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________________ निर्वाण उपनिषद के बाद भी जब फिर देखता है, तो फिर वह सत्य ही मालूम होता है। ____ जब स्वप्न में आप होते हैं, तो स्वप्न नहीं होता वह, वह सत्य ही होता है। और अगर आपको स्मरण आ जाए कि यह स्वप्न है, उसी क्षण फिल्म टूट जाएगी। सफेद पर्दा हो जाएगा। आप बाहर आ गए। जागकर सुबह पता चलता है कि वह स्वप्न था। । लेकिन ऋषि कहते हैं कि वह छोड़ो, वह तो स्वप्न था ही—जागकर सुबह जो दिखाई पड़ता है, वह भी स्वप्नवत है। हम कहते हैं, यह तो कम से कम मत कहो। यह तो काफी सच मालूम पड़ता है। यह मकान, यह परिवार, यह मित्र, यह पत्नी, यह बेटे, यह धन-यह सब एकदम सत्य मालूम पड़ता है। इसको तो स्वप्न मत कहो। __ लेकिन ऋषि कहते हैं, एक और जागरण है-विवेक लभ्यम्-वह जो विवेक से उपलब्ध होता है। एनादर अवेकनिंग; एक और जागरण है। जब तुम उसमें जागोगे, तब तुम पाओगे कि वह जो तुम जागकर देख रहे थे, वह भी एक स्वप्न था। ___ स्वप्न स्वप्न है, यह जानने के लिए अवस्था बदलनी चाहिए, तभी तो कंपेरिजन, तुलना हो सकती है। रात सपना देखते हैं, सत्य मालूम होता है; सुबह जागकर पता चलता है, असत्य था। सुबह जागकर जिसे देखते हैं, ऋषि कहते हैं, हम एक और जागरण तुम्हें बताते है, वहां जागकर तुम्हें पता चलेगा, वह भी स्वप्नवत था। स्वप्नवत कहने का अर्थ है, एक तुलना। यह नहीं है इसका मतलब कि सिर में लट्ठ मार देंगे, तो नहीं फूटेगा, खून नहीं बहेगा। सपने में भी सिर में लट्ठ मारने से सिर टूट जाता है और खून बहता -सपने में भी। सपने में भी कोई छाती पर चढ़ जाता है, छरा भोंकने लगता है, तो छाती कंपने लगती है, रक्तचाप बढ़ जाता है, हृदय धड़कने लगता है और सपने से जागने के बाद भी थोडी देर तक धडकता रहता है। पता भी चल जाता है कि यह सब सपना था, कोई छाती पर चढ़ा नहीं, तकिया ही रखे हुए थे अपना। जाग गए हैं, लेकिन अभी भी हृदय की धड़कन तेज है और खून की गति तेज है, रक्तचाप बढ़ा हुआ है। सपने में कोई मर गया था-रो रहे थे जार-जार होकर। सपना टूट गया, पता चल गया कि जो मर गया वह सपने में था, लेकिन आंखें अभी भी आंसू बहाए चली जाती हैं। ___ इतना गहरा घुस जाता है सपना भी! लेकिन पता चलता है अवस्था-परिवर्तन पर, नहीं तो पता नहीं चलता। तुलना चाहिए पता चलने के लिए। आइंस्टीन कहा करता था मजाक में कि सारा जगत रिलेटिव-मजाक में तो कहता ही था, उसका अनुभव भी यही था—कि जगत एक रिलेटिविटी है, एक तुलना है। जब भी आप कुछ कहते हैं, तो उसका अर्थ है तुलना। सीधी कोई बात नहीं कही जा सकती है। आप कहते हैं, फलां आदमी लंबा है। इसका कोई मतलब नहीं है. जब तक आप यह नहीं बताते, किससे लंबा। यह बिलकुल बेमानी है, इस वक्तव्य में कोई अर्थ नहीं हैं। आप कहते हैं, फलां आदमी गोरा है। यह वक्तव्य बिलकुल बेकार है, जब तक आप यह नहीं बताते, किससे। ___मुल्ला नसरुद्दीन निकल रहा है रास्ते से। एक मित्र मिल गया है। उसने पूछा कि ठीक तो हो नसरुद्दीन? तो नसरुद्दीन ने पूछा, विद हूम इन कंपेरिजन? किसकी तुलना में ? किस तुलना में पूछते हैं ? V 144
SR No.002398
Book TitleNirvan Upnishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1992
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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