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एस धम्मो सनंतनो
देश में दूसरा नहीं हुआ। और जब तक इस देश का तुलसीदास से छुटकारा नहीं होता, तब तक बड़ी अड़चन है।
तो मीरा की खबर तो कई लोगों को थी। मीरा पास ही थी; उसकी सुगंध भी आती थी। लेकिन स्त्री के पास पुरुष जाए! पुरुष तो परमात्मा है; और स्त्री तो ताड़न की अधिकारी है! स्त्री को पुरुष सम्मान दे! शूद्र को भी दे दे एक बार, चलो, आखिर पुरुष है न शूद्र! पुरुष तो है। मीरा में तो बहुत झंझटें हो गयीं। स्त्री भी है। यह तो कठिन बात थी।
कबीर आकर खड़े हुए और उन्होंने कहा ः जब तक मीरा न आएगी, तब तक मैं नहीं आऊंगा। मजबूरी में मीरा को निमंत्रित करना पड़ा। और जब मीरा आयी और नाची, तब कबीर आए। उन्होंने कहाः मीरा के नाच से सब शुद्ध हो गया। अब यहां सच में ही ब्राह्मणत्व की ज्योति जल रही है। अब न कोई शूद्र है, न कोई स्त्री है। अब सब भेद गिरे।
जहां भेद गिर जाते हैं, वहां ब्रह्म का अनुभव है। अभेद–ब्रह्म का अनुभव है। ___ तो जो सच्चे ब्राह्मण थे, वे तो बुद्ध के साथ हो लिए। वे सदा से रहे बुद्ध के साथ, महावीर के साथ, कबीर, नानक, मोहम्मद, जीसस-दुनिया में जहां भी कभी कोई लोग हुए हैं, जिन्होंने जाना है-असली ब्राह्मण सदा उसके साथ हो गए। नकली ब्राह्मण सदा उसके विपरीत हो गए हैं।
नकली की भीड़ है। नकली का समूह है। इन नकलियों ने मिलकर बुद्ध के धर्म को इस देश से उखाड़ दिया। इस देश की सबसे बड़ी संपदा इन नकलियों ने भ्रष्ट कर दी। इस देश का सबसे बड़ा मानव इन नकलियों ने पराया कर दिया।
आज सारा एशिया बुद्ध का गुणगान करता है-एक सिर्फ उनके इस देश को छोड़कर! यह अभागा देश बुद्ध के गुणगान से भरा हुआ नहीं है।
आखिरी प्रश्नः
दीपक की चमक में आग भी है दुनिया ने कहा परवाने से। परवाने मगर ये कहने लगे दीवाने तो जलकर ही देखेंगे। तेरी याद में जलकर देख लिया अब आग में जलकर देखेंगे। इस राह में अपनी मौत सही ये राह भी चलकर देखेंगे।
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