________________
साधक के लिए शून्यता, सत्य योग, अजपा गायत्री और विकार-मुक्ति का महत्व
मल्ला नसरुद्दीन की पत्नी का जन्म-दिन था। तो वह हीरे का हार लेकर आया। पत्नी तो पागल हो गई। लाखों का हार मालम पडता था। उसने कहा. नसरुद्दीन तम इतना मझे प्रेम करते हो. यह मझे कभी पता न था। नसरुद्दीन ने कहा कि बिना हीरे के हार के कहीं प्रेम का पता चलता है? अब तो पक्का है, यह हार देख। पर पत्नी ने कहा, लाखों खर्च हो गए होंगे। नसरुद्दीन ने कहा, हो ही गए। तो पत्नी ने कहा कि जब लाखों ही खर्च करने थे, तो बेहतर था एक राल्स रायस कार खरीद ली होती। नसरुद्दीन ने कहा, इमीटेशन कार कहीं मिलती हैं, तो हम वही खरीद लाते। यह इमीटेशन हार है। यह लाखों का दिखता है, है नहीं। लेकिन कार तो मिलती नहीं कहीं इमीटेशन। ____ जो भी चीज इस जगत में हो सकती है, उसका इमीटेशन हो सकता है। इमीटेशन सस्ता मिलता है।
और आदमी सस्ते को खरीदने को बड़ा उत्सुक होता है, सरलता से मिल जाता है। सस्ते योग भी हैं, इमीटेशन योग भी हैं। इसलिए ऋषि ने कहा, सत्य और सिद्ध हुआ। .. इमीटेशन योग क्या है, थोड़ी सी बात समझ लेनी चाहिए।
सम्मोहन से संबंधित सब योग इमीटेशन योग होते हैं। जैसे कि उदाहरण के लिए अभी फ्रांस में एक बहुत योग्य सम्मोहन विद्या का पारंगत व्यक्ति था इमायल कुवे। इमायल कुवे सिर्फ लोगों की सम्मोहन से चिकित्सा करता था। एक आदमी बीमार है, सिर में दर्द है, तो कुवे कोई दवा नहीं देता था। वह सिर्फ उसे लिटाकर कहता कि तुम शिथिल पड़ जाओ और सोचो मन में कि दर्द नहीं है। और वह दोहराता कि दर्द नहीं है। वह बाहर से कहता कि दर्द नहीं है, दर्द झूठ है, दर्द नहीं है। मरीज मन में सोचता कि दर्द नहीं है, दर्द नहीं है, दर्द नहीं है। अगर यह भाव गहरा प्रवेश कर जाए, तो दर्द मिट जाता है।
मिट जाने के दो कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि निन्यानबे मौकों पर दर्द होता नहीं. सिर्फ खयाल होता है। निन्यानबे मौकों पर दर्द होता नहीं है, सिर्फ खयाल होता है, तो खयाल से मिट जाता है। एक मौके पर दर्द हो भी, तो खयाल, विपरीत खयाल से छिप जाता है। इमायल कुवे को मुल्ला नसरुद्दीन जैसा आदमी नहीं मिला।
पर मैंने सुना है कि एक दूसरे सम्मोहन शास्त्री से मुल्ला नसरुद्दीन की मुलाकात हुई। नसरुद्दीन ने जाकर उससे कहा कि मैं बड़ी तकलीफ में पड़ा हुआ हूं। मुझे घर में बैठे-बैठे सर्दी पकड़ जाती है। भली धूप निकली है, सब ठीक है, अचानक सर्दी पकड़ जाती है। उस सम्मोहनविद ने कहा, कोई फिक्र नहीं। तुम घर में बैठे, आंख बंद किए सोचा करो कि सिर पर सूरज की तेज किरणें पड़ रही हैं। सिर गरम हो रहा है। नसरुद्दीन ने कहा, ठीक है। सात दिन बाद नसरुद्दीन की पत्नी ने फोन किया कि महाशय, आपने क्या कर दिया! उनको घर में बैठे-बैठे लू लग गई है।
लग ही जाएगी। वह सर्दी भी मन का खेल थी, यह लू भी मन का खेल। जो सर्दी लगा सकता है, वह लू भी लगा सकता है। इसमें कौन सी कठिनाई है! कला तो वही है, ट्रिक तो वही है।
आदमी सम्मोहन से झूठे योग सिद्ध कर सकता है। अपने मन में सिर्फ भाव कर-करके, कर-करके कर सकता है। वे सच्चे योग नहीं हैं। सम्मोहन का भी उपयोग किया जा सकता है सच्चे योग के मार्ग पर, और किया जाता है, लेकिन बड़ा भिन्न है। आदमी में जो बीमारियां सम्मोहन से पैदा हुई हैं, उनको काट दिया जा सकता है, डी-हिप्नोटाइज किया जा सकता है। आदमी के भीतर जो रोग सम्मोहन से ही
1657