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निर्वाण उपनिषद
शक्ति पूरी लगानी है। आंख बंद कर लें। कपड़े जिन्हें अलग करने हों अलग कर दें, बीच में भी खयाल आ जाए, तो तत्काल अलग कर दें। सब संकोच, सब मन के आवरण छोड़कर, हृदयपूर्वक सब शक्ति लगा देनी है।
आंख बंद कर लें। पट्टियां बांध लें। पट्टियां जिनके पास नहीं हैं, वे भी पट्टियां शीघ्र प्राप्त कर लें। क्योंकि वे अपना समय खराब कर रहे हैं, पूरा फायदा उन्हें नहीं होगा। आंख खुली नहीं रखनी है। और अगर पट्टी नहीं है तो आंख बंद कर लें, चालीस मिनट फिर खोलनी नहीं है चाहे कुछ भी हो। शुरू करें!
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