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________________ एस धम्मो सनंतनो __ और भीतर तो गहरे में तुम जानते हो कि कहां है तू! कहां कौन है! यह तो देख रहे हैं, एक कोशिश करके देखे लेते हैं कि शायद मिल जाए। मूलतः मकान में तुम्हारा रस है, परमात्मा में नहीं। तुम्हारी प्रार्थनाएं शिकायतों के छिपे हुए ढंग हैं; रंगी-पुती शिकायतें हैं। भीतर तो शिकायत की गंदगी है, ऊपर से सुंदर रंग चढ़ा दिए हैं, टीम-टाम, नया बना दिया है! किसको धोखा दे रहे हो? लेकिन शिकायत मिटे, शिकवा मिटे, तो प्रार्थना का जन्म होता है। और प्रार्थना का जन्म इस जगत में अपूर्व बात है। प्रार्थना का अर्थ है अहोभाव। प्रार्थना का अर्थ है धन्यवाद, आभार। प्रार्थना का अर्थ है : जो है, वह मेरी पात्रता से ज्यादा है। 'तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा नहीं, शिकवा तो नहीं।' परमात्मा न भी मिले, तो भी जिंदगी प्यारी है, अपूर्व है। और जिंदगी में ही उतरते जाओगे, तो परमात्मा भी करीब आता जाएगा। जिंदगी में ही छिपा है। यह जिंदगी उसका ही बूंघट है। तुम उठाओगे जिंदगी का बूंघट और भीतर परमात्मा मुस्कुराता मिलेगा। 'तेरे बिना जिंदगी जिंदगी नहीं, जिंदगी नहीं।' यह भी बात ठीक है। जिंदगी को प्रेम करो बिना शिकायत के और यह भी स्मरण रखो कि जब तक तू नहीं है-सब है, फिर भी कुछ कम है। सब है; सब तरह से तूने पूरा किया है, लेकिन तेरे बिना, तेरी मौजूदगी के बिना कुछ-कुछ कम है। यह शिकायत नहीं है; यह प्रार्थना है। __ प्रार्थना अगर मांगे, तो एक चीज मांगे-परमात्मा को मांगे। प्रार्थना कुछ और न मांगे। तुमने कुछ और मांगा कि प्रार्थना गलत हुई। तो ठीक मनु-हंसा! शिकवा गया, शिकायत गयी, प्रार्थना बन रही है। और उस प्रार्थना में निश्चित ही यह भाव भी सघन होगा कि 'तेरे बिना जिंदगी जिंदगी नहीं।' बहुत है; सब कुछ है; मगर फिर भी कुछ चूक रहा है। __ परमात्मा ही जब उपस्थित हो जाता है बाहर-भीतर, तो ही परिपूर्ण परितृप्ति, तो ही परितोष। फिर उसके पार न तो शिकायत है, न प्रार्थना है। पहले शिकायत चली जाती है, फिर एक दिन प्रार्थना भी चली जाती है। शिकायत जाए, तो प्रार्थना आती है। प्रार्थना भी एक दिन जाएगी, उसी दिन परमात्मा भी उतर आएगा। सातवां प्रश्नः धम्मपद के गाथा-प्रसंगों से पता लगता है कि ब्राह्मण ही
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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