________________
एस धम्मो सनंतनो
पूछा : क्यों गुरु! अब क्या दर्जी बनने का इरादा है ?
नहीं, मैं देख रहा हूं कि नयी फैशन के कपड़ों में जेबें कहां-कहां बनायी जाती
हैं।
एक व्यापारी ने अपनी नयी दुकान के बाहर एक बोर्ड लगा रखा था : यह दुकान आपकी जरूरतों के लिए खोली गयी है। अब आपको कहीं दूर जाकर अपने को ठगाने की जरूरत नहीं है।
यहीं ठगा सकते हैं! उनका मतलब साफ है। हालांकि उसको खयाल नहीं होगा कि उसने क्या लिख दिया है! अब ठगाने के लिए दूर जाने की कोई जरूरत नहीं है ! गुरुदेव ! यथार्थ और भ्रम में अंतर स्पष्ट कर दें, तो बड़ी कृपा होगी, भक्त ने विनती की।
आपका यहां उपस्थित रहना और मेरा प्रवचन करना यथार्थ है, परंतु मेरा यह सोचना कि मेरी बात पर आप ध्यान दे रहे हैं, मेरा भ्रम है। संत ने समाधान किया ।
शिष्य ने पूछा है: यथार्थ और भ्रम में अंतर क्या है ! तो गुरु ने कहा कि मेरा यहां उपस्थित रहना और मेरा प्रवचन करना यथार्थ है । और मेरा यह समझना कि आप यहां उपस्थित हैं और मुझे सुन रहे हैं, मेरा भ्रम है।
तुम जो पूछोगे, उसमें तुम रहो, तो जरूर सार है; नहीं तो व्यर्थ है । दूसरे के प्रश्न मत पूछना। उधार प्रश्न मत पूछना । किताबी प्रश्न मत पूछना | जीवंत पूछना | तुम्हारे जीवन में समस्याएं होंगी; तुम्हारे जीवन में उलझनें होंगी। अगर सुलझ गए, तब तो बड़ा अच्छा; सौभाग्य। अगर समाधान मिल गया...।
और समाधान तो तभी मिलता है, जब समाधि मिल जाए। समाधान शब्द से ही तो समाधि बना है। या समाधि से समाधान बना है। जब समाधि मिल जाए, तब समाधान। उसके पहले तो समस्याएं हैं और समस्याओं का जटिल जाल है ।
तुम ऐसे हो, जैसे जंगल में कोई भटका हुआ आदमी। तुम पूछते हो : किसी से रास्ता पूछने में क्या सार है ! जंगल में भटके हो और रास्ता नहीं पूछोगे ? कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि आदमी दंभ के कारण नहीं पूछता ।
एक आदमी ने शराब पी ली और अपनी कार में बैठकर घर की तरफ चला । शराब के नशे में कुछ उसे दिखायी नहीं पड़ता कि रास्ता घर का कहां है और घर कहां है ! मगर किसी से पूछे, तो लोग कहेंगे : हद्द हो गयी ! गांव का प्रतिष्ठित आदमी है; गांव का शायद मेयर है। अब किसी से पूछे कि मेरा घर कहां है, या किस रास्ते से जाऊं, तो लोग हंसेंगे ! सारा गांव उसे जानता है। और लोग कहेंगे : अरे! क्या ज्यादा पी गए ? इतनी पी गए कि अपना घर भूल गए ?
तो वह पूछता भी नहीं किसी से, क्योंकि संकोच लगता है; अहंकार को चोट लगती है। तो उसने सोचा : अब करूं क्या ! तो जो कार उसके सामने जा रही थी, उसने सोचा, इसी के पीछे लगा चलूं ।
52