा, ठहरो, एक क्षण और ठहरो। क्या कुत्ता धार्मिक था? उस आदमी ने कहा, पूछने का कोई मौका नहीं आया। तो नसरुद्दीन ने कहा, आखिरी बार, एक मिनट और ठहरो। क्या कुत्ता, कुत्ता था? तो फिर हम तैयार हैं।
मुल्ला की बात ठीक ही है। अविभाजित अस्तित्व के लिए हमारे मन में कोई भाव ही नहीं है। विभाजित, और विभाजित, और विभाजित। ओम है अविभाज्य अस्तित्व।
तो ऋषि कहता है, ओम मेरी वाणी मन में स्थिर हो। मेरी वाणी मन में स्थिर हो। मेरा मन मेरी वाणी में स्थिर हो जाए।
हमारा रोग, हमारी अशांति, हमारे शब्द, हमारे विचार, हमारी वाणी, हमारे जीवन का तनाव निन्यानबे प्रतिशत हमारी वाणी से बंधा हुआ है। ___ अमरीका का एक प्रेसिडेंट था, कूलरिज। इतना कम बोलता था कि कहा जाता है कि दुनिया में किसी राजनीतिज्ञ को इतनी कम गालियां नहीं मिलीं, जितनी कूलरिज को मिलीं, कम। क्योंकि गाली देने का भी उपाय नहीं था उसको। उसका खंडन भी नहीं हो सकता था। __जब वह पहली दफा प्रेसिडेंट हुआ तो पत्रकारों के एक सम्मेलन में एक पत्रकार ने पूछा कि क्या
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