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एस धम्मो सनंतनो
हैं कभी संधान ये कभी ऋत हैं, कभी हैं पूर्ण का अभिज्ञान रास हैं ये जिंदगी को मोड़ते से प्रश्न। ये अकेला छोड़ते से प्रश्न। प्रश्न में सबसे बड़ा है प्रश्न तू है कौन मध्य में कुछ दिख रहा है आदि में सब मौन अंत के उस पार क्या है राधिका या कृष्ण तृप्ति है या हम सभी रह जाएंगे सतृष्ण प्रश्न हैं ये उत्तरों तक दौड़ते से प्रश्न। प्रश्न के कुछ और भी हैं रंग और आयाम सत्य तक संकट-ज्वलित हो क्या करेंगे काम क्या महानिर्वीय हो कर शव बनेंगे हम या हथेली पर रखेंगे प्राण अपने उष्ण प्रश्न हैं ये उत्तरों तक दौड़ते से प्रश्न। ये रहस्यों की खदानें खोदते से प्रश्न चिंतकों के घर किये हैं राग रौनक जश्न ज्ञेय से अज्ञेय तक है सेतु-केतु प्रश्न क्षितिज क्षितिजों से धरा को जोड़ते से प्रश्न।
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