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अनंत धैर्य, अचुनाव जीवन और परात्पर की अभीप्सा
संपत्ति उनकी पादुका।
दो-तीन बातें हैं। एक, हम सब संपत्ति की पादुकाएं हैं, संपत्ति की जूतियां। संपत्ति चलती है, हम जूते का काम करते हैं। गुलाम संपत्ति के। संन्यासी ही मालिक हो सकता है संपत्ति का। संपत्ति को जूते की तरह पैर में डालकर चल सकता है। इसलिए कि संपत्ति की उसकी कोई मांग नहीं है। ___सुना है मैंने, कबीर का बेटा था कमाल। कभी-कभी ऐसी बातें कह देता था कबीर से कि कबीर ने कहा कि बेहतर हो कि तू एक अलग झोपड़ा ही बना ले। क्योंकि ऐसे असमय में कह देता था कि कभी-कभी अकारण कठिनाई पैदा हो जाती। जैसे कबीर ने एक सूत्र कहा कि चलती हुई चक्की देखकर कबीर रोने लगा कि दो पाटों के बीच में जो भी पड़ गया, वह पिस गया। ठीक ही कहा था, बिलकुल ठीक था। कमाल बोला कि नहीं, कमाल चलती चक्की देखकर खूब हंसा। दो पाट तो पीस रहे थे, लेकिन जिसने बीच के दंड का सहारा ले लिया था, वह बच गया। - यह झंझट अकारण है, यह भी ठीक है। कबीर बिलकुल ठीक कह रहे हैं। यह कमाल भी बिलकुल ठीक कह रहा है। जरूरी नहीं कि सत्य और असत्य में ही उपद्रव होता है। कई बार दो सत्यों में सीधा उपद्रव हो जाता है। ___ कबीर ने कहा कि बेटा, तू दूसरा ही झोपड़ा बना ले, क्योंकि यहां अकारण उपद्रव होता है। तो • कमाल अलग रहने लगा। कबीर ने कह दिया, तो ठीक। उसने पास में ही एक झोपड़ा बना लिया। कुछ
लोग कमाल को भी सुनने आते थे। आदमी कमाल का ही था। कबीर ने ही तो नाम दिया था कमाल उसको, था वह कमाल का ही। और कबीर का बेटा अगर कमाल न हो, तो कबीर को ही तो ग्लानि उठानी पड़े। कबीर ने तो सिर्फ इसलिए कहा था कि उस झोपड़ी में कबीर कहते थे, व्यर्थ का विवाद खड़ा न हो और लोगों के मन में शंका न आए। तू अलग हो जा, यहां से लोग सुनकर तुझे भी सुन लेंगे। तेरी बात भी सुन जाएंगे। ___मगर शिष्यों में तो विरोध शुरू हो गया। कोई कमाल के शिष्य हो गए, कोई कबीर के शिष्य हो गए। उपद्रव भी बना। कबीर के शिष्यों ने उड़ाना शुरू किया कि कमाल तो कोई ज्ञानी नहीं मालूम पड़ता, क्योंकि लोग पैसा दे जाते, तो यह रख लेता है। कबीर को दो, तो वे तो नहीं रखते। ___ वह कबीर का ढंग है। शायद इसीलिए न रखते हों कि कहीं जो पैसा लेकर आया है, वह कबीर से टूट न जाए। क्योंकि अगर कोई पैसा लेकर आए, न रखो, तो बड़ा प्रसन्न होता है, बड़ा प्रभावित होता है। कहता है कि त्यागी है। लेकिन आग्रह करता है कि रखो। और दुखी मालूम पड़ता है कि आप मेरा इतना सा भी आग्रह नहीं मानते। अगर रख लो तो सुखी नहीं होता। चिंतित होकर जाता है कि कहीं चक्कर में तो नहीं पड़ गए। यह आदमी तो तत्काल रख लिया। आदमी का मन ऐसा है। कुछ भी करो, दुखी होगा। कबीर तो इंकार कर देते थे। तो बहुत लोग दुखी होते थे कि हमें कोई सेवा का अवसर नहीं देते। आदमी के मन का एक बड़ा दुख है। ___ पशुओं की दुनिया में, पशुओं की जरूरतें पूरी हो जाएं, तो पशु तृप्त हो जाते हैं। उनकी जरूरतें पूरी हो जाएं-खाना मिल जाए, विश्राम मिल जाए, नींद मिल जाए, कामवासना तृप्त हो जाए–पशु तृप्त हो जाते हैं। दे हैव नीड्स, इफ दे आर फुलफिल्ड, दे आर फुलफिल्ड।
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