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जीने की कला
लेता है, जितना मंदबुद्धि चट्टान सदियों में जी पाती है। और शायद जी पाती है कि नहीं जी पाती! ___ तुम गुलाब का फूल होना चाहोगे कि चट्टान होना चाहोगे? चट्टान का जीवन लंबा है। गुलाब के फूल का जीवन बड़ा छोटा है, बड़ा क्षणभंगुर है। क्या तुम चट्टान होना चाहोगे? अधिक लोगों ने यही सोचा है कि वे चट्टान होना चाहेंगे। क्योंकि वे कहते हैं : जीवन लंबा हो; मौत न आ जाए।
अगर गुलाब का फूल भी सोचे कि मौत न आ जाए, तो उसके जीवन की त्वरा कम हो जाएगी। वह धीरे-धीरे जीएगा। क्योंकि जितने धीरे जीएगा, उतनी ही देर लगेगी मौत के आने में। जितना कुनकुना जीएगा, उतनी देर लगेगी मौत के आने में। जितना कम जीएगा, उतनी मौत दूर हो जाएगी। अगर बिलकुल न जीए, तो मौत को सदा के लिए टाला जा सकता है।
मगर जो बिलकुल न जीए, वह तो मर ही गया! अब मौत को टालकर भी क्या होगा?
तुमने देखा कि मरा हुआ आदमी फिर दुबारा नहीं मरता! और अगर तुम चाहते हो कि मैं कभी न मरूं, तो उसका मतलब एक ही होता है कि तुम बिलकुल मुर्दा हो जाओ। मरा हुआ आदमी कभी नहीं मरता। एक दफे कब्र में चले गए, सो चले गए; फिर कभी मौत नहीं होती। __कुछ लोग इसी डर से जीते नहीं और जीते जी कब्रों में बैठ जाते हैं। अपनी कब्र में रहने लगते हैं। _ मैं तुम्हें जीवन सिखाता हूं। जीवन सिखाने का एक ही उपाय है कि तुम्हें मृत्यु सिखायी जाए। मरने को अंगीकार करने की पात्रता जिस दिन आ जाएगी, उस दिन तुम जीयोगे गुलाब के फूल की तरह-और वही जीवन है। उस दिन तुम जीयोगे, जैसे मशाल को कोई दोनों ओर से एक साथ जला दे। एक गहरी भभक...। __ और ध्यान रखना : लंबे जीने से कुछ सार नहीं। एक क्षण को भी अगर गहरे जी लिया-लंबा नहीं, गहरा; समय में फैला हुआ नहीं, क्षण में गहरा डूबा हुआ-एक क्षण भी अगर तुमने गहराई से जी लिया, तो एक क्षण में ही तुम्हें एस धम्मो सनंतनो का पता चल जाता है। वह जो शाश्वत धर्म है, उसका पता चल जाता है। और ऐसे तुम सदियों तक एक लकड़ी के टुकड़े की तरह धारा के ऊपर तैरते रहो, धक्के खाते रहो लहरों के-इस किनारे से उस किनारे, इस तट से उस तट-तुम्हें हीरे-मोती हाथ न लगेंगे। हीरे-मोती के लिए तो गहरे जाना होता है; डुबकी मारनी होगी। ___और मंजु और गुलाब ने सुनने की कोशिश की है मुझे, समझने की कोशिश
की है। चल पड़े हैं। अभी और-और सौंदर्य प्रगट होगा। इतने से कुछ नहीं होने वाला है; अभी और-और सौंदर्य प्रगट होगा। अभी रोज-रोज सौंदर्य घना होगा।
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